भारत देश के प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित है । यह यमुना नदी के किनारे पर है और इसको सभी प्रेम का प्रतीक मानते है क्योंकि मुगल शासक शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। मुमताज महल शाहजहां की सबसे प्रिय पत्नी थीं। इस प्रसिद्ध मकबरे का निर्माण 1632 में प्रारंभ हुआ और 1653 में बन कर पूरा हुआ था।
इसको बनने में 22 वर्ष लगे थे और इसको बनाने में लगभग 20 हजार कारीगरों का योगदान रहा। यह सफेद रंग के संगमरमर से बना हुआ है और इसकी खूबसूरती लोगों के मन मोह लेती है।
ताजमहल: मुख्य बिंदु
- ताजमहल ,उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे पर स्थित है।
- यह स्मारक प्रेम का प्रतीक इसलिए कहा जाता है क्योंकि मुगल शासक शाहजहां ने उनकी प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था।
- ताजमहल का निर्माण 22 वर्षों में पूर्ण हुआ जो कि 1632 में शुरू हुआ और 1653 में पूर्ण हुआ था ।
- ताजमहल को 1983 में युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
- इस मगबरे का सौंदर्य इतना मनमोहक है कि प्रत्येक वर्ष लाखों पर्यटक इस अद्वितीय धौरहर को देखने आते हैं।
- मुमताज़ महल , शाहजहां की प्रिय पत्नी थीं, जिनकी मृत्यु 1631 में अपने 14वें बच्चे को जन्म देते समय हो गई थी।
- इस मकबरे को बनाने में लगभग 20 हजार कारीगरों , शिल्पकारों ,वास्तुकारों और मजदूरों ने अपना योगदान दिया था।
- ताजमहल की वास्तुकला में मुगल और फारसी वास्तुकला के तत्व शामिल हैं।
- ताजमहल लगभग 42 एकड़ (17 हैक्टेयर) के क्षेत्र में फैला हुआ है , इसके साथ एक मस्जिद ,एक गेस्ट हाउस और एक औपचारिक उद्यान भी शामिल है।
- केवल ईश्वरीय प्रेम ही मनुष्य को अमरता प्रदान कर सकता है।
ताजमहल की वास्तुकला: शिल्पकला का बेजोड़ नमूना और निर्माण का अद्वितीय इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि इस स्मारक का मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को माना जाता है। ये स्मारक भारतीय ,फारसी और तुर्की वास्तुकला का विशेष मिश्रण है।
आप देख भी सकते है इस को प्रत्यक्ष इसके चारों ओर चार ऊंची ऊंची मीनारें बनाई गई हैं, ये थोड़ी सी झुकी हुई बनाई गई हैं ताकि भूकंप आने पर मुख्य इमारत पर कोई असर न पड़े। इसका मुख्य गुंबद लगभग 73 मीटर ऊंचा है साथ ही इसकी सुंदरता अवर्णनीय है।
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दूर से ही लोगों को मनमुग्ध कर देने वाला ये स्मारक भारत की धरा पर सबसे सुंदर अजूबा है। इस मकबरे के अंदर शाहजहां और उनकी प्रिय पत्नी मुमताज महल की कब्रें बनाई गई हैं परंतु ऐसा कहा जाता है कि असली कब्रें तो तहखाने में स्थित हैं । ताजमहल को कितनी ही बार देखा जाए ,ऐसा लगता है कि हर बार यह अपना आकार सा बदलता है । इसमें जो सफेद संगमरमर लगाया गया है इसकी शोभा तो न्यारी है । बहुत ही मनमोहक दृश्य, लोगों को बहुत लुभाता है । लोगों का कहना है देखने से मन नहीं भरता है ।
ताजमहल: ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक मान्यताओं का प्रतीक
