राजस्थान का सरिस्का टाइगर रिज़र्व एक बार फिर से देशभर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इस बार जंगल क्षेत्र को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगे हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से इस मुद्दे को उठाया, जिसके बाद यह राजनीतिक बहस का विषय बन गया।
राज्य और केंद्र सरकार का दावा है कि सरिस्का टाइगर रिज़र्व का क्षेत्रफल बढ़ाया जा रहा है ताकि वन्यजीवों का बेहतर संरक्षण हो सके।
विपक्ष का आरोप है कि खनन माफिया और होटल कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए जंगल की सीमाओं और प्राकृतिक ढांचे के साथ जानबूझकर छेड़छाड़ की जा रही है।
सरिस्का टाइगर रिज़र्व न केवल राजस्थान का बल्कि देश के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है। इसलिए इससे जुड़ी कोई भी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण मानी जाती है।
सरिस्का टाइगर रिज़र्व विवाद के मुख्य बिंदु
- कांग्रेस नेता जयराम रमेश का आरोप है कि सरकार खनन माफिया और होटल कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए जंगल के प्राकृतिक ढांचे में छेड़छाड़ कर रही है।
- सरकार का दावा है कि क्षेत्रफल बढ़ाने से वन्यजीवों और बाघों का संरक्षण बेहतर होगा।
- विपक्ष का कहना है कि सीमा बदलाव से खनन और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
- सरिस्का टाइगर रिज़र्व देश के महत्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्यों में शामिल है, जहां कई दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं।
प्रस्तावित क्षेत्र विस्तार
अलवर स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल बढ़ाकर 1873 वर्ग किलोमीटर किया जाएगा। इसमें अलवर और जयपुर वन मंडल के जंगल भी शामिल किए जाएंगे।
सरिस्का प्रशासन ने यह प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया है, जिस पर जुलाई तक अंतिम मंजूरी मिल सकती है।
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वर्तमान में सरिस्का का क्षेत्रफल 1213 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 886 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया और बाकी बफर ज़ोन है। सरकार का कहना है कि यह विस्तार बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए ज़रूरी है। विपक्ष इसे खनन माफिया और होटल कारोबारियों को फायदा पहुंचाने की साजिश मानता है।
बाघों की संख्या में वृद्धि और सीमांकन
टाइगर रिज़र्व का मौजूदा सीमांकन 2005 से लागू है। हाल के वर्षों में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
वर्तमान में जंगल में कुल 48 बाघ-बाघिन और उनके लगभग 26 शावक मौजूद हैं।
सरिस्का का कुल क्षेत्रफल वर्तमान में 1166 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 866 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया है, जो पूरी तरह संरक्षित है। बाकी क्षेत्र बफर ज़ोन में आता है।
खनन और होटल व्यवसाय पर सख्ती
- 2011 में सेंट्रल एम्पावरमेंट कमेटी (CEC) ने बाघों की गतिविधियों के आधार पर क्षेत्रफल तय करने के निर्देश दिए थे।
- 1997 में गजट नोटिफिकेशन (The Gazette of India) याके तहत सरिस्का क्षेत्र की 197 खदानें बंद कर दी गई थीं।
- 2023 में राज्य सरकार ने कोर एरिया के एक किलोमीटर दायरे में सभी व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया।
- नई खदान लाइसेंस नवीनीकरण नहीं किया गया, जिससे टहला इलाके की सभी मार्बल खदानें बंद हैं।
- वर्तमान में झिरी क्षेत्र में 15 से 20 खदानें संचालित हैं। कई होटलों पर भी कार्रवाई की संभावना बनी है क्योंकि वे CTH क्षेत्र में हैं, जहां व्यावसायिक गतिविधि पर सख्ती है।
सरकार का पक्ष
मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि वन क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है और इसे और बढ़ाने की कोशिश जारी है।
बाघों की संख्या के अनुपात में वन क्षेत्र और बफर ज़ोन का विस्तार ज़रूरी है।
सरकार का उद्देश्य केवल बाघों का संरक्षण नहीं, बल्कि पूरे जंगल, वन्यजीव और प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखना है।
CTH क्षेत्र में सख्ती ज़रूरी है ताकि वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित हो सके।
विवाद के बावजूद सरकार सख्त
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की बैठक में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने सरिस्का के वन क्षेत्र विस्तार को मंजूरी दी है।
कुछ लोग विरोध कर रहे हैं, पर सकारात्मक नतीजे आने पर जनता इसका महत्व समझेगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 2023 में कोर एरिया के एक किलोमीटर और बफर एरिया के 10 किलोमीटर में व्यावसायिक गतिविधि पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई।
सरकार टहला क्षेत्र को सरिस्का से बाहर करने और बफर एरिया बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है क्योंकि वहां बाघों की आवाजाही नहीं देखी गई।
विपक्ष का आरोप
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि क्षेत्र घटाने से बाघों के आवास को नुकसान होगा।
उन्होंने इसे “कागज़ी समाधान” बताया, जो बाघों के लिए विनाशकारी है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की और डबल इंजन सरकार पर खदान मालिकों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया।
तत्वज्ञानी संत रामपाल जी महाराज का संदेश
प्रकृति, वन्यजीव और जीव-जंतु सभी ईश्वर की रचना हैं। इनके साथ छेड़छाड़ मानवता के खिलाफ है। जंगल की सीमा बदलना और व्यापारिक स्वार्थ के लिए बाघों के आवास को प्रभावित करना गलत है।
संत रामपाल जी महाराज सत्संग में बताते हैं कि जब तक हम संतुलित वातावरण, जीव-जंतुओं की रक्षा और प्रकृति का सम्मान नहीं करेंगे, तब तक समाज में सुख-शांति नहीं आएगी।
ईश्वर ने सभी प्राणियों को जीवित रहने का अधिकार दिया है। मानव का कर्तव्य है उनकी रक्षा करना, न कि विनाश।
अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक “जीने की राह” पढ़ें।
सरिस्का टाइगर रिजर्व से जुड़े FAQs
Q1. सरिस्का टाइगर रिजर्व कहां स्थित है?
Ans: राजस्थान के अलवर जिले में, यह देश के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है।
Q2. विवाद क्यों हो रहा है?
Ans: सरकार क्षेत्रफल बढ़ाने का दावा करती है, जबकि विपक्ष खनन माफिया और होटल कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए सीमा छेड़छाड़ का आरोप लगाता है।
Q3. यहां कौन-कौन सी दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं?
Ans: बाघ, तेंदुआ, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर, विभिन्न पक्षी और अन्य दुर्लभ वन्यजीव।
Q4. मौजूदा क्षेत्रफल कितना है?
Ans: लगभग 1213 वर्ग किलोमीटर, जिसमें 886 वर्ग किमी कोर एरिया और बाकी बफर ज़ोन।
Q5. सरकार कितना क्षेत्रफल बढ़ाना चाहती है?
Ans: प्रस्तावित क्षेत्रफल 1873 वर्ग किलोमीटर है।