सुप्रीम कोर्ट ने संभल स्थित शाही जामा मस्जिद से जुड़े विवाद में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्थिति रिपोर्ट मांगी है। यह नोटिस मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से दायर याचिका पर जारी किया गया है। याचिका में समिति ने जिला प्रशासन से यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देने की मांग की थी। विवाद उस कुएं को लेकर है, जिसकी खुदाई मस्जिद की सीढ़ियों के पास की जा रही है।
मुख्य बिंदु
- सुप्रीम कोर्ट ने विवादित कुएं की पूजा पर लगाई रोक
- शाही जामा मस्जिद प्रबंधन ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को दी चुनौती
- कुएं को लेकर दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में रखी अपनी दलीलें
- अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी
पूजा पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार शामिल हैं, ने प्रशासन को नगर पालिका के उस नोटिस पर किसी प्रकार की कार्रवाई करने से रोका है, जिसमें सार्वजनिक कुएं को हरि मंदिर बताते हुए उसकी पूजा की अनुमति दी गई थी। अदालत ने पूजा पर फिलहाल रोक लगा दी है, हालांकि कुएं के सार्वजनिक उपयोग की अनुमति दी गई है।
मस्जिद प्रबंधन की आपत्ति
मस्जिद प्रबंधन समिति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ट्रायल कोर्ट के 19 नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें मस्जिद का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था। मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील हुफैजा अहमदी ने किया, जबकि वादी पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन ने पक्ष रखा।
जैन ने अदालत को बताया कि विवादित कुआं मस्जिद परिसर के बाहर स्थित है। इसके विपरीत, अहमदी ने तर्क दिया कि कुआं आंशिक रूप से मस्जिद के भीतर और आंशिक रूप से बाहर है और इसका उपयोग मस्जिद की जरूरतों के लिए किया जाता है।
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अदालत ने कहा कि अगर कुएं का उपयोग मस्जिद के बाहर से हो रहा है, तो इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति स्पष्ट होने तक विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।
कुएं पर दोनों पक्षों की दलीलें
वरिष्ठ अधिवक्ता हुफैजा अहमदी ने तर्क दिया कि विवादित कुआं आंशिक रूप से मस्जिद परिसर के भीतर और आंशिक रूप से बाहर स्थित है। उन्होंने दावा किया कि कुएं का उपयोग मस्जिद की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जा रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि यदि कुएं का उपयोग मस्जिद परिसर के बाहर से किया जा रहा है, तो इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
अगली सुनवाई 21 फरवरी को निर्धारित
वरिष्ठ अधिवक्ता अहमदी ने तर्क दिया कि कुएं का इस्तेमाल मस्जिद से जुड़े कार्यों के लिए किया जा रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए याचिका पर नोटिस जारी किया और आदेश दिया कि फिलहाल नगर पालिका के नोटिस को लागू नहीं किया जाएगा। अदालत ने निर्देश दिया कि नोटिस के जवाब में दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस दौरान नगर पालिका के नोटिस को निष्प्रभावी माना जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी, 2025 को होगी। साथ ही सर्वेक्षण रिपोर्ट को सील में संरक्षित रखा जाएगा और किसी भी नए निर्देश को पारित करने से परहेज किया जाएगा।