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Home » भागदौड़ भरी ज़िंदगी में सुकून का कोना – शहरी बागवानी

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भागदौड़ भरी ज़िंदगी में सुकून का कोना – शहरी बागवानी

Manpreet
Last updated: October 14, 2025 11:32 am
Manpreet
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भागदौड़ भरी ज़िंदगी में सुकून का कोना – शहरी बागवानी
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बागवानी वर्तमान समय में कुदरत से जुड़ने का एक अच्छा तरीका है। इससे केवल मन ही शांत नहीं होता, बल्कि तन को भी स्वस्थ रहता है। जीवन में व्यस्तता और सीमित जगह के बावजूद भी घर पर बागवानी की जा सकती है।

Contents
  • क्या है शहरी बागवानी 
  • कम जगह, ज्यादा हरियाली: कंटेनर गार्डनिंग का जादू
  • शहरी बागवानी का नया ट्रेंड: वर्टिकल गार्डेनिंग
  • मिट्टी नहीं, पानी बनेगा खेत – एक्वापोनिक गार्डनिंग की खासियत
  • छत पर बगिया, घर में ठंडक – स्मार्ट शहरों की स्मार्ट बागवानी
  • रसोई का कचरा बनेगा बगिया का पोषण – अपनाएं किचन गार्डेनिंग
  • सजावटी पौधे: घर की सुंदरता और शुद्ध हवा, एक साथ
  • सच्ची भक्ति ही है आत्मा की असली देखभाल – संत रामपाल जी 

क्या है शहरी बागवानी 

आजकल की इतनी तेज ओर व्यस्त जिंदगी में शहरों में हरियाली गायब होती जा रही है। चारों और बड़ी – बड़ी बिल्डिंग्स, पक्की सड़के, ओर बहुत कम खुली जगह है, जिससे लोग प्राकृति से दूर होते जा रहे हैं। अब शहरों में रहने वाले लोग अपने घरों में बागवानी करके ताजा सब्जियां और पल उगाने लगे हैं। इससे उन्हें चीजों के साथ – साथ घर का माहौल भी हरा – भरा और अच्छा हो जाता है। इसे ही शहरी बागवानी या Urban Gardening कहते है। जिससे कम जगह में काम का बगीचा बनाया जा सकता है।

कम जगह, ज्यादा हरियाली: कंटेनर गार्डनिंग का जादू

शहरी में जगह की कमी सबसे बड़ी समस्या होती है। ऐसे में लोग गमलों, प्लास्टिक की बाल्टियां और पुराने वर्तनों में पौधे लगाते हैं, इसे कंटेनर गार्डेनिंग कहते हैं । छोटे गमलों में आप बिना किसी दिक्कतें के तुलसी, धनिया, पुदीना, हरि मिर्च और टमाटर जैसे पौधे लगा सकते हैं । इसे आप अपनी बालकनी, खिड़की ओर छत पर रख सकते हैं।

शहरी बागवानी का नया ट्रेंड: वर्टिकल गार्डेनिंग

अगर आपके घर में जगह की कमी है और गार्डन बनने की जगह नहीं मिल रही, तो आप आपके घर की खाली दीवारों का इस्तेमाल करके भी पौधे उगा सकते हैं, इसे वर्टिकल गार्डेनिंग कहा जाता है। इसमें पौधों को जमीन पर नहीं ऊपर – नीचे, एक के ऊपर एक या लाइन से दीवारों पर लगा सकते हैं। इसके लिए आप गमले, लकड़ी से स्टैंड या मेटल रैक का उपयोग कर सकते हैं। जिससे घर की जगह बचती है और दीवारें भी सुंदर लगती हैं। इस तरीके से आप पालक, मेथी, ओर शोभा बढ़ाने वाले पौधे जैसे मनी प्लांट लगा सकते हैं।

मिट्टी नहीं, पानी बनेगा खेत – एक्वापोनिक गार्डनिंग की खासियत

शहरों में जहां मिट्टी और जगह की कमी होती है, वहां पर लोग बागवानी के नए तरीके अपनाते हैं। एक्वापोनिक गार्डनिंग का मतलब है – पौधों को बिना मिट्टी के सिर्फ पानी में उगाना। उस पानी में पौधों के लिए आवश्यक खाद ओर पोषक तत्व मिला देते हैं, जिससे पौधे अच्छे से बढ़ते हैं। यह तरीका शहरों में ज्यादा लोकप्रिय है।