आपको बता दें कि ताजमहल प्रेम का प्रतीक कहा जाता है, जिसको 1983 में युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया है। इस स्मारक को दुनिया के सात अजूबों में गिना जाता है और ये मकबरा भारत की पहचान है। प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक इसकी खूबसूरती को देखने आते हैं। जानकार हैरानी होगी कि वर्तमान में बढ़ते वायु प्रदूषण से इसमें प्रयोग किए गए सफेद संगमरमर के पत्थर पर इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। यह धीरे धीरे पीलेपन पर आता जा रहा है। इसकी सुरक्षा के लिए सरकार बहुत प्रयास कर रही है।

ताजमहल एक आकर्षक सुन्दर महिला के प्रति श्रद्धांजलि तथा एक प्रेम कहानी के स्मारक के रूप में, वास्तव में एक ऐसे प्रेम का चिरस्थायी रोमांस जो अभी समाप्त नहीं हुआ है, ताजमहल अपने दर्शकों के सामने अपनी सूक्ष्मताओं को प्रकट करता है।
ताजमहल की अद्वितीय विशेषताएँ
(1) ताजमहल में जो सफेद संगमरमर लगाया गया है इसमें बहुत बारीक नक्काशी और कलात्मक सुंदर डिज़ाइन बनाई गईं है जो इसे अद्वितीय बनाते हैं।
(2 ) जानकार हैरानी होगी कि ताजमहल के ठीक सामने एक बहुत सुंदर – मनमोहक चारबाग है, इस बाग में फव्वारे और जलाशय हैं । इस मगबरे का प्रतिबिंब पानी में दिखाई देता है ,जिससे इस स्मारक का सौंदर्य और निखर जाता है ।
(3) ताजमहल की वास्तुकला बहुत ही दुर्लभ है। इसकी दीवारों पर कुरान शरीफ़ की आयतें ख़ुद कर लिखी गई हैं और इसमें बेशुमार कीमती पत्थर जड़े हुए हैं ।
(4 ) इसकी यह खासियत तो अनोखी है ये सुबह के समय हल्का सा गुलाबी , दोपहर के समय चमकदार सफेद और यदि संध्याकाल में देखा जाए तो हल्का सुनहरा दिखाई पड़ता है ।
(5) ताजमहल को बनाने में सफेद संगमरमर, लाल पत्थर, सोना ,नीलम ,मोती, पीतल और अनेकों रत्नों का उपयोग किया गया है ।
(6) दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल लकड़ियों पर खड़ा हुआ है । ये ऐसी लकड़ी है जिसे मजबूत रहने के लिए नमी की जरूरत होती है जो यमुना नदी से मिलती रहती है ।
केवल ईश्वरीय प्रेम ही मनुष्य को अमरता प्रदान कर सकता है
क्या सिर्फ प्रेम प्रसंग के लिए ही मनुष्य जन्म मिलता है । यह तो पशु- पक्षियों में भी होता है फिर मनुष्य और पशु में क्या अंतर रहा! हम अपने जीवन में विभिन्न कर्तव्यों का पालन करते हैं, जैसे माता-पिता की सेवा करना, बच्चों का पालन-पोषण करना, उन्हें शिक्षित करना और उनका विवाह कराना। इन सभी कार्यों को करते-करते हम एक और अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य को भूल जाते हैं, जिसे सतभक्ति कहते हैं।
कबीर साहेब कहते हैं –
मनुष्य जन्म दुर्लभ है ,मिले न बारंबार ।
तरुवर से पत्ता टूट गिरे, फिर न लगता डार।।
सतभक्ति के बिना मानव जीवन उस कुएँ के समान है, जिसमें जल नहीं होता। इसलिए, हमें तत्वदर्शी संत को गुरु बनकर उनके द्वारा बताए अनुसार सतभक्ति करना आवश्यक है। इससे न केवल हमें इस जीवन में सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि आर्थिक, मानसिक, सामाजिक आदि अनेक लाभ भी मिलते हैं साथ ही मृत्यु के उपरांत मोक्ष मिलता ही है। अधिक जानकारी के लिए यूट्यूब चैनल संत रामपाल जी महाराज पर विजिट करें।