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Home » कॉन्स्टीट्यूशन क्लब चुनाव: 25 साल का साम्राज्य बरकरार, राजीव प्रताप रूडी ने रचा जीत का नया अध्याय

Politics

कॉन्स्टीट्यूशन क्लब चुनाव: 25 साल का साम्राज्य बरकरार, राजीव प्रताप रूडी ने रचा जीत का नया अध्याय

SA News
Last updated: August 13, 2025 5:20 pm
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कॉन्स्टीट्यूशन क्लब चुनाव राजीव प्रताप रूडी ने फिर मारी बाजी
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कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया (Constitution Club of India) के सचिव पद के लिए इस बार का चुनाव सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक हाई-प्रोफाइल  सियासी टकराव (Political clash) बन गया। भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को हराकर यह पद एक बार फिर अपने नाम कर लिया। यह मुकाबला भाजपा बनाम भाजपा की ऐसी जंग थी, जिसमें दलगत सीमाएं (Party boundaries) टूट गईं और नेताओं ने पार्टी से ऊपर उठकर समर्थन दिया।

Contents
हाई-प्रोफाइल नेताओं की भागीदारीरिकॉर्ड तोड़ मतदानजीत का अंतर और रूडी का बयानअंदरूनी खेमेबंदी और लॉबी पॉलिटिक्सचुनाव में ऐतिहासिक मोड़बिना मुकाबले जीते अन्य पदइस चुनाव के प्रमुख कारण जो इसे खास बनाते हैंचुनाव का महत्व और राजनीतिक संदेशआध्यात्मिक दृष्टिकोणFAQs: कॉन्स्टीट्यूशन क्लब चुनाव 2025

हाई-प्रोफाइल नेताओं की भागीदारी

इस बार चुनाव में एक ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिला, जब पहली बार गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी जैसे बड़े नेताओं ने मतदान किया। पहले जहां इस चुनाव को लेकर अधिक चर्चा नहीं होती थी, वहीं इस बार यह दिल्ली की राजनीतिक गलियारों (Political corridors) का सबसे बड़ा विषय बन गया।

रिकॉर्ड तोड़ मतदान

अब तक के इतिहास में सचिव पद के लिए तीन चुनाव हो चुके थे, लेकिन औसतन सौ मतदाता ही मतदान करते थे। इस बार 1295 पात्र मतदाताओं में से 707 ने वोट डाले, जो एक नया कीर्तिमान (Record) है।

डाक मत (Postal votes) का प्रयोग पहली बार हुआ, जिसमें 38 सदस्यों ने भाग लिया।

शेष 669 सदस्यों ने मौके पर पहुंचकर मतदान किया।

यह चुनाव सिर्फ संख्या में ही नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रभाव (Political influence) में भी रिकॉर्ड तोड़ साबित हुआ।

जीत का अंतर और रूडी का बयान

राजीव प्रताप रूडी ने 391 वोट पाकर संजीव बालियान को 100 के करीब वोटों से हराया। जीत के बाद रूडी ने कहा,

 “मुझे पिछले दो दशकों (Two decades) के प्रयासों का फल मिला है। यह सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि पूरे पैनल की जीत है जिसमें कांग्रेस, सपा, टीएमसी और निर्दलीय सांसद शामिल थे।”

रूडी का यह बयान बताता है कि यह मुकाबला पार्टी लाइन से ऊपर उठकर लड़ा गया।

#WATCH | Delhi | On BJP MP Rajeev Pratap Rudy winning the Constitution Club of India election, his wife Neelam Pratap Singh says, "… There were nail-biting moments, but now we are a little relaxed. We will celebrate with everyone…" pic.twitter.com/7fcRdDxEam

— ANI (@ANI) August 12, 2025

अंदरूनी खेमेबंदी और लॉबी पॉलिटिक्स

इस चुनाव में दोनों पक्षों ने बड़े पैमाने पर खेमेबंदी (Factionalism) की।

  • रूडी के पक्ष में राजपूत लॉबी सक्रिय रही।
  • विपक्षी खेमे में भी भाजपा के सांसदों के साथ कई विपक्षी दलों के नेता जुटे।
  • बालियान के पक्ष में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने खुलकर मोर्चा संभाला, जो गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं।
  • फोन कॉल, व्यक्तिगत संपर्क (Personal outreach) और नजदीकी संबंधों का जमकर इस्तेमाल किया गया।

