मानव का जीवन और जीवन में रंग का अदभुत ही मेल है, रंग कई प्रकार के होते हैं हरा,लाल, नारंगी, पीला, बैंगनी आदि क्या आप जानते हैं कि इन रंगो में छुपा है शक्ति का भंडार, रंग भी असली और नकली होते हैं रंगो की शक्ति और अनोखी जानकारी से आज हम रूबरू होगें कैसे रंग हमारे जीवन को खुशियों के रंगो से भर सकता है, तो बने रहें हमारे इसी लेख में :
मानव जीवन में रंग का महत्त्व
मानव जीवन को सृष्टिकर्ता ने मनुष्य को देवता और नर से नारायण बनने की संभावनाओं से भर रखा है। मानव के भीतर दिव्य शक्ति छुपी हुई है, और उनके शरीर में स्थित रंगों में अद्भुत रहस्य छिपा है, जो उनके जीवन को खुशियों के रंगों से भर सकता है। आइए, इन शक्तियों और रंगों के रहस्यों को जानें:
आध्यात्मिक और योगिक दृष्टिकोण से, शरीर के भीतर स्थित ऊर्जा केंद्रों को चक्र या कमल चक्र के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक चक्र में अलग-अलग शक्तियाँ और रंग विद्यमान होते हैं। धार्मिक ग्रंथों और साधकों ने इन चक्रों की गहराई से व्याख्या की है, लेकिन ज्ञान के अभाव में हम इनके पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं कर पाते।
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स्थूल शरीर में 7 प्रमुख चक्र माने गए हैं। प्रत्येक चक्र का अपना विशिष्ट स्थान, रंग, तत्व, और प्रतीक होता है। यहाँ हम इन चक्रों और उनके रंगों को विस्तार से समझेंगे:
1. मूलाधार चक्र (Muladhara Chakra) (मूल कमल)
- स्थान: रीढ़ की हड्डी के आधार पर (मूल स्थान)।
- निवास और अधिपत्य: गणेश जी
- पंखुड़ी: चार पंखुड़ी का कमल
2. स्वाधिष्ठान चक्र या स्वाद कमल (Svadhishthana Chakra)
- स्थान: मुलकमल के दो इंच उपर रीढ़
की हड्डी में अंदर की ओर चिपका हुआ है ।
- पंखुड़ी: छः पंखुड़ी का कमल
- निवास और अधिपत्य: ब्रह्म, सावित्री जी
3. मणिपूर चक्र (Manipura Chakra)(नाभि कमल चक्र)
- स्थान: नाभि के सामने उसी रीढ़
की हड्डी से साथ चिपका हुआ है।
- निवास और अधिपत्य: विष्णु, लक्ष्मी जी
- पंखुड़ी: आठ पंखुड़ी का कमल
4. अनाहत चक्र (Anahata Chakra) या हृदय कमल
- स्थान: यह कमल सीने में बने दोनो स्तनों के बीच में रीढ़ की हड्डी के साथ लगा हुआ है।
- निवास और अधिपत्य: शिव, पार्वती जी
- पंखुड़ी: बारह पंखुड़ी का कमल
5. विशुद्ध चक्र (Vishuddha Chakra) या (कंठ कमल)
- स्थान: यह कमल (चक्र) छाती की हड्डी के उपर गले में पीछे रीढ़ की हड्डी में लगा हुआ है।
- पंखुड़ी: सोलह पंखुड़ियों का कमल
- निवास और अधिपत्य: दुर्गा (प्रकृति)
6. आज्ञा चक्र या (Agya Chakra) या त्रिकुटी कमल
- स्थान: दोनों भौहों के बीच में मस्तिष्क के पिछले हिस्से में कमलों की पंक्ति से लगा हुआ है। इसको योगीजन और साधक तीसरी आँख की संज्ञा भी देते हैं।
- पंखुड़ी: दो पंखुड़ी का कमल
- निवास और अधिपत्य: सत्य पुरूष रूप में स्वयं परमात्मा
7. सहस्रार चक्र (Sahasrara Chakra)
- स्थान: यह कमल सिर के मध्य भाग से दो अंगुल नीचे कमलों की पंक्ति में लगा हुआ है। जहां हिंदू अपनी चोटी रखते हैं उसके नीचे सहस्त्र कमल है।
- पंखुड़ी: सहस्त्र (हजार) पंखुड़ी का कमल
- निवास और अधिपत्य: अक्षर पुरुष या काल ब्रह्म है जिसको ज्योति निरंजन भी कहते हैं।
विशेष: मूलाधार चक्र में लाल रंग है साथ के सभी चक्रों में अलग अलग रंगों जैसे नारंगी, बैंगनी,सफेद, इंडिगो (गहरा नीला),पीला, गुलाबी, आदि शक्तियों के साथ विद्यमान है।
जिसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी कोई दिव्य महा पुरुष ही बता सकता है।
वास्तविक रंग: भक्ति और नाम की शक्ति
मानव शरीर में आलौकिक शक्तियों के साथ में इन चक्रों (कमलों) और रंगो का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, जिससे हमारा जीवन खुशियों के रंगो से भर सकता है। इस प्रकार के रंग (लाभ) हमें केवल तत्व दर्शी संत के पास जाकर उनके तत्व ज्ञान को समझने और नाम उपदेश लेने से सुलभ ही प्राप्त हो जाते हैं, साथ ही सतलोक में स्थान भी प्राप्त होता है।
आज संत रामपाल जी महाराज वो तत्वदर्शी संत हैं जिनसे नाम उपदेश प्राप्त करने से उनके लाखों और करोड़ो अनुयायिओं को सर्व सुख प्राप्त हो रहा है उनका जीवन खुशियों के रंगो से भर रहा है। कैंसर, एड्स, जैसी लाईलाज बीमारियों से भी छुटकारा मिल रहा है।
परमात्मा की वाणी कहती है :
सतनाम पालड़े रंग होरी हो, तो न तुले तुलाया राम रंग होरी हो।
चौदह लोक पासंग धरे रंग होरी हो, तो न तुले तुलाया राम रंग होरी हो।
असली रंग तो केवल नाम और भक्ति की ही है, बाकी बाहरी रंग तो नकली और क्षणिक हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी के तत्व ज्ञान को समझने के लिए Sant Rampal Ji Maharaj app डाउनलोड करें और वेब साइट www.jagatgururampalji.org पर visit करें।