आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया हमारी ज़िंदगी का एक बहुत ज़रूरी हिस्सा बन गया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और ट्विटर (X) जैसे ऐप्स की वजह से कोई भी बात या खबर मिनटों में सभी तक पहुँच जाती है। लेकिन इसका एक नकारात्मक पक्ष भी है। फेक न्यूज़ (झूठी खबरें) भी उतनी ही तेज़ी से लोगों तक पहुँच जाती हैं। यह समस्या अब काफी बढ़ गई है, जिससे न केवल समाज में गड़बड़ी होती है, बल्कि लोगों की चिंता भी बढ़ती है और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
सोशल मीडिया की भूमिका
सोशल मीडिया सूचना के आदान-प्रदान का सबसे तेज़ माध्यम बन गया है। यहाँ कोई भी व्यक्ति बिना रोक-टोक के कंटेंट साझा कर सकता है। इसी खुलेपन के कारण सही जानकारी के साथ-साथ गलत और भ्रामक सूचनाएँ भी बहुत तेज़ी से फैलती हैं। युवाओं को चाहिए कि वे सोशल मीडिया को ज्ञान और सकारात्मकता का माध्यम बनाएं, न कि अफवाहों का। सही जानकारी चुनना आज की सबसे बड़ी समझदारी है। भारत में फेक न्यूज़ फैलाने पर आईटी एक्ट और अन्य कानूनों के तहत कार्रवाई का प्रावधान भी है, इसलिए जिम्मेदार नागरिक बनना हर व्यक्ति का कर्तव्य है।
गलत सूचना क्या है?
“गलत सूचना” का सीधा अर्थ है ऐसी खबर जो या तो पूरी तरह झूठी होती है या अधूरी सच्चाई पर आधारित होती है। इन्हें अक्सर चटपटी हेडलाइंस, एडिट की हुई तस्वीरों या पुराने वीडियो के माध्यम से फैलाया जाता है, ताकि लोग आसानी से इनके झांसे में आ जाएँ और इन्हें सच मान लें।
सोशल मीडिया पर गलत सूचना कैसे फैलती है?
सोशल मीडिया का एल्गोरिदम इस तरह काम करता है कि जो चीज़ें ज्यादा सनसनीखेज या भावनात्मक होती हैं, वे अपने आप अधिक लोगों तक पहुँच जाती हैं। लोग ऐसी पोस्ट देखकर तुरंत भावुक हो जाते हैं और बिना जांचे कि खबर सही है या नहीं, उसे आगे शेयर कर देते हैं। इसी जल्दबाज़ी की वजह से गलत सूचनाएँ सच की तुलना में ज़्यादा तेज़ी से वायरल हो जाती हैं।
समाज पर गलत सूचना का प्रभाव:
गलत सूचना आज केवल एक ऑनलाइन अफवाह नहीं रह गई है, बल्कि यह समाज के लिए एक धीमे ज़हर की तरह काम कर रही है। जब सच की जगह झूठ लोगों तक पहुँचता है, तो बेवजह का डर, मानसिक तनाव और आपसी अविश्वास बढ़ता है। इससे वर्षों पुराना भाईचारा कमजोर हो जाता है। कई बार एक छोटी-सी अफवाह बड़े विवाद का रूप ले लेती है और समाज का माहौल बिगड़ जाता है।
सबसे खतरनाक स्थिति तब होती है जब गलत सूचना स्वास्थ्य से जुड़ी हो। बीमारी या इलाज को लेकर फैलाई गई झूठी खबरें किसी की जान के लिए भी खतरा बन सकती हैं।
युवाओं और मानसिक स्वास्थ्य पर असर:
सोशल मीडिया पर फैली नकारात्मक और झूठी बातें युवाओं के मन पर गहरा असर डाल रही हैं। इससे उनमें डर और भ्रम इतना बढ़ जाता है कि वे सही निर्णय नहीं ले पाते और अपने लक्ष्यों से भटक जाते हैं। यह बनावटी दुनिया उन्हें इस कदर उलझा देती है कि धीरे-धीरे उनका आत्मविश्वास, खुशियाँ और रचनात्मकता कम होने लगती है, जो उनके भविष्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है। जब कोई झूठी खबर बार-बार दिखाई देती है, तो धीरे-धीरे वह सच जैसी लगने लगती है, जिससे युवाओं की सोच और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है।
