मास्को, रूस | रूस ने गुरुवार को दावा किया कि उसकी सेनाओं ने यूक्रेनी शहर पोकरोवस्क में उत्तर की ओर बढ़ते हुए शहर पर पूरी तरह से नियंत्रण स्थापित कर लिया है। पोकरोवस्क यूक्रेनी सेना के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन और रसद केंद्र है, जिससे वह यूक्रेन के दो महत्वपूर्ण राज्य – डोनबास और डोनेत्स्क – पर पुनः नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश कर रही है।
- रूस ने एक शहर के लिए 1 साल तक की जंग
- पुतिन का दावा कि यूक्रेन को आत्मसमर्पण करना ही होगा
- यूक्रेन ने रूस की राजधानी मॉस्को के पास तेल पाइपलाइन पर ड्रोन हमला किया
- जेलेंस्की ने अमेरिका से फिर मांगे अरबों डॉलर के हथियार
- पोकरोव्स्क पर नियंत्रण: रसद नेटवर्क को झटका और मानवीय असर
- कूटनीतिक मोर्चा, ऊर्जा ढांचा और शीतकाल की चुनौती
- आखिर क्या है इस तरह के भीषण युद्धों से बचने का समाधान?
- रूसी सेना का पूर्वी यूक्रेन के पोकरोवस्क शहर पर कब्ज़ा पर FAQs
- 1. रूस ने यूक्रेन के पोकरोवस्क शहर पर कब और कैसे कब्ज़ा किया?
- 2. पोकरोवस्क शहर यूक्रेन के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
- 3. क्या रूस-यूक्रेन युद्ध के बढ़ने से वैश्विक युद्ध का खतरा बढ़ रहा है?
- 4. यूक्रेन अमेरिका और यूरोप से बार-बार हथियार क्यों मांग रहा है?
- 5. रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक संघर्षों से बचने का समाधान क्या है?
रूस ने एक शहर के लिए 1 साल तक की जंग
रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि पोकरोवस्क शहर को रूसी सेना ने तीन तरफ से घेरकर भीषण तोपखाना और ड्रोन हमले किए, जिससे यूक्रेनी सेना की सप्लाई लाइन पूरी तरह से खत्म हो गई और यूक्रेनी सैनिक आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हो गए। इसके साथ ही यूक्रेन ने भी स्वीकार किया कि उसके सैनिक पोकरोवस्क में अत्यधिक कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।
पुतिन का दावा कि यूक्रेन को आत्मसमर्पण करना ही होगा
रूस इस शहर को पूर्वी यूक्रेन के बचे हुए शेष 10 प्रतिशत क्षेत्र का प्रवेश द्वार मानता है। पुतिन ने कहा है कि उसकी सेना अपने हमले तेज करते हुए साहस का परिचय दे रही है और यूक्रेन के हज़ारों सैनिकों को युद्धबंदी बनाया है।
यूक्रेन ने रूस की राजधानी मॉस्को के पास तेल पाइपलाइन पर ड्रोन हमला किया
राजधानी कीव ने भी रूसी सेना के हमलों का प्रबल विरोध जताते हुए रूस की राजधानी के पास हमले किए, जिसके कारण रूस की सबसे महत्वपूर्ण तेल पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो गई।
जेलेंस्की ने अमेरिका से फिर मांगे अरबों डॉलर के हथियार
यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका से रूस के खिलाफ लड़ाई में लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइलों की मांग की है और यूरोपियन यूनियन के एक कार्यक्रम में कहा कि रूस पर कठोर से कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है।
पोकरोव्स्क पर नियंत्रण: रसद नेटवर्क को झटका और मानवीय असर
भू-राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि रूस का पोकरोव्स्क पर पूर्ण नियंत्रण का दावा पुष्ट होता है, तो यह पूर्वी मोर्चे पर यूक्रेन के रसद नेटवर्क के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। शहर एक महत्वपूर्ण रेल-सड़क जंक्शन माना जाता है, इसलिए यहां की स्थिति पश्चिम की ओर स्थित आपूर्ति मार्गों पर दबाव बढ़ा सकती है और पड़ोसी बस्तियों में भी संघर्ष का जोखिम ऊपर जा सकता है। इसी बीच, लगातार ड्रोन व तोपख़ाने के हमलों से संचार तंत्र, बिजली और जलापूर्ति जैसे आवश्यक ढांचे प्रभावित होने की खबरें हैं, जिसके चलते स्थानीय प्रशासन नागरिकों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए अस्थायी निकासी मार्गों और राहत शिविरों की व्यवस्था बढ़ाने की बात कर रहा है। सक्रिय लड़ाई के कारण स्वतंत्र स्रोतों से जमीनी हालात का सत्यापन सीमित बना हुआ है।
कूटनीतिक मोर्चा, ऊर्जा ढांचा और शीतकाल की चुनौती
कूटनीतिक मोर्चे पर, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और यूरोपीय देशों ने नागरिकों की सुरक्षा, युद्धविराम की खिड़कियों और मानवीय गलियारों के विस्तार का आह्वान दोहराया है, जबकि दोनों पक्ष अपने-अपने सैन्य लक्ष्यों पर ज़ोर दे रहे हैं। ऊर्जा ढांचे और परिवहन सुविधाओं पर हमलों के आरोप-प्रत्यारोप से क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ी है, जिसका असर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और कमोडिटी बाज़ारों तक महसूस किया जा रहा है। शीतकाल के क़रीब आने से राहत कार्य और भी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं-विशेषकर उन इलाक़ों में जहां आश्रय, गर्मी के प्रबंध और चिकित्सा सेवाएं पहले से दबाव में हैं।
आखिर क्या है इस तरह के भीषण युद्धों से बचने का समाधान?
