आत्म ज्ञान और परमात्म ज्ञान मानव जीवन के दो अत्यंत महत्वपूर्ण और गहन विषय हैं। ये दोनों ही व्यक्ति को उसकी आंतरिक शक्ति, चेतना और ब्रह्मांडीय सत्य से जोड़ते हैं। आत्म ज्ञान का अर्थ है अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानना, जबकि परमात्म ज्ञान उस सार्वभौमिक सत्य को जानना है, जो सम्पूर्ण सृष्टि का आधार है, रचनहार और धारण-पोषण कर्ता है। यह आलेख आत्म ज्ञान और परमात्म ज्ञान पर सटीक जानकारी और इसे प्राप्त करने के तत्व ज्ञान और साधना पर केंद्रित है।
आत्म ज्ञान: स्वयं को जानना
आत्म ज्ञान का अर्थ है अपने वास्तविक स्वरूप को जानना। यह भौतिक शरीर, मन और अहंकार से परे जाकर आत्मा को समझने की प्रक्रिया है। आत्मा हर व्यक्ति का शाश्वत और दिव्य तत्व है, जो न तो जन्म लेता है और न ही मरता है। आत्म ज्ञान प्राप्त करने का मुख्य उद्देश्य स्वयं को भ्रम, अज्ञानता और भौतिक इच्छाओं से मुक्त करना है। आत्म ज्ञान से यह ज्ञात हो जाता है कि हम कौन हैं, कहां से आए हैं और कहां जाना है। हमारा मूल उद्देश्य क्या है?
परमात्म ज्ञान: ईश्वर की पहचान
परमात्म ज्ञान का अर्थ है ईश्वर या परम सत्ता के अस्तित्व को समझना और उसे अनुभव करना। यह ज्ञान आत्म ज्ञान का अगला चरण है। आत्मा और परमात्मा के बीच गहरा संबंध है, जिसे समझे बिना परमात्म ज्ञान अधूरा है। यदि परमात्म ज्ञान हो जाए और मोक्ष की प्राप्ति न हो, तो भी सब व्यर्थ है। इसीलिए सतगुरु की अनिवार्यता होती है, तभी इसका लाभ संभव है।
परमात्मा प्राप्ति के मार्ग को समझने के लिए भक्ति, योग और सत्ग्रंथों का ज्ञान जैसे विभिन्न मार्गों का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। ये सभी मार्ग व्यक्ति को उसके उच्चतम आत्मिक लक्ष्य तक पहुँचने में सहायता करते हैं। प्रत्येक मार्ग का अपना विशेष दृष्टिकोण और प्रक्रिया होती है। मगर धर्म ग्रंथों में सर्वश्रेष्ठ और सहज मार्ग भक्ति को बताया गया है।
आत्म ज्ञान और परमात्म ज्ञान में भक्ति मार्ग सर्वश्रेष्ठ (भक्ति योग)
भक्ति मार्ग प्रेम और समर्पण का मार्ग है। यह सहज और सर्वश्रेष्ठ मार्ग है और ईश्वर के प्रति अनन्य प्रेम, भक्ति और समर्पण पर आधारित है।
- मुख्य गुण: श्रद्धा, विश्वास और भक्ति।
- अपने अहंकार को छोड़कर ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण।
उदाहरण: भक्त प्रहलाद, मीराबाई, धन्ना भगत, शेख फरीद, भक्त रविदास आदि।
सच्चे सतगुरु के मार्गदर्शन में ही भक्ति मार्ग में सफलता प्राप्त की जा सकती है; अन्यथा लक्ष्य की प्राप्ति संभव नहीं होती है।
आत्म ज्ञान और परमात्म ज्ञान का परस्पर संबंध
आत्म ज्ञान और परमात्म ज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। आत्म ज्ञान के बिना परमात्म ज्ञान अधूरा है, और परमात्म ज्ञान के बिना आत्म ज्ञान अधूरी यात्रा की तरह है। जब व्यक्ति आत्मा को समझ लेता है, तो वह स्वाभाविक रूप से परमात्मा की ओर आकर्षित होता है। इसी प्रकार, परमात्म ज्ञान के द्वारा व्यक्ति आत्मा और ईश्वर के बीच के संबंध को गहराई से समझ पाता है। और इसके लिए सतगुरु की आवश्यकता होती है, तभी साधक को सभी लाभ प्राप्त होते हैं।
आत्म ज्ञान और परमात्म ज्ञान हेतु धर्मग्रंथों का अध्ययन
