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Home » ‘ब्रेन रॉट’: डिजिटल दुनिया की एक नई बीमारी, कहीं आप भी तो फोन एडिक्शन के शिकार नहीं?

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‘ब्रेन रॉट’: डिजिटल दुनिया की एक नई बीमारी, कहीं आप भी तो फोन एडिक्शन के शिकार नहीं?

SA News
Last updated: September 3, 2025 12:32 pm
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आज के डिजिटल युग में, जहाँ हर कोई स्मार्टफोन और इंटरनेट से जुड़ा हुआ है, एक नई और गंभीर समस्या उभर कर सामने आई है – ‘ब्रेन रॉट’ (Brain Rot)। यह कोई शारीरिक बीमारी नहीं, बल्कि एक मानसिक और बौद्धिक स्थिति है, जो अत्यधिक और अनियंत्रित डिजिटल खपत के कारण होती है। ‘ब्रेन रॉट’ का शाब्दिक अर्थ ‘दिमाग का सड़ना’ है, और यह उस स्थिति को दर्शाता है जब किसी व्यक्ति की सोचने, समझने, और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कमजोर होने लगती है।

Contents
  • प्रमुख बिंदु:
  • ‘ब्रेन रॉट’ के पीछे के कारण:
  • ‘ब्रेन रॉट’ के लक्षण और प्रभाव:
  • बचाव के प्रभावी उपाय:
  • आध्यात्मिक डिटॉक्स: सतभक्ति से फोन एडिक्शन और ‘ब्रेन रॉट’ को दूर करें
  • ‘ब्रेन रॉट’ से संबंधित FAQs:

यह शब्द 2024 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा ‘वर्ड ऑफ द ईयर’ घोषित किया गया, जिसने दुनिया भर के विशेषज्ञों का ध्यान इस ओर खींचा। इसका मतलब है कि यह समस्या अब केवल व्यक्तिगत चिंता नहीं, बल्कि एक वैश्विक चुनौती बन चुकी है।

प्रमुख बिंदु:

  • ‘ब्रेन रॉट’ की परिभाषा: ‘ब्रेन रॉट’ का मतलब है अत्यधिक ऑनलाइन, विशेषकर सोशल मीडिया पर, व्यर्थ और निम्न-गुणवत्ता वाले कंटेंट को देखने से व्यक्ति की बौद्धिक और मानसिक क्षमता में गिरावट आना।
  • ऑक्सफोर्ड वर्ड ऑफ द ईयर: यह शब्द 2024 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा ‘वर्ड ऑफ द ईयर’ चुना गया, जो इसकी बढ़ती गंभीरता को दर्शाता है।
  • प्रमुख कारण: रील्स, शॉर्ट्स, और बिना उद्देश्य के स्क्रॉलिंग (Doom Scrolling) इसके मुख्य कारण हैं।
  • गंभीर लक्षण: फोकस में कमी, याददाश्त कमजोर होना, मानसिक थकान, निर्णय लेने में कठिनाई और सामाजिक अलगाव जैसे लक्षण इसमें शामिल हैं।
  • बच्चों और युवाओं पर प्रभाव: यह समस्या विशेष रूप से जेन-जी (Gen-Z) और बच्चों में तेजी से फैल रही है, जो उनके शैक्षणिक प्रदर्शन और रचनात्मकता को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।
  • बचाव के उपाय: डिजिटल डिटॉक्स, स्क्रीन टाइम सीमित करना, बौद्धिक गतिविधियों में शामिल होना, और ध्यान (Meditation) जैसी आदतें ‘ब्रेन रॉट’ से बचाव में सहायक हैं।

‘ब्रेन रॉट’ के पीछे के कारण:

‘ब्रेन रॉट’ का सबसे बड़ा कारण है अत्यधिक स्क्रीन टाइम और विशेष रूप से निम्न-गुणवत्ता वाले ऑनलाइन कंटेंट का उपभोग। इसमें इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब शॉर्ट्स, और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर घंटों तक स्क्रॉल करना शामिल है, जिसका कोई रचनात्मक या शैक्षिक उद्देश्य नहीं होता। इन शॉर्ट-फॉर्म वीडियो की तीव्र गति और आकर्षक प्रकृति हमारे दिमाग को ‘डोपामाइन’ (Dopamine) का आदी बना देती है, जिससे हमारा दिमाग हर पल नई उत्तेजना की तलाश में रहता है।

  • सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग: लगातार रील्स और शॉर्ट्स देखने की आदत से हमारा दिमाग निष्क्रिय हो जाता है और गहराई से सोचने की क्षमता खो देता है।
  • सूचनाओं का अतिभार (Information Overload): इंटरनेट पर हर पल मिलने वाली असंख्य और अक्सर व्यर्थ जानकारी दिमाग को थका देती है, जिससे एकाग्रता बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
  • मानसिक उत्तेजना की कमी: जब हम निष्क्रिय रूप से कंटेंट का उपभोग करते हैं, तो दिमाग को चुनौती नहीं मिलती। इससे रचनात्मकता और समस्या-समाधान की क्षमता कम हो जाती है।
  • नींद की कमी: देर रात तक फोन का इस्तेमाल हमारी नींद के चक्र को बाधित करता है, जिससे मानसिक और शारीरिक थकान बढ़ती है।
  • डिजिटल मल्टीटास्किंग: एक ही समय में कई स्क्रीन पर ध्यान देना दिमाग को भ्रमित करता है और कार्यक्षमता को कम करता है।

‘ब्रेन रॉट’ के लक्षण और प्रभाव:

‘ब्रेन रॉट’ के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे दिखाई देते हैं, जिससे लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं।

  • फोकस और एकाग्रता में कमी: किसी भी एक काम पर लंबे समय तक ध्यान न लगा पाना।
  • याददाश्त कमजोर होना: छोटी-छोटी बातें भूलना और नई जानकारी को याद रखने में कठिनाई।
  • मानसिक थकान और आलस: बिना किसी शारीरिक मेहनत के भी दिमाग का थका हुआ महसूस करना।
  • निर्णय लेने में परेशानी: साधारण निर्णय लेने में भी हिचकिचाहट और भ्रम का अनुभव करना।
  • सामाजिक अलगाव: वास्तविक दुनिया के रिश्तों से दूर होकर डिजिटल दुनिया में खो जाना।
  • भावनात्मक अस्थिरता: चिड़चिड़ापन, बेचैनी और तनाव का अनुभव करना।

यह समस्या न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि हमारे पेशेवर जीवन और शैक्षिक प्रदर्शन को भी बुरी तरह प्रभावित करती है। छात्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते, जबकि पेशेवर अपने काम में रचनात्मकता और उत्पादकता खो देते हैं।

Also Read: सर्दियों में ब्रेन हेमरेज का बढ़ता खतरा: लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

बचाव के प्रभावी उपाय:

खुशखबरी यह है कि ‘ब्रेन रॉट’ एक ऐसी स्थिति है जिससे बचा जा सकता है और जिसे ठीक भी किया जा सकता है। इसके लिए हमें अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा।

  • डिजिटल डिटॉक्स: सप्ताह में एक दिन पूरी तरह से डिजिटल उपकरणों से दूर रहने का प्रयास करें। यह आपके दिमाग को आराम देगा।
  • स्क्रीन टाइम सीमित करें: अपने फोन पर ‘स्क्रीन टाइम’ मॉनिटरिंग टूल का उपयोग करें और सोशल मीडिया व मनोरंजन ऐप्स के लिए समय सीमा निर्धारित करें।
  • नोटिफिकेशंस बंद करें: अनावश्यक ऐप नोटिफिकेशंस को बंद कर दें ताकि आपका ध्यान बार-बार विचलित न हो।
  • बौद्धिक गतिविधियों में शामिल हों: किताबें पढ़ें, पहेलियां सुलझाएं, नई भाषा सीखें या कोई रचनात्मक हॉबी अपनाएं। ये गतिविधियां आपके दिमाग को सक्रिय रखेंगी।
  • शारीरिक गतिविधि और प्रकृति से जुड़ें: नियमित व्यायाम और प्रकृति के बीच समय बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।
  • पर्याप्त नींद लें: हर रात 7-8 घंटे की गहरी नींद सुनिश्चित करें। सोते समय अपने फोन को बेडरूम से दूर रखें।
  • सकारात्मक कंटेंट का उपभोग करें: मनोरंजन के लिए ऐसे कंटेंट को चुनें जो ज्ञानवर्धक हो या आपकी रचनात्मकता को बढ़ाए।
  • वास्तविक जीवन के रिश्ते मजबूत करें: दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं। आमने-सामने की बातचीत आपके सामाजिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।

