मनुष्य ने जल संसाधनों का यथासंभव प्रयोग किया और उसका दोहन भी किया है। आज नदियां इतनी गन्दी हो चुकी हैं कि उनका जल बिना ट्रीटमेंट के सीधा पीने योग्य नहीं बचा है। नदियों में सारे शहर की गंदगी लाकर मिला दी जाती है। कारखानों के विषाक्त पाइपलाइन सीधा नदी में मिलते हैं। आज आप देख सकते हो श्रद्धालु भगवान के लिए, मोक्ष के लिए दरिया किनारे जाते हैं, घूमने के लिए जलाशयों के निकट जाते हैं फिर नहाते हैं, कपड़े धोते हैं और सारा गंदा पानी तालाब में छोड़ा जाता है जिसकी वजह से जल प्रदूषण होता है। आज आप देख सकते हैं लोग अस्थि विसर्जन करने के लिए गंगा घाट या नदियों पर जाते हैं। यह भी जल प्रदूषित होने का एक कारण है।
समय रहते जलाशयों को बचाना आवश्यक है अन्यथा अगली पीढ़ी के लिए कुछ भी मिलना संभव नहीं है। आज मानव वृक्षों की बड़ी मात्रा में कटाई करते हैं, जिसकी वजह से बारिश नहीं होती है जिसका परिणाम यह होता है कि पानी की कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में हमारा यह फर्ज बनता है कि हमें जल संसाधन का जरूर बुद्धिमत्ता पूर्वक उपयोग करे। अपने घरों में भी हम इसे संरक्षित करने के कदम उठा सकते हैं। नल को आवश्यकता न होने पर बंद करना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए कि वर्षा जल संरक्षण करें।
आने वाली पीढ़ियों को सिखाना चाहिए कि हमें पानी को बचाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और सरकार को भी जगह-जगह चेक डैम बनाने चाहिए जिसकी वजह से पानी का सदुपयोग हो सके और मनुष्य को खुलेआम पानी को नहीं ख़राब करना चाहिए। कचरे को खुलेआम नदी या तालाब में नहीं फेकना चाहिए। घर-घर शौचालय बनवाने चाहिए जिसकी वजह से पानी को बचाया जा सके। आप सभी स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े और अपने नागरिक होने तथा मानव होने के कर्त्तव्यों पर ध्यान दें। अपनी जागरूकता केवल पर्यावरण दिवस के लिए न रहने दें।