छत पर बगिया, घर में ठंडक – स्मार्ट शहरों की स्मार्ट बागवानी

शहरों में जमीन कम मिलगी है, लेकिन छत होती है। ऐसे में छत पर बागवानी सबसे अच्छा ओर आसान तरीका है, इसे रूफटॉप गार्जनिंग कहते है। छत पर आप बड़े गमले, प्लास्टिक के ड्रम, ग्रो बैग या लकड़ी के छोटे – छोटे बेड बनाकर पौधे लगा सकते हैं। जैसे कि सब्जियां टमाटर, लौकी, करेला, भिंडी, बैगन और यह तक की नींबू का पेड़ भी छत पर अच्छे से लगा सकते हैं। अगर जगह पर्याप्त हो तो बेल वाली सब्जियां के लिए जाली लगाकर इन्हें लगा सकते है।

Also Read: मानसिक शांति के लिए “साइलेंस थेरेपी” का बढ़ता चलन

रूफटॉप गार्जनिंग का बड़ा फायदा यह भी है कि इससे घर का तापमान संतुलित रहता है। खासकर गर्मियों में छत पर हरियाली होने से धूप सीधे कैमरे में नहीं जाती, ओर घर के अंदर ठंडक बनी रहती है। इसके साथ ही छत पर हरियाली दिखने से घर की सुंदरता ओर भी बढ़ जाती है और ताजी हवा का भी एहसास होता है।

रसोई का कचरा बनेगा बगिया का पोषण – अपनाएं किचन गार्डेनिंग

किचन गार्डेनिंग मतलब रसोई घर से निकलने वाले सामान का सही उपयोग करके बागवानी करना है। हमारे घर की रसोई से बहुत सारा कचरा निकलता है, जैसे सब्जियां से छिलके ओर बचे हुए खाने को फेकने की बजाय अगर समझदारी से इस्तेमाल किया जाए तो खाद तैयार किया जा सकता है। जिससे कि पौधों को प्राकृतिक पोषण मिलता है।

सजावटी पौधे: घर की सुंदरता और शुद्ध हवा, एक साथ

बागवानी में सिर्फ सब्जियां और फल ही नहीं बल्कि सजावटी पौधे भी लगा सकते हैं। यह घर को सुंदर बनाने के साथ – साथ हवा को भी साफ करते हैं। जैसे कि मनी प्लांट,अरेका पाम, स्नेक प्लांट और पोथोस (मनी पेंट जैसा दिखने वाला) ये ऐसे पौधे जिनकी देखरेख की जरूरत नहीं होती। इन्हें बालकनी, ड्राइविंग रूम या खिड़की के पास सजाकर रखा जा सकता है, जिससे घर हरा – भरा और ताजगी भरा लगेगा।

सच्ची भक्ति ही है आत्मा की असली देखभाल – संत रामपाल जी 

बागवानी से घर सुंदर तो लगता ही है, इससे मन में भी ताजगी आती है। पौधों को स्वस्थ रखने के लिए उनकी अच्छे तरीके से देखभाल करनी जरूरी है, नहीं तो पौधे मुरझा सकते हैं। इसी प्रकार आत्मा के लिए भी भक्ति रूपी पोषण जरूरी है, नहीं तो आत्मा मुरझा जाती है। आत्मा को भक्ति रूपी सही पोषण केवल सच्चे मंत्रों से ही प्राप्त होता है। सच्चे मंत्र केवल सच्चा संत ही दे सकता है। 

वर्तमान में सच्चा आध्यात्मिक संत केवल संत रामपाल जी महाराज ही हैं, जो हमारे पवित्र ग्रंथों के अनुसार भक्ति विधि बता रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए आप विजिट करें जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज एप पर।

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I am a dedicated and passionate educator with a Bachelor's in Education and Master's degrees in both English and Economics. Alongside my teaching career, I have been actively involved in journalism and content writing.
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