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दिल्ली हाईकोर्ट में बम की झूठी धमकी से अफरा-तफरी

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Last updated: September 13, 2025 12:47 pm
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दिल्ली हाईकोर्ट में बम की झूठी धमकी से अफरा-तफरी
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दिल्ली हाईकोर्ट शुक्रवार सुबह अचानक हड़कंप का केंद्र बन गया, जब एक गुमनाम ईमेल में दोपहर की नमाज़ के बाद कोर्ट परिसर में धमाकों की चेतावनी दी गई। ईमेल प्राप्त होते ही न्यायाधीशों, वकीलों, कर्मचारियों और वादकारियों को तुरंत बाहर निकाल दिया गया। घंटों की अफरा-तफरी के बाद पुलिस ने घोषणा की कि धमकी पूरी तरह फर्जी थी। यह राजधानी में लगातार मिल रही बम धमकी ईमेल की ताज़ा कड़ी है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की चुनौतियों को उजागर कर दिया है।

Contents
  • धमकी का वक्त और ईमेल की सामग्री
  • कोर्ट में अचानक कार्यवाही स्थगित
  • पुलिस का बयान और मुंबई से कनेक्शन
  • लगातार बढ़ रहे धमकी ईमेल
  • विशेषज्ञों की राय
  • राजनीतिक और सामाजिक असर
  • निष्कर्ष: राजधानी पर बढ़ता साइबर खतरा

धमकी का वक्त और ईमेल की सामग्री

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, रजिस्टार जनरल के कार्यालय को सुबह 8:39 बजे यह ईमेल मिला। इसमें लिखा था कि तीन आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) जजों के चैम्बर और अदालतों में लगाए गए हैं। संदेश में साफ कहा गया, “आज का धमाका पुराने bluff पर से संदेह दूर करेगा।” इसमें दोपहर 2 बजे तक कोर्ट खाली करने की चेतावनी दी गई।

ईमेल एक आउटलुक अकाउंट से भेजा गया, जिसका नाम “Kanimozhi Thevidiya” था। इसमें अजीबोगरीब राजनीतिक साजिशों का ज़िक्र था, जैसे पाकिस्तान की आईएसआई सेल्स का कोयंबटूर से जुड़ाव और 1998 जैसे धमाकों को दोहराने की योजना। इतना ही नहीं, इसमें उदयनिधि स्टालिन के बेटे को एसिड से जलाने जैसी व्यक्तिगत धमकियां भी शामिल थीं।

कोर्ट में अचानक कार्यवाही स्थगित

करीब 11:35 बजे सुनवाई कर रही कई पीठों ने अचानक कार्यवाही रोक दी और जज सुरक्षित स्थान पर भेजे गए। वकीलों और वादकारियों को तुरंत बाहर जाने का निर्देश दिया गया। इस बीच गलियारों में अफरा-तफरी मच गई। एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, “हम बहस कर रहे थे, तभी पीठ अचानक उठ खड़ी हुई। बाद में पता चला कि बम की धमकी आई थी।”

करीब तीन घंटे तलाशी अभियान चला। बम निरोधक दस्ते, डॉग स्क्वॉड और फायर ब्रिगेड की टीमों ने पूरी इमारत खंगाली। दोपहर 2:30 बजे कार्यवाही दोबारा शुरू की गई जब किसी तरह की विस्फोटक सामग्री नहीं मिली।

पुलिस का बयान और मुंबई से कनेक्शन

डीसीपी (नई दिल्ली) देवेश कुमार महला ने कहा, “धमकी को गंभीरता से लिया गया, लेकिन कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। हाल की स्कूल धमकियों से इसका सीधा संबंध नहीं है, लेकिन जांच जारी है।”