भगवद गीता, बाइबिल, कुरआन शरीफ, गुरु ग्रंथ साहिब, उपनिषद और वेदांत जैसे धर्मग्रंथों सहित चार वेद, छः शास्त्र, अठारह पुराण आदि सभी शास्त्र आत्म ज्ञान और परमात्म ज्ञान प्राप्ति में सहायक होते हैं। यह ज्ञान केवल सच्चे सतगुरु के मार्गदर्शन में प्राप्त होता है। परमात्मा की वाणी है:
“वेद पढ़े और भेद न जानें बांचे पुराण अठारह।”
सच्चे सतगुरु के सानिध्य में सत शास्त्रों का अध्ययन लाभप्रद होता है; अन्यथा व्यर्थ है।
सतगुरु की अनिवार्यता
आत्म ज्ञान और परमात्म ज्ञान दोनों के लिए सतगुरु की अनिवार्यता होती है। सतगुरु वही होता है, जो सभी धर्म ग्रंथों के आधार पर भक्ति साधना करता और कराता है। इसका उल्लेख और पहचान गीता जी के अध्याय 15 के श्लोक 1 से 3 में किया गया है। जो पूरे ब्रह्मांड में एक ही होता है, वही सतगुरु होता है, वही तत्वदर्शी संत होता है। उनके बताए गए सतभक्ति और साधना से ही साधक को सभी लाभ सहज ही प्राप्त होते हैं और मोक्ष का अधिकारी बनता है।
आधुनिक संदर्भ में आत्म और परमात्म ज्ञान
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में आत्म ज्ञान और परमात्म ज्ञान की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। लोग तनाव, चिंता और असंतोष से घिरे हुए हैं। ऐसे में आत्मा और परमात्मा की ओर मुड़ना ही स्थायी शांति और सुख का मार्ग है। ध्यान, योग और आध्यात्मिक साधना के माध्यम से व्यक्ति इस ज्ञान को प्राप्त करने में लगा है। जबकि भक्ति योग को धर्म ग्रंथों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है, जो आज संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा प्रदान किया जा रहा है। उनके लाखों और करोड़ों अनुयायियों ने उपदेश प्राप्त कर सभी लाभ सहज प्राप्त किए हैं और मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर हैं।
संत रामपाल जी महाराज के तत्व ज्ञान से आत्म और परमात्म ज्ञान
आज पूरे ब्रह्मांड में एकमात्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही हैं, जिनके बताए गए सतभक्ति और साधना से उनके लाखों-करोड़ों अनुयायियों को सभी लाभ प्राप्त हो रहे हैं। साधक परमात्म ज्ञान प्राप्त कर मोक्ष का अधिकारी बन रहा है, जो मानव जीवन का मूल उद्देश्य है।
आप भी उनके तत्व ज्ञान को समझकर उनसे ज्ञान उपदेश प्राप्त करके सभी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष
आत्म ज्ञान और परमात्म ज्ञान एक ऐसी आध्यात्मिक यात्रा है, जो व्यक्ति को उसके वास्तविक स्वरूप और ईश्वर के साथ संबंध का एहसास कराती है। यह यात्रा न केवल जीवन को सार्थक बनाती है, बल्कि मोक्ष की ओर भी ले जाती है।
आज विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं, जो चार वेद, छः शास्त्र, अठारह पुराण, गीता, बाइबिल, कुरआन शरीफ आदि सभी सत ग्रंथों के आधार पर सत साधना करते और करवाते हैं। आज उनके करोड़ों अनुयायियों को सत साधना से आत्म और परमात्म ज्ञान प्राप्त हुआ है। उन्हें भौतिक लाभ, लाइलाज रोगों से मुक्ति, कैंसर, एड्स जैसे रोगों से छुटकारा मिला है, साथ ही सर्व दुखों से मुक्ति मिल रही है। आलौकिक आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त हो रहे हैं। आप भी उनके तत्व ज्ञान को समझकर आत्म ज्ञान और परमात्म ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
उनके द्वारा दिए जा रहे तत्व ज्ञान को समझने हेतु Sant Rampal Ji Maharaj App डाउनलोड करें और वेबसाइट www.jagatgururampalji.org पर विजिट करें।