उदाहरण के तौर पर, परीक्षा, नौकरी या करियर से जुड़ी झूठी खबरें कई युवाओं में बेवजह तनाव और अवसाद पैदा कर देती हैं। कई बार सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली अफवाहें यह भ्रम पैदा करती हैं कि “सब कुछ खत्म हो गया है” या “भविष्य सुरक्षित नहीं है”, जिससे युवा निराशा और हताशा की स्थिति में चले जाते हैं।
स्वास्थ्य से जुड़ी फेक न्यूज़ भी युवाओं के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है। किसी बीमारी, वैक्सीन या दवा को लेकर फैलाई गई गलत जानकारी के कारण कई युवा डर के कारण सही इलाज से दूर हो जाते हैं या गलत निर्णय ले बैठते हैं। सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों में महसूस किया जाता है।
गलत सूचना की रोकथाम कैसे करें?
किसी भी खबर को साझा करने से पहले रुकना और उसकी जांच करना ही सबसे बड़ी समझदारी है। आँख बंद करके भरोसा करने के बजाय हमेशा उसका स्रोत जांचें या गूगल जैसी विश्वसनीय जगहों से पुष्टि करें। याद रखें, झूठ की इस श्रृंखला को केवल आपकी जागरूकता ही तोड़ सकती है।
इसलिए ज़िम्मेदार बनें और बिना परखे कोई भी जानकारी आगे न बढ़ाएँ। आपकी थोड़ी-सी सावधानी समाज को बड़े नुकसान से बचा सकती है। अफवाहों का हिस्सा बनने के बजाय सच्चाई का साथ दें। खुद भी जागरूक बनें और दूसरों को भी जागरूक करें।
भारत सरकार और कई डिजिटल प्लेटफॉर्म भी फेक न्यूज़ को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) का Fact Check पोर्टल, सोशल मीडिया पर फैल रही झूठी खबरों की जांच करता है और सही जानकारी जनता तक पहुँचाता है।
खबर की जांच कैसे करें?
- खबर का स्रोत (Source) देखें
- तारीख और पुरानी खबरों की तुलना करें
- हेडलाइन नहीं, पूरी खबर पढ़ें
- तस्वीर/वीडियो को Google Reverse Image से जांचें
- एक से अधिक विश्वसनीय वेबसाइट से पुष्टि करें
यह भी देखें :- सोशल मीडिया बनाना असली जीवन: युवा पीढ़ी किस दिशा में जा रही है?
संत रामपाल जी महाराज के संदेश और सत्य ज्ञान का महत्व
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि गलत सूचना और भ्रम का मुख्य कारण अज्ञान है। जब व्यक्ति बिना जांचे किसी बात पर विश्वास करता है, तो वह झूठ और अफवाहों का शिकार बन जाता है। श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 16 श्लोक 4 में अज्ञान से उत्पन्न झूठे आचरण की निंदा की गई है।
संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, सत्य ज्ञान अपनाने से ही सही और गलत की पहचान होती है। जैसे सोशल मीडिया पर हर खबर की जांच आवश्यक है, वैसे ही आध्यात्मिक जीवन में भी प्रमाण जरूरी है। वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज शास्त्रों से प्रमाणित भक्ति विधि और मोक्ष का ज्ञान बताते हैं। अधिक जानकारी के लिए प्ले स्टोर व ऐप स्टोर से “संत रामपाल जी महाराज ऐप” डाउनलोड करें।

