रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 2025 की भारत यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया मोड़ लाया है। यह दौरा भारत–रूस संबंधों के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन के सम्मान में प्राइवेट डिनर आयोजित किया, जिससे यह संदेश गया कि दोनों देशों की मित्रता समय के साथ और मजबूत हो रही है।
भारत की स्वतंत्र और निर्णायक विदेश नीति
वैश्विक परिदृश्य में अमेरिका–रूस तनाव और बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच यह यात्रा बेहद महत्वपूर्ण मानी गई। यह मुलाकात स्पष्ट करती है कि भारत किसी बाहरी दबाव में नहीं, बल्कि अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर विदेश नीति तय करता है।

Source: Navpradesh
रक्षा सहयोग और रणनीतिक सुरक्षा
दौरे का मुख्य केंद्र रहा रक्षा सहयोग। विशेष रूप से S-400 मिसाइल सिस्टम के उन्नत संस्करण की खरीद पर चर्चा हुई। यह वही प्रणाली है जिसने पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों को रोकने की क्षमता दिखाई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि इसका नया वर्ज़न भारत की वायु सुरक्षा को मजबूत करेगा और चीन–पाकिस्तान की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाएगा।
हैदराबाद हाउस में उच्च-स्तरीय बैठक
इन बैठकों में ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष और व्यापार जैसे क्षेत्रों पर गहन चर्चा हुई। उद्योगपति और व्यापारिक प्रतिनिधियों की भागीदारी ने यह संदेश दिया कि भारत–रूस साझेदारी न केवल राजनीतिक, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक मोर्चों पर भी गहरी है।
वैश्विक राजनीति में भारत की नई पहचान
इस यात्रा ने दिखाया कि भारत अब वैश्विक राजनीति में केवल दर्शक नहीं, बल्कि निर्णायक खिलाड़ी बन चुका है। मोदी–पुतिन मुलाकात ने संकेत दिया कि आने वाले वर्षों में भारत–रूस संबंध नई ऊँचाइयों तक पहुँचेंगे और यह साझेदारी विश्व की रणनीतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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सच्ची शक्ति और सच्चा सहयोग: संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान के अनुसार
सच्ची शक्ति केवल पद, हथियार या दिखावे से नहीं आती। यह धर्म, सत्य और सत्कर्म के पालन से मिलती है। भारत का यह कदम इसी मार्ग पर अग्रसर है और वैश्विक मंच पर निर्णायक शक्ति के रूप में देश की स्थिति को मजबूत करता है।
सच्चा सहयोग केवल व्यापार या राजनीति तक सीमित नहीं, बल्कि विश्वास, नैतिकता और धर्म पर आधारित होना चाहिए। संत रामपाल जी महाराज वसुधैव कुटुंबकम की भावना का प्रचार करते है । भारत भी इसी पथ पर आगे बढ़ रहा है । उन्होंने समस्त विश्व के प्राणियों के लिए अपने ज्ञान को खोल रखा है । कोई भी व्यक्ति उनसे नाम दीक्षा ले सकता है, ऐसी व्यवस्था बनाई गई है । रूस के नागरिक भी संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझकर उनसे जुड़ रहे हैं क्योंकि संत रामपाल जी महाराज के सत्संग हिन्दी इंग्लिश समेत अनेकों भाषाओ में उपलब्ध हैं । संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं ।
FAQs: पुतिन का भारत दौरा 2025
Q.पुतिन का इस बार का भारत दौरा क्यों चर्चा में रहा?
उत्तर – इसलिए, क्योंकि इस दौरे ने भारत–रूस के रिश्तों को और मजबूत किया और दुनिया ने भारत की बढ़ती ताकत देखी।
Q.भारत–रूस की साझेदारी को क्यों मजबूत माना जाता है?
उत्तर – क्योंकि दोनों देश लंबे समय से भरोसे और सहयोग के साथ आगे बढ़ रहे हैं-सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक सहयोग भी मजबूत है।
Q. S-400 सिस्टम क्यों इतना महत्वपूर्ण है?
उत्तर – क्योंकि यह भारत की वायु सुरक्षा को बेहद मजबूत बनाता है और पड़ोसी देशों की गतिविधियों पर निगरानी रखता है।
Q.असली सहयोग किसे कहा जाता है?
उत्तर – असली सहयोग वह है जो विश्वास, नैतिकता और सच्चाई पर टिके सिर्फ व्यवसाय पर नहीं।
Q.मोदी–पुतिन मुलाकात से दुनिया को क्या संदेश गया?
उत्तर – यह साफ हुआ कि भारत अपनी विदेश नीति खुद तय करता है और किसी दबाव में नहीं झुकता।
