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Home » भारत की 7 प्रमुख नदियाँ और उनके उद्गम व समापन स्थल 

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भारत की 7 प्रमुख नदियाँ और उनके उद्गम व समापन स्थल 

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Last updated: February 5, 2025 4:26 pm
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भारत की 7 प्रमुख नदियाँ और उनके उद्गम व समापन स्थल
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जब वर्षा का पानी और पिघलती हुई बर्फ ज़मीन की ऊपरी सतह पर जमा होती है, तो यह छोटी-छोटी धाराओं का निर्माण करना शुरू कर देती है, जो गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे की ओर बहती हैं। ये छोटी-छोटी धाराएँ नाले या खाड़ी के माध्यम से आपस में मिलकर बड़ी होती जाती हैं और अंत में नदियों का रूप धारण कर लेती हैं तथा किसी बड़े महासागर में समाहित होकर अपना लक्ष्य पूरा करती हैं। एशिया के भारत देश की 90 प्रतिशत नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं, जबकि शेष नदियाँ अरब सागर में मिलकर अपना लक्ष्य पूर्ण करती हैं। आइए, इसी कड़ी में जानते हैं “नदियों का देश” कहे जाने वाले भारत की 7 प्रमुख नदियों और उनके उद्गम व समापन स्थलों के बारे में।

Contents
  • नदियाँ क्या हैं और इनका क्या महत्व है?
  • भारत की 7 प्रमुख नदियाँ और उनके उद्गम स्थल
    • 1. ब्रह्मपुत्र नदी (लंबाई: 2,900 किमी)
    • 2. सिंधु नदी (लंबाई: 2,880 किमी, भारत में 1,114 किमी)
    • 3. नर्मदा नदी (लंबाई: 1,312 किमी)
    • 4. यमुना नदी (लंबाई: 1,376 किमी)
    • 5. कृष्णा नदी (लंबाई: 1,400 किमी)
    • 6. गोदावरी नदी (लंबाई: 1,464 किमी)
    • 7. गंगा नदी (लंबाई: 2,525 किमी)
  • भारत की सबसे लंबी नदी कौन सी है?
  • आख़िर गंगा नदी का पानी ख़राब क्यों नहीं होता है?
    • संत रामपाल जी महाराज के अनुसार पवित्र गंगा नदी सतलोक से आई है।
    • महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी

नदियाँ क्या हैं और इनका क्या महत्व है?

नदियाँ जल संचार, खेती और जल संसाधन के रूप में मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। ये प्राकृतिक जीवन का स्रोत होती हैं और जलवायु के नियंत्रण में मदद करती हैं। नदियाँ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रमुख स्रोत हैं, जिनके किनारे कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल स्थित हैं।

नदियों का जल सिंचाई, उद्योगों और बिजली उत्पादन के लिए अत्यधिक उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त, नदियों के किनारे रहने वाले लोगों के लिए ये पानी का मुख्य स्रोत हैं और कई जलीय जीवों के जीवन का आधार भी हैं। भारत के प्रमुख शहर और धार्मिक स्थल नदियों के किनारे बसे हुए हैं, जिनकी जल आवश्यकताओं की पूर्ति नदियों द्वारा होती है।

हालांकि, बढ़ते प्रदूषण के कारण नदियों का जल अत्यधिक दूषित हो रहा है, जिससे उनके संरक्षण को लेकर चिंता बढ़ रही है। इसलिए, हमें नदियों के महत्व को समझते हुए इनके प्रदूषण को कम करने और इन्हें स्वच्छ बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

भारत की 7 प्रमुख नदियाँ और उनके उद्गम स्थल

1. ब्रह्मपुत्र नदी (लंबाई: 2,900 किमी)

ब्रह्मपुत्र नदी भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। इसका उद्गम तिब्बत के पुरंग ज़िले में स्थित मानसरोवर झील के पास से होता है। यह नदी अरुणाचल प्रदेश, असम और बांग्लादेश से होकर बहती है तथा अंत में बांग्लादेश के खुलना में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।

ब्रह्मपुत्र नदी कृषि, सिंचाई, पीने के पानी की आपूर्ति और जलविद्युत उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा, इसकी घाटियों में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु निवास करते हैं, जो इसके पारिस्थितिक महत्व को दर्शाते हैं।

2. सिंधु नदी (लंबाई: 2,880 किमी, भारत में 1,114 किमी)

सिंधु नदी विश्व की सबसे बड़ी नदी घाटियों में से एक है। यह तिब्बत के मानसरोवर झील से निकलती है और पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अरब सागर में मिल जाती है।

सिंधु नदी ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके किनारे “सिंधु घाटी सभ्यता” का विकास हुआ था। सिंधु नदी भारत और पाकिस्तान में लाखों लोगों की आजीविका का आधार है। यह दुनिया की सबसे बड़ी निरंतर सिंचाई प्रणालियों में से एक है।

3. नर्मदा नदी (लंबाई: 1,312 किमी)

नर्मदा नदी भारत की पाँचवीं सबसे लंबी नदी है। इसका उद्गम मध्य प्रदेश के अमरकंटक में स्थित नर्मदा कुंड से होता है। यह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर बहती है और गुजरात के भरूच शहर के पास अरब सागर में समाहित हो जाती है।

