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Home » स्मार्ट युग बदल रहा बच्चों के भावनात्मक और सामाजिक विचार 

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स्मार्ट युग बदल रहा बच्चों के भावनात्मक और सामाजिक विचार 

SA News
Last updated: November 20, 2024 2:06 pm
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स्मार्ट युग बदल रहा बच्चों के भावनात्मक और सामाजिक विचार 
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वर्तमान युग को हम डिजिटल युग भी कह सकते हैं । इस युग में मोबाइल का उपयोग इतना अधिक हो चुका है कि इसके बिना बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग भी अछूते नहीं रहे हैं । इस आधुनिक फैशन के दौर में मोबाइल फोन का इस्तेमाल ट्रेंड बन चुका है। बात सिर्फ इतनी ही नहीं,बल्कि बच्चों को खाना खिलाने, उनका मनोरंजन कराने, रोने पर शांत करवाने, या उनको किसी कारण से रूठने पर मनाने के लिए भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया जा रहा है । आखिर बच्चों को क्यों पकड़ा दिया जाता है स्मार्ट फोन ?  मोबाइल फोन के प्रयोग दौरान बच्चों के शारीरिक विकास और मानसिक विकास पर बहुत ही ज्यादा गंभीर असर पड़ता है।

Contents
बच्चों से जुड़े सामाजिक संबंध कैसे हो रहे मोबाइल फोन से प्रभावित साइबर-धमकी तो दूसरी ओर ऑनलाइन शिकारियों का शिकार हो रहे बच्चेबच्चों द्वारा मोबाइल का प्रयोग बदले में नुकसानमोबाइल के प्रयोग से माता – पिता कैसे अपने बच्चों को बचाएं 

इस प्रकार बच्चों द्वारा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना उनके माता – पिता को भविष्य में बहुत भयंकर परेशानियां खड़ी कर सकता है । समय रहते हमें जागरूक होना अतिआवश्यक है क्योंकि हम समझते हैं बच्चे का मनोरंजर हो रहा है, परंतु इसके बदले बच्चे का शारीरिक विकास और मानसिक विकास में बहुत ही गड़बड़ी हो चुकी होती है।अकसर बच्चे पढ़ाई का बहाना बनाने लगे कि हमें हमारी स्टडी के लिए मोबाइल फोन इस्तमाल करना है और तुरंत ही पालक अपने बच्चों को मोबाइल फोन दे देते हैं । पालकों (माता -पिता) को समझना चाहिए कि बच्चे इस स्मार्ट टेक्नोलॉजी के माध्यम से अन्य प्लेटफार्म पर भी जुड़ जाते हैं और उनके शिकार हो जाते हैं ।

जब स्मार्ट युग नहीं था तब भी बच्चे शिक्षा प्राप्त कर वैज्ञानिक, डॉक्टर , इंजिनियर, टीचर ,आदि बनते रहे हैं lफिर वर्तमान युग के बच्चे स्मार्टफोन के बिना पढ़ाई क्यों नहीं कर सकते? जबकि बच्चों को मोबाइल फोन के इस्तमाल से दुष्प्रभाव  के संबंध में गूगल प्लेटफॉर्म या अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से बार बार यही बताया जा रहा है कि इसका उपयोग न के बराबर करना चाहिए।

बच्चों से जुड़े सामाजिक संबंध कैसे हो रहे मोबाइल फोन से प्रभावित 

वर्तमान युग के बच्चों पर बार – बार एक टिप्पणी  की जाती है कि आजकल के बच्चों का दिमाग तो कंप्यूटर जैसा है, इनको पहले से कितना ज्ञान है जो वर्तमान के बुजुर्गों को भी नहीं है । फिर भी हम बच्चों पर यह ध्यान नहीं देते है कि यह मोबाइल फोन का प्रयोग कितने समय से, कबतक और क्यों करते हैं । मोबाइल फोन के इस्तमाल ने बच्चों को इतना व्यस्त कर दिया है कि उनके पास अपने माता-पिता के साथ बैठकर बात करने तक का समय नहीं है ।

उन्हें यह पता भी नहीं होता है कि घर – परिवार से लेकर पड़ोस – मोहल्ले में क्या चल रहा है?पढ़ाई तो एक बहाना बन चुका है और इस पढ़ाई की चादर ओढ़ कर बच्चे केवल मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं । सामाजिक जीवन से जुड़ी कला के अभाव में बच्चे  घर – परिवार में तालमेल नहीं बिठा पाते।के साथ क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता है कि कैसे रखना होता है  सामाजिक संबंधों के बीच अपना व्यवहार । आजकल के बच्चों को केवल मोबाइल फोन ही दिखाई देता है ।आप स्वयं भी यह देख सकते हैं कि बच्चों में विचारों के बदलने का कारण केवल मोबाइल फोन का उपयोग ही है।

