राजस्थान में बनेगा 30,0000 करोड़ रुपये कि लागत से ‘रन ऑफ वाटर ग्रिड’ शनिवार को जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत कि घोषणा कर बताया। इस परियोजना के जरिये व्यर्थ बहने वाले जल का संरक्षण करना और बाढ़ सुरक्षा के साथ – साथ जल का सदुपयोग करना उद्देश्य रखे गये।
जल महोत्सव के माध्यम से जागरूकता
जयपुर जिले के नेटवा में जल महोत्सव का आयोजन किया गया। इसके दौरान जल संसाधन मंत्री ने बताया कि यह महोत्सव पूरे राज्य में जल संरक्षण और उसके महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजित किया। इस महोत्सव में 385 बांधो और भरे हुए जलाशयों में पूजा अर्चना कर जल देवता का आभार व्यक्त किया गया, जिसमे बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों और आम ने भी भाग लिया।
जलाभिषेक और कलश यात्रा का किया आयोजन
कार्यक्रम के दौरान जल संसाधन मंत्री ने नेवटा गाँव के शिव मंदिर में जलाभिषेक किया और कलश पूजन किया। इसके बाद उन्होंने ग्रामीण महिलाओं को कलश देकर मंदिर से नेवटा बांध तक कलश यात्रा को रवाना किया, जिसमे ग्रामीणों नर उत्साहपूर्वक भाग लिया।
{हालांकि सनातन धर्म ग्रंथो जैसे पवित्र चारो वेद और गीता में इस प्रकार से किसी मनमानी पूजा अर्चना करने का प्रावधान नहीं है इसलिए SA NEWS ऐसी किसी भी क्रिया को बढ़ावा नहीं देता जिससे आपको आध्यात्मिक मार्ग में हानि उठानी पड़ सके। गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 के अनुसार जो व्यक्ति शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण (पूजा) करते हैं वह न तो सुख प्राप्त करते हैं, न उनका कोई कार्य सिद्ध होता है तथा न ही परमगति को प्राप्त होते हैं। इसके अतिरिक्त जो भक्तगण पूर्ण परमात्मा की शास्त्रोक्त भक्ति करते है उनको देवता फल प्रदान करते है (गीता अध्याय 3 श्लोक 12) }
ERPC योजना से मिलेगा सिंचाई और पेयजल
ERPC (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना) के तहत, पार्वती,कालीसिंध,चम्बल, नदियों के अधिशेष जल का उपयोग राज्य के 21 जिलों में सिंचाई के लिए किया जाएगा। मंत्री ने बताया कि इस परियोजना से जयपुर जीले को भी लाभ होगा। साथ ही, शेखावाटी क्षेत्र में यमुना नदी का जल लाने के लिए भी कार्य आरम्भ हो चुका है।
रावत ने कहा अबकी बार राज्य में खूब बरसा मानसून
सुरेश सिंह रावत ने जानकारी दी कि इस वर्ष राजस्थान में मानसून कि विशेष कृपा रही, उन्होंने कहाँ कि राज्य में सामान्य से 63.71 प्रतिशत अधिक बारिश हुई, राज्य के 385 बांध पुरी क्षमता से यानी 84.88 प्रतिशत तक भर चुके है। जिससे जल संरक्षण और भंडारण के प्रयासों को बल मिला है।