नर्मदा नदी कृषि, सिंचाई, पीने के पानी की आपूर्ति और जलविद्युत उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

4. यमुना नदी (लंबाई: 1,376 किमी)

यमुना नदी गंगा की सहायक नदी है। इसका उद्गम उत्तराखंड के यमुनोत्री में स्थित उत्तरकाशी के गढ़वाल क्षेत्र से होता है। यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से होते हुए इलाहाबाद (प्रयागराज) में गंगा नदी में मिल जाती है।

यमुना नदी न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सिंचाई, पीने के पानी की आपूर्ति और जलविद्युत उत्पादन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

5. कृष्णा नदी (लंबाई: 1,400 किमी)

कृष्णा नदी का उद्गम महाराष्ट्र के महाबलेश्वर से होता है। यह महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से होकर बहती है तथा आंध्र प्रदेश के हाम्सलादेवी में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।

कृष्णा नदी की घाटियों में कृषि और वनस्पतियों की विविधता बहुत अधिक है, जिससे यह मानव जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बनती है।

6. गोदावरी नदी (लंबाई: 1,464 किमी)

गोदावरी नदी भारत की एक प्रमुख नदी है, जिसका उद्गम महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास होता है। यह महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा से होकर बहती है तथा अंत में आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।

इसे “दक्षिण भारत की गंगा” भी कहा जाता है।

7. गंगा नदी (लंबाई: 2,525 किमी)

गंगा नदी भारत की सबसे लंबी और पवित्र नदियों में से एक है। इसका उद्गम उत्तराखंड के गंगोत्री में होता है। यह उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है तथा गंगासागर में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।

गंगा नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। इसके किनारे कई पवित्र स्थल और तीर्थ स्थान स्थित हैं।

भारत की सबसे लंबी नदी कौन सी है?

भारत में 200 से अधिक नदियाँ प्रवाहित होती हैं। इनमें गंगा नदी सबसे लंबी नदी है, जिसकी कुल लंबाई 2,525 किमी है और औसत प्रवाह दर 14,720 घनमीटर/सेकंड है।

आख़िर गंगा नदी का पानी ख़राब क्यों नहीं होता है?

गंगा नदी का पानी ख़राब न होने के पीछे कई वैज्ञानिक और धार्मिक कारण हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, गंगा नदी के पानी में विशेष प्रकार के वायरस होते हैं, जो पानी में विद्यमान हानिकारक बैक्टीरिया और जीवाणुओं को नष्ट कर देते हैं। इसके अतिरिक्त, गंगा नदी के पानी में गंधक, सल्फर और अन्य खनिज पदार्थों की मात्रा अधिक पाई जाती है, जो इसकी शुद्धता को बनाए रखने में सहायक होती है। इसी कारण गंगा नदी का पानी कभी ख़राब नहीं होता।

धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो गंगा नदी को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है, और इसकी शुद्धता के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा हुआ है। यह पवित्र नदी एक ऐसे स्वच्छ स्थान सतलोक से आई है, जहाँ कोई भी वस्तु न तो ख़राब होती है और न ही नष्ट होती है। वहाँ की संपूर्ण वस्तुएँ सदा के लिए चिरस्थायी रहती हैं। वहाँ की वस्तुओं में परमेश्वर कबीर जी की शक्ति से शुद्धता और स्थायित्व सदा बना रहता है, जो कभी नष्ट नहीं होता।

संत रामपाल जी महाराज के अनुसार पवित्र गंगा नदी सतलोक से आई है।

संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, पवित्र गंगा नदी अमरलोक (सतलोक) से आई है। वैज्ञानिक दृष्टि से गंगा नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड के गंगोत्री में स्थित बताया जाता है, लेकिन सच्चाई इससे भिन्न है। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों में बताते हैं कि गंगा नदी का वास्तविक उद्गम स्थल सतलोक है। वहाँ से यह नदी परमेश्वर कबीर साहेब जी की कृपा से पृथ्वी पर आई है। जहाँ की प्रत्येक वस्तु अमर है और कभी ख़राब नहीं होती। वहाँ की हंस आत्माएँ भी अमर हैं; उन्हें जन्म-मृत्यु का चक्र नहीं भोगना पड़ता। वहाँ की एक वस्तु सैंपल रूप में इस काल लोक में कबीर परमेश्वर जी ने गंगा नदी के रूप में दे रखी है।

गंगा नदी की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी वेबसाइट www.jagatgururampalji.org पर विजिट करें या जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक “ज्ञान गंगा” निःशुल्क पढ़ें। यह पुस्तक निःशुल्क अपने घर मंगवाने के लिए अपना नाम, पूरा पता, मोबाइल नंबर और पिनकोड हमें 7496801825 पर मैसेज करें।

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी

  1. भारत की सबसे लंबी नदी कौन सी है?
    उत्तर: गंगा नदी (2,525 किमी)
  2. भारत की सबसे छोटी नदी कौन सी है?
    उत्तर: अरवरी नदी (45 किमी)
  3. दक्षिण भारत की गंगा किसे कहा जाता है?
    उत्तर: कावेरी और गोदावरी नदी
  4. गंगा नदी कहां से आई है?
    उत्तर: गंगोत्री, उत्तराखंड
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