साइबर-धमकी तो दूसरी ओर ऑनलाइन शिकारियों का शिकार हो रहे बच्चे

मोबाइल फोन का उपयोग जितना अच्छा है,उससे ज्यादा जोखिम उत्पन्न करने वाला है । देखा गया है कि बच्चे मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग करने के कारण साइबरबुलिंग और ऑनलाइन शिकारियों के जाल में फंस चुके हैं। कभी – कभी बच्चे भूलवश अपनी या परिवार की व्यक्तिगत जानकारी देकर पूरे परिवार को जोखिम में डाल देते हैं। माता – पिता को इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि हमारे बच्चे मोबाइल फोन का इस्तमाल के दौरान जोखिम भरे ऑनलाइन व्यवहार में संलग्न हो सकते हैं।इसलिए सभी माता-पिता को अपने बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा के संबंध में पूर्ण शिक्षित करना चाहिए और उससे जुड़े दिशा-निर्देशों से भी रूबरू करने चाहिए । बच्चों पर ऑनलाइन गतिविधियों के संबंध में निगरानी करनी चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा भी मोबाइल फोन का उपयोग करने वाले बच्चों से जुड़े जोखिमों  को कैसे पहचान सकें, इस पर जोर दिया जा रहा है। यह जानना जरूरी है कि दो से चार वर्ष के बच्चों को मोबाइल स्क्रीन के सामने  1घंटा/दिन बैठना हितकारी नहीं है। अभी कहा जा रहा है कि इस क्षेत्र में शोध कम किया जा रहा है । स्मार्ट टेक्नोलोजी को बच्चों के शारीरिक विकास और मानसिक विकास न होने का कारण भी बताया जा रहा है । क्योंकि बच्चे मोबाइल फोन में इतने व्यस्त हो चुके हैं कि खाना पीना भी समय पर नहीं करते हैं और सोचना – समझना भी दुर्लभ माना जाने लगा है ।

बच्चों द्वारा मोबाइल का प्रयोग बदले में नुकसान

  • स्मार्ट युग बदल रहा है बच्चों के भावनात्मक विचार । इसी लिए बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है।
  • मोबाइल फोन का उपयोग बच्चों की उड़ा रहा है नींद , इससे उनकी पढ़ाई पर भी बुरा असर हो रहा है।
  • अकेले रहना पसंद करने लगे हैं बच्चे और स्मार्ट टेक्नोलोजी ने छीन लिया घर – परिवार से तालमेल।
  • मोबाइल/ इंटरनेट के प्रयोग दौरान बच्चे पकड़ लेते हैं गलत रास्ता , फिर हो जाता है परिवार भारी जोखिम का शिकार।
  • स्मार्ट टेक्नोलोजी की व्यस्तता में बच्चों में नहीं हो पाता है सामाजिक विकास , सोचने सामने की क्षमता हो जाती है कम।
  • मोबाइल में व्यस्त बच्चे बाहर खेलने नहीं जाते तो नहीं हो पाता उनमें व्यक्तित्व विकास।
  • मोबाइल से निकलने वाली लाइट की तरंगें कर देती हैं बच्चों की आंखों को खराब , कम उम्र में ही लग जाता है चश्मा।
  • मोबाइल फोन के प्रयोग दौरान बच्चे हो सकते हैं न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के शिकार।
  • ट्यूमर के शिकार भी हो सकते हैं ज्यादा मोबाइल चलाने वाले बच्चे ,नहीं हो पाएगा उनमें मानसिक विकास।
  • ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले बच्चों में सिरदर्द ,थकान , उदासीनता , कार्य में रुचि न होने जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं ।

मोबाइल के प्रयोग से माता – पिता कैसे अपने बच्चों को बचाएं 

वर्तमान समय में मोबाइल फोन का इतना रुझान बढ़ गया है कि बच्चे भी इससे अछूते नहीं रह पाए। जानिए बच्चों को को इसके दुष्प्रभावों से बचाने के उपाय।

  • बच्चों पर नजर रखना जरूर है कि वह मोबाइल फोन का इस्तेमाल कितने समय तक करता है । उनको सीमित समय तक ही करने दें मोबाइल फोन।
  •  बच्चे के मोबाइल फोन के पासवर्ड के संबंध में होनी चाहिए माता –  पिता को जानकारी।
  • हमें समय-समय पर ये भी देखते रहना चाहिए कि बच्चा मोबाइल में कौनसे ऐप्स उपयोग करता है।मोबाइल फोन पर सेफ्टी कंट्रोल एवं पॉप अप ब्लॉकर्स उपयोग करना अतिआवश्यक है।
  • बच्चों को प्रेरित करें कि स्पोर्ट्स फील्ड / फिजिकल एक्टिविटीज कितनी महत्वपूर्ण है, जिससे वह इससे जुड़े और मोबाइल फोन से रखें दूरी।
  • माता पिता को बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए,जिससे वह अकेलापन महसूस न करें।अकसर बच्चे अकेलेपन के कारण मोबाइल फोन का प्रयोग करने लगते हैं।
  • यदि बच्चा ज्यादा छोटा है,तो रोने या रूठने पर मोबाइल फोन की जगह कोई खिलौना दें या कहीं घुमाने ले जाएं।

वर्तमान में मोबाइल फोन के बढ़ते रुझान ने सभी के जीवन में हलचल मचा रखी है, इसके ज्यादा उपयोग से आपसी संबंध भी खराब होते हैं। इसी लिए मोबाइल फोन का उपयोग सीमित करना चाहिए।

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