आज पूरे विश्व में अनेक देशों के बीच इस प्रकार के आपसी युद्धों की समस्या छाई हुई है। वैश्विक वर्चस्व की होड़ के चलते कई देश एक-दूसरे पर जैविक हथियार और वायरस आधारित बीमारियां फैला रहे हैं। वर्तमान समय की परिस्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है कि गंभीर युद्धों के खतरे के साथ-साथ मानव सभ्यता के अस्तित्व का संकट भी खड़ा हो गया है।
प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियों में उल्लेख है कि 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में विश्व में आपसी प्रेम का अभाव, मानवता का ह्रास, माया संग्रह की दौड़, लूट और राजनेताओं का अन्यायी हो जाना आदि कई उत्पात देखने को मिलेंगे। 21वीं सदी के प्रथम दशक में भयंकर युद्ध के कारण कई देशों का अस्तित्व ही मिट जाएगा। परन्तु भारत का एक महापुरुष सम्पूर्ण विश्व को मानवता के एक सूत्र में बांध देगा और हिंसा, फूट, दुराचार, कपट आदि को संसार से सदा के लिए मिटा देगा। उन्हीं भविष्यवक्ताओं ने उस महापुरुष की पहचान भी बताई है, जिन पर जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज खरे उतरते हैं। आज संत रामपाल जी महाराज के समाज सुधार के कार्य को देखकर यह आसानी से माना जा सकता है कि उनके ज्ञान और उनकी आध्यात्मिक शक्ति से एक दिन निश्चित ही पूरे विश्व में शांति छाएगी।
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रूसी सेना का पूर्वी यूक्रेन के पोकरोवस्क शहर पर कब्ज़ा पर FAQs
1. रूस ने यूक्रेन के पोकरोवस्क शहर पर कब और कैसे कब्ज़ा किया?
रूस ने दावा किया है कि उसकी सेना ने लगभग एक साल की लड़ाई के बाद पोकरोवस्क को तीन तरफ से घेरकर ड्रोन और तोपखाना हमलों के जरिए सप्लाई लाइन काट दी, जिसके बाद यूक्रेनी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया।
2. पोकरोवस्क शहर यूक्रेन के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
पोकरोवस्क डोनबास और डोनेत्स्क क्षेत्रों के लिए एक प्रमुख परिवहन और रसद केंद्र है, जिससे यूक्रेन अपनी रक्षा और सप्लाई ऑपरेशन्स संचालित करता है। इसलिए यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है।
3. क्या रूस-यूक्रेन युद्ध के बढ़ने से वैश्विक युद्ध का खतरा बढ़ रहा है?
हाँ, विशेषज्ञों के अनुसार दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव, NATO की भागीदारी और ड्रोन/मिसाइल हमले भविष्य में बड़े युद्ध का जोखिम बढ़ाते हैं, जिससे विश्व शांति पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
4. यूक्रेन अमेरिका और यूरोप से बार-बार हथियार क्यों मांग रहा है?
यूक्रेन का कहना है कि रूस को रोकने और अपनी रक्षा को मजबूत करने के लिए उसे लंबी दूरी की मिसाइलें और उन्नत सैन्य सहायता की आवश्यकता है, क्योंकि उसकी सेना लगातार भारी दबाव में है।
5. रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक संघर्षों से बचने का समाधान क्या है?
विशेषज्ञ शांति वार्ता, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता और शक्ति-होड़ को कम करने को उपाय मानते हैं। आध्यात्मिक गुरु, जैसे संत रामपाल जी महाराज, मानवता, शांति और नैतिक सुधार को स्थायी समाधान बताते हैं।

