हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, जिसे हर सक्षम मुस्लिम के लिए जीवन में कम से कम एक बार करना अनिवार्य है। यह पवित्र यात्रा हर साल सऊदी अरब के मक्का में आयोजित होती है, जहां दुनिया भर से लाखों मुस्लिम एकत्रित होते हैं। भारत से हज यात्रा के लिए बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त होते हैं, और सीटों का आवंटन एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है।
हज का इतिहास और महत्व
हज की शुरुआत इस्लामी मान्यता के अनुसार पैगंबर इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के समय से हुई।
- पैगंबर इब्राहीम और हज: मुस्लिम समुदाय का मानना है कि हज का इतिहास उस समय से जुड़ा है, जब अल्लाह ने इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) को अपने बेटे इस्माइल को बलिदान करने का आदेश दिया। अल्लाह ने उनकी आज्ञाकारिता से खुश होकर, इस्माइल की जगह एक मेमने को बलिदान के लिए प्रस्तुत कर दिया। यह घटना समर्पण और विश्वास का प्रतीक बन गई।
- काबा का निर्माण: इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) और उनके बेटे इस्माइल ने मक्का में काबा का निर्माण किया, जिसे मुसलमानों का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। इसे “अल्लाह का घर” कहा जाता है और हज के दौरान तवाफ (काबा के चारों ओर सात बार घूमना) किया जाता है।
- हज की प्रथाएं: हज के दौरान की जाने वाली गतिविधियां, जैसे सई (सफा और मरवा पहाड़ियों के बीच दौड़ना), उस समय को याद करती हैं जब हाजरा (इब्राहीम की पत्नी) ने पानी की खोज में इन पहाड़ियों के बीच दौड़ लगाई थी। इसी बीच अल्लाह ने उनके लिए जमजम का पवित्र जल प्रदान किया।
- अराफात का मैदान: हज का मुख्य दिन अराफात में प्रार्थना करने का है। यह वही स्थान है, जहां पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपना अंतिम उपदेश दिया था।
सीट आवंटन प्रक्रिया और हाल की ख़बरें:
हज 2025 के लिए, भारत सरकार ने सऊदी अरब से 1,75,025 सीटों का कोटा प्राप्त किया है। हालांकि, हज कमेटी ऑफ इंडिया के माध्यम से 1,22,518 सीटों का आवंटन किया गया है।
- दूसरी प्रतीक्षा सूची जारी: हज कमेटी ऑफ इंडिया ने 10 जनवरी 2025 को दूसरी प्रतीक्षा सूची जारी की, जिसमें 3,676 आवेदकों को अस्थायी सीटें आवंटित की गई हैं। इन आवेदकों को 23 जनवरी 2025 तक भुगतान करना होगा।
- महिलाओं के लिए विशेष कोटा: बिना मेहरम के 500 महिलाओं को सीटें आवंटित की गई हैं।
- हज खर्च की तिथि बढ़ी: हज खर्च जमा करने की तिथि अब 30 दिसंबर 2024 तक बढ़ा दी गई है।
आध्यात्मिक महत्व:
धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो “हज” केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, समर्पण और अल्लाह के प्रति विश्वास का प्रतीक है। यह मुसलमानों को एकता और समानता का संदेश देता है। हज का उद्देश्य सांसारिक इच्छाओं को छोड़कर ईश्वर के प्रति समर्पण और मानवता की सेवा करना है।
सत्संग पहलू
अब एक सवाल यह उठता है कि
- क्या वाकई में हज से हमारे सारे पाप नष्ट हो सकते हैं?
- क्या हज करने से मोक्ष (जन्नत) पाया जा सकता है? क्या इसके प्रमाण हैं?
- क्या हज से अल्लाह को प्राप्त किया जा सकता है?
एक बहुत ही जरूरी सवाल हमारे जेहन में आना चाहिए कि इतनी जद्दोजहद और कठिन यात्रा के बाद क्या हमारा मकसद पूरा हो पाता है। हमारे धार्मिक ग्रंथ चाहे वह पवित्र कुरान हो, पवित्र गीता, वेद या पवित्र बाइबल, इनमें मुक्ति का मार्ग और ईश्वर, अल्लाह को पाने का सरल और सटीक मार्ग दिया गया है, जिसे हम सामान्य मनुष्य नहीं समझ पाए।
लेकिन, आज इस अद्भुत रहस्य से पर्दा हट चुका है। हमारे सदग्रंथों में साफ-साफ लिखा है कि अल्लाह, खुदा, परमात्मा, ईश कौन है, कहां रहता है और उसको पाने की विधि क्या है। जिसको पाने के बाद हम जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पा सकते हैं, हर प्रकार के रोगों से, दुखों से, अकाल मृत्यु से, और यहां तक कि बुढ़ापे के दुःख-तकलीफों से भी। 84 लाख योनियों से मुक्ति पाकर सभी भौतिक, मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और आध्यात्मिक सुख प्राप्त कर सकते हैं।
कैसे? वह ऐसे, कि हमें एक तत्वदर्शी संत की (एक बाखबर की) खोज करनी होगी, जो अल्लाह के इल्म (तत्वज्ञान) से हमारा ताल्लुक करवाए और हमें जन्नत पाने की सही इबादत का सटीक तरीका बताए।
हम पहले ही बहुत भ्रमित हो चुके हैं, लेकिन अब नहीं क्योंकि अब हम सब साक्षर हैं। अपने-अपने ग्रंथों से सच्चाई का मिलान कर उस खुदा, अल्लाह ताला को पा सकते हैं (बाखबर के अनुसार इबादत का तरीका अपनाकर)। तो देर किस बात की? हमें मनुष्य जीवन का प्रथम कर्तव्य जानकर मूल उद्देश्य जानकर उस बाखबर की खोज करनी चाहिए, जो इस वर्तमान समय में हमारे सौभाग्य से इस पृथ्वी पर विराजमान है। उनकी शरण में आकर ही अल्लाह को पाना (मोक्ष) संभव है।
अधिक जानकारी के लिए पढ़िए उस बाखबर के द्वारा लिखी गई अनमोल पुस्तक “मुसलमान भाईजान नहीं समझे ज्ञान कुरान” जो निशुल्क उपलब्ध हैं सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक समय के द्वारा।