शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी रहा। फरवरी के अंतिम शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी ने लगभग 2% की गिरावट दर्ज की। सेंसेक्स 1.9% (1414 अंक) की कमी के बाद 73,198 अंक पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी ने 1.86% (420 अंक) की गिरावट के साथ 22,124 अंक पर ट्रेडिंग समाप्त की। सभी प्रमुख सेक्टोरल इंडेक्सों में भी गिरावट देखने को मिली। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों के मार्केट कैप में आज 8.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक की गिरावट आई।
आईटी सेक्टर में भारी बिकवाली देखने को मिली, जिससे निफ्टी आईटी 4.18% की गिरावट के साथ कमजोर हो गया। साथ ही, निफ्टी ऑटो 3.92%, मीडिया 3.48% और एफएमसीजी 2.62% नीचे गिर गए।
मुख्य बिंदु:- शेयर बाजार में गिरावट
- बाजार में बड़ी हलचल, किसे हुआ सबसे ज्यादा नुकसान?
- बाजार में गिरावट के रहे ये मुख्य करण।
- मार्च में रिकवरी की उम्मीद बनी रहेगी या मंदी का असर जारी रहेगा ।
- विशेषज्ञों की राय के अनुसार आगे बाज़ार का रुख यही रहेगा।
कौन सबसे ज्यादा बिखरा, किसने संभाली इज्जत?
निफ्टी के प्रदर्शन में सबसे तेज गिरावट इंडसइंड बैंक के शेयरों में देखी गई, जहाँ 7.11% की कमी आई। इसके बाद टेक महिंद्रा ने 6.44%, विप्रो ने 5.43%, भारती एयरटेल ने 4.93% और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने 4.82% की गिरावट दर्ज की। वहीं, श्रीराम फाइनेंस के शेयरों में 2% की तेजी देखने को मिली, जबकि एचडीएफसी बैंक और कोल इंडिया ने 1% से अधिक की तेजी दिखाई। ट्रेंट और हिंडाल्को भी निफ्टी के शीर्ष लाभदायक शेयरों में शामिल रहे।
बीएसई के टॉप 30 में से 28 शेयरों ने कमजोर प्रदर्शन किया। सबसे अधिक नुकसान टाटा मोटर्स को हुआ, जिसने 35% की गिरावट दिखाई। इसके बाद एशियन पेंट्स (32% गिरावट), पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (30% गिरावट) और इंडसइंड बैंक (28% गिरावट) क्रमशः रहे। दूसरी ओर, बजाज फाइनेंस और कोटक महिंद्रा बैंक ने क्रमशः 12% और 2.3% की बढ़त हासिल की, जो 26 सितंबर 2024 और 27 फरवरी 2025 के दौरान दर्ज की गई।
बाज़ार में गिरावट के मुख्य कारण
मार्केट विशेषज्ञों के अनुसार, हाल के महीनों में बाज़ार की धारणा पर कई कारकों का प्रभाव पड़ा है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा की गई भारी बिकवाली, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी, रुपये में आई कमजोरी, तीसरी तिमाही की धीमी आय वृद्धि और उच्च मूल्यांकन ने बाज़ार पर दबाव बनाया है। इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लिए गए टैरिफ से जुड़े निर्णयों ने भी बाज़ार की दिशा को प्रभावित किया है।
क्या मार्च में बाजार संभलेगा या जारी रहेगी गिरावट?
मार्च का महीना ऐतिहासिक रूप से निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित होता आया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते 15 वर्षों में बेंचमार्क इंडेक्स ने 10 बार सकारात्मक रिटर्न दिया है, जिससे निवेशकों को अच्छी कमाई हुई है। इतना ही नहीं, 30 साल पहले भी मार्च में बाज़ार ने मजबूती दिखाई थी।
क्या कहती है एक्सपर्ट्स की राय?
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार का मानना है कि मार्च में बाज़ार में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है। इसके पीछे मुख्य कारण बेहतर मैक्रोइकोनॉमिक संकेतक और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिक्री की धीमी रफ्तार हो सकते हैं। चूंकि लार्जकैप स्टॉक्स का मूल्यांकन संतुलित दिख रहा है, इसलिए बीते कुछ महीनों जैसी आक्रामक बिकवाली की संभावना कम है।
विशेषज्ञों के अनुसार, दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह समय अच्छी गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश के लिए उपयुक्त हो सकता है। भारतीय इक्विटी बाजार की संभावनाओं और चुनौतियों पर विचार व्यक्त करते हुए, ओल्ड ब्रिज म्यूचुअल फंड के सीआईओ और ओल्ड ब्रिज कैपिटल मैनेजमेंट के संस्थापक एवं निदेशक केनेथ एंड्रेड ने कहा कि भारत की विकास गति सकारात्मक दिख रही है। हालांकि, इसके साथ कुछ जोखिम भी जुड़े हुए हैं, जिन पर निवेशकों को ध्यान देने की आवश्यकता है।