चुनाव में ऐतिहासिक मोड़

यह पहली बार नहीं है जब रूडी ने बड़े नेता को हराया हो। 2009 में भी भाजपा बनाम भाजपा की जंग में उनके सामने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे, और तब भी जीत रूडी के हिस्से आई थी। 1999 में पदेन सचिव बनने के बाद से उन्होंने कभी यह पद नहीं गंवाया।

बिना मुकाबले जीते अन्य पद

  • खेल सचिव (Sports Secretary): राजीव शुक्ला निर्विरोध चुने गए।
  • संस्कृति सचिव (Culture Secretary): तिरुचि शिवा निर्विरोध।
  • कोषाध्यक्ष (Treasurer): जितेंद्र रेड्डी निर्विरोध।

इन पदों पर मतदान की नौबत ही नहीं आई, जबकि सचिव पद पर भाजपा बनाम भाजपा की सीधी टक्कर ने माहौल गरमा दिया।

इस चुनाव के प्रमुख कारण जो इसे खास बनाते हैं

1. भाजपा बनाम भाजपा की सीधी जंग – एक ही पार्टी के दो बड़े नेता आमने-सामने।

2. रिकॉर्ड तोड़ मतदान – 707 वोट, जिसमें पहली बार डाक मत का प्रयोग।

3. हाई-प्रोफाइल भागीदारी – देश के बड़े नेताओं का वोट डालना।

4. 25 साल का दबदबा – रूडी की लगातार जीत का सिलसिला।

5. अंदरूनी खेमेबंदी – लॉबी पॉलिटिक्स और व्यक्तिगत नेटवर्किंग का असर।

चुनाव का महत्व और राजनीतिक संदेश

कॉन्स्टीट्यूशन क्लब का यह चुनाव भारतीय राजनीति का एक अनोखा उदाहरण बन गया, जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के दिग्गज एक ही मंच पर सक्रिय दिखे। भाजपा बनाम भाजपा की सीधी टक्कर, रिकॉर्ड 707 वोट, पहली बार डाक मत का इस्तेमाल और हाई-प्रोफाइल नेताओं की भागीदारी ने इसे ऐतिहासिक बना दिया। राजीव प्रताप रूडी की 25 साल की जीत की निरंतरता उनके राजनीतिक अनुभव, नेटवर्किंग और रणनीति का प्रमाण है। यह परिणाम साबित करता है कि दिल्ली की राजनीति में व्यक्तिगत संबंध और खेमेबंदी अब भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण

दुनिया में संपत्ति और पद के लिए संघर्ष अनंत है, लेकिन अंत में मनुष्य खाली हाथ ही जाता है। यह दौड़ केवल मानसिक तनाव, विवाद और असंतोष को जन्म देती है। असली जीत वह है जो आत्मा को परम शांति और मोक्ष दिलाए। संत रामपाल जी महाराज जी के तत्त्वज्ञान से हमें पता चलता है कि केवल सच्चा आध्यात्मिक मार्ग ही मनुष्य को इस संघर्ष से मुक्त कर सकता है। यहां कोई काबिज़ या वंचित नहीं, सब समान हैं और परमात्मा की कृपा के अधिकारी हैं।

संत रामपाल जी महाराज जी के बारे में और जानने के लिए  विजिट करें: 

Website : www.jagatgururampalji.org

FAQs: कॉन्स्टीट्यूशन क्लब चुनाव 2025

1. कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का सचिव पद किसने जीता?

भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने यह चुनाव जीता, उन्होंने अपनी ही पार्टी के संजीव बालियान को हराया।

2. इस बार के चुनाव को हाई-प्रोफाइल क्यों कहा जा रहा है?

क्योंकि पहली बार अमित शाह, जेपी नड्डा, सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे जैसे बड़े नेताओं ने मतदान किया।

3. इस चुनाव में कुल कितने मतदाताओं ने वोट डाले?

कुल 1295 पात्र मतदाताओं में से 707 ने वोट डाले, जो एक रिकॉर्ड है।

4. क्या अन्य पदों पर भी मुकाबला हुआ था?

नहीं, खेल सचिव, संस्कृति सचिव और कोषाध्यक्ष पदों पर उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए।

5. राजीव प्रताप रूडी कब से इस पद पर काबिज हैं?

वह 1999 से इस पद पर हैं और 2009 में चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के बाद से लगातार जीत रहे हैं।

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