इसी दिन बॉम्बे हाईकोर्ट को भी बम धमकी वाला ईमेल मिला था, जिससे वहां भी कार्यवाही रोकनी पड़ी। मुंबई पुलिस को शक है कि दोनों जगह एक ही व्यक्ति ने ईमेल भेजे। ईमेल में बार-बार आरडीएक्स, आईईडी और दक्षिण भारतीय नेताओं व अभिनेताओं के नाम आते हैं। मुंबई में ऐसे ही दर्जनों मामलों के पीछे एक “रीपीट ऑफेंडर” की आशंका जताई जा रही है, जो डार्क वेब और वीपीएन का इस्तेमाल कर पहचान छुपा रहा है।

लगातार बढ़ रहे धमकी ईमेल

यह मामला नया नहीं है। मई 2022 से अब तक दिल्ली में 30 से ज्यादा बार बम धमकी ईमेल भेजे जा चुके हैं।

28 अगस्त 2025 को 20 कॉलेजों को धमकी ईमेल मिले, जिनमें जीसस एंड मैरी कॉलेज भी शामिल था।

9 सितंबर को मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज और मुख्यमंत्री सचिवालय को धमकी दी गई।

मई 2023 में 200 से अधिक स्कूलों और संस्थानों को एक साथ ईमेल भेजे गए, जिससे भारी दहशत फैल गई।

इनमें से कई मामलों में जांच में सामने आया कि कुछ छात्र परीक्षा टालने के लिए धमकी देते हैं। दिसंबर 2024 में एक छात्र और जुलाई 2025 में एक नाबालिग इसी आरोप में पकड़ा गया। हालांकि, जब वीपीएन का इस्तेमाल होता है तो जांच लगभग ठप हो जाती है, क्योंकि विदेशी कंपनियां गोपनीयता नीति के तहत जानकारी साझा करने से इंकार कर देती हैं।

विशेषज्ञों की राय

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ राजीव सिंह का कहना है, “कोई भी तकनीकी जानकारी रखने वाला व्यक्ति मुफ्त ईमेल सेवाओं और वीपीएन से गुमनाम धमकी भेज सकता है। इससे भारी आर्थिक नुकसान, दहशत और कामकाज ठप हो जाता है, जबकि पकड़ में आने की संभावना बेहद कम होती है।”

दिल्ली पुलिस ने आउटलुक और जीमेल जैसे प्लेटफॉर्म से सुरक्षा जांच मज़बूत करने की मांग की है, लेकिन टेक कंपनियां उपयोगकर्ताओं की गुमनामी बनाए रखने के पक्ष में हैं।

राजनीतिक और सामाजिक असर

हालिया ईमेल में आईएसआई, स्टालिन परिवार और “पवित्र शुक्रवार” जैसे संदर्भों ने राजनीतिक मंशा को लेकर सवाल खड़े किए हैं। कुछ विश्लेषक मानते हैं कि ये केवल शरारत नहीं बल्कि सामाजिक असंतोष भड़काने और सुरक्षा व्यवस्था की प्रतिक्रिया परखने की कोशिश हो सकती है। हालांकि, फिलहाल अधिकारियों का मानना है कि अधिकतर धमकियां महज bluff साबित हुई हैं।

निष्कर्ष: राजधानी पर बढ़ता साइबर खतरा

दिल्ली हाईकोर्ट जैसी सुरक्षित जगह पर धमकी मिलना बताता है कि डिजिटल युग में कोई भी संस्था पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। एक वादकारी ने कोर्ट के बाहर कहा, “अगर अदालत सुरक्षित नहीं है तो आम नागरिक कहां सुरक्षित हैं?”

12 सितंबर की घटना ने साफ कर दिया है कि जब तक साइबर कानून और तकनीकी जांच मजबूत नहीं होंगे, तब तक राजधानी बार-बार ऐसी गुमनाम ईमेल से दहलती रहेगी। फिलहाल पुलिस ईमेल भेजने वाले तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, लेकिन वीपीएन की दीवार तोड़े बिना यह जंग अधूरी है।

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