‘ब्रेन रॉट’ एक गंभीर चेतावनी है कि हम अपनी मानसिक सेहत की कीमत पर डिजिटल दुनिया में खोते जा रहे हैं। यह समय है कि हम इस लत को पहचानें और उससे मुक्ति पाने के लिए कदम उठाएं। अपने दिमाग को स्वस्थ रखना और उसे निष्क्रिय होने से बचाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

आध्यात्मिक डिटॉक्स: सतभक्ति से फोन एडिक्शन और ‘ब्रेन रॉट’ को दूर करें

आज के आधुनिक युग में ‘ब्रेन रॉट’ और फोन एडिक्शन जैसी समस्याएँ हमें दिखाती हैं कि हम भौतिक सुख-सुविधाओं की तलाश में अपने असली उद्देश्य से कितना दूर आ गए हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान हमें बताता है कि हम इन्हीं उपकरणों का प्रयोग करके सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान को ग्रहण कर सकते हैं। पूर्ण परमात्मा की पहचान कर सकते हैं लेकिन जब इसका दुरुपयोग करेंगे तो यह हमारे नाश का कारण बनेगी। इसका दुरुपयोग ही दुखों का मूल कारण है। डिजिटल दुनिया की यह लत, एक प्रकार का मोहजाल है जो हमें सतभक्ति से दूर करता है और हमारी आत्मा पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। महाराज जी बताते हैं कि जब तक हम सतभक्ति नहीं करते, तब तक हमारी बुद्धि और मन शांत नहीं हो सकते।

जैसे फोन का अत्यधिक उपयोग हमारे दिमाग को कमजोर कर रहा है, वैसे ही भौतिकवादी दुनिया का मोह हमारी आत्मा को कमजोर कर रहा है। संत रामपाल जी महाराज हमें बताते हैं कि मन को नियंत्रित करने का एकमात्र तरीका सतभक्ति है। जब हम नाम जाप, सत्संग और सेवा में लीन होते हैं, तो हमारा मन स्वतः ही इन व्यर्थ की चीजों से हटकर परमात्मा से जुड़ने लगता है। सतज्ञान से हमें यह समझ मिलती है कि यह डिजिटल दुनिया केवल एक भ्रम है, और वास्तविक आनंद परमात्मा की भक्ति में है। सतभक्ति ही एकमात्र साधन और अन्य सभी मानसिक विकारों का स्थायी समाधान है, क्योंकि यह मन को शांत करती है और आत्मा को परमात्मा से जोड़ती है।

‘ब्रेन रॉट’ से संबंधित FAQs:

Q1: ‘ब्रेन रॉट’ क्या है और यह क्यों चर्चा में है?

‘ब्रेन रॉट’ एक मानसिक स्थिति है, जिसमें अत्यधिक और व्यर्थ डिजिटल कंटेंट के कारण दिमाग की बौद्धिक क्षमता कमजोर हो जाती है। यह 2024 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस का ‘वर्ड ऑफ द ईयर’ चुना गया, जिससे यह चर्चा में आया।

Q2: क्या ‘ब्रेन रॉट’ वास्तव में एक बीमारी है?

यह कोई चिकित्सा-प्रमाणित बीमारी नहीं है, बल्कि एक अनौपचारिक शब्द है जो अत्यधिक स्क्रीन टाइम से होने वाले मानसिक और बौद्धिक गिरावट को दर्शाता है। हालांकि, इसके लक्षण वास्तविक और गंभीर हैं।

Q3: ‘ब्रेन रॉट’ के मुख्य लक्षण क्या हैं?

इसके मुख्य लक्षणों में एकाग्रता की कमी, याददाश्त कमजोर होना, मानसिक थकान, निर्णय लेने में कठिनाई, और चिड़चिड़ापन शामिल हैं।

Q4: फोन एडिक्शन से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?

फोन एडिक्शन से बचने के लिए स्क्रीन टाइम सीमित करें, नोटिफिकेशन बंद करें, डिजिटल डिटॉक्स का अभ्यास करें, और अपने समय को रचनात्मक और शारीरिक गतिविधियों में लगाएं।

Q5: बच्चों और युवाओं में ‘ब्रेन रॉट’ से कैसे बचें?

बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम की सीमा निर्धारित करें, उन्हें बौद्धिक और शारीरिक गतिविधियों में प्रोत्साहित करें, और उनके साथ क्वालिटी टाइम बिताएं ताकि वे डिजिटल दुनिया से बाहर आ सकें।

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