बचपन वह समय होता है जब बच्चे सीखते हैं, खेलते हैं और मानसिक रूप से विकसित होते हैं। लेकिन रूस में छोटे बच्चों का बचपन अब हथियारों और युद्धकला में बीत रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच कई सालों से जारी संघर्ष के बीच, रूस ने 8 से 17 साल के बच्चों को स्कूल स्तर से सैन्य प्रशिक्षण देने का फैसला किया है।
प्रशिक्षण का उद्देश्य और तरीका
रूस की सरकार का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य बच्चों में देशभक्ति, अनुशासन और राष्ट्र रक्षा की भावना बढ़ाना है। इसके लिए ‘युनार्मिया’ नामक संगठन स्कूल और ग्रीष्मकालीन शिविरों में बच्चों को युद्धकला और सैन्य प्रशिक्षण सिखाता है। प्रशिक्षण गतिविधियों में नकली हथगोले फेंकना, राइफल चलाना, मार्च करना, रेत पर रेंगना और पानी में हथियार के साथ चलना शामिल है।
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन सीमा के पास रोस्तोव क्षेत्र में आयोजित एक शिविर में 83 बच्चों ने युद्ध जैसे अभ्यास किए। इसमें बच्चों को नकली युद्ध परिदृश्यों में हथियारों का सही इस्तेमाल और टीमवर्क सिखाया गया। इस प्रशिक्षण में रूसी सैनिकों की देखरेख भी शामिल थी, जिन्होंने यूक्रेन में वास्तविक युद्ध अनुभव किया है।
रूस में बच्चों की सैन्य ट्रेनिंग से जुड़े मुख्य बिंदु:
- रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच 8–17 साल के बच्चों को सैन्य प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- प्रशिक्षण में हथियारों की पहचान, नकली ग्रेनेड फेंकना, मार्च और युद्धकला शामिल है।
- गतिविधियों में टीमवर्क, अनुशासन, साहस और देशभक्ति विकसित करने पर ज़ोर है।
- मानवाधिकार संगठनों और विशेषज्ञों का कहना है कि यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और बाल अधिकारों के लिए खतरा है।
- यूनिसेफ और अन्य संस्थाएँ शिक्षा और खेल को बच्चों के विकास का सही माध्यम मानती हैं।
प्रशिक्षण की मुख्य गतिविधियाँ
- नकली हथगोले फेंकना और गोलियों का अभ्यास
- मार्चिंग और युद्ध परिदृश्य में सामूहिक संचालन
- रेत और पानी में हथियार लेकर चलना और रेंगना
- बच्चों में अनुशासन, साहस और टीमवर्क विकसित करना
बाल अधिकार और विशेषज्ञ दृष्टिकोण
बाल संरक्षण और मानवाधिकार संगठन इस तरह की पहल से चिंतित हैं। उनका कहना है कि कम उम्र में बच्चों को युद्ध और हिंसा से जोड़ना उनके मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। बच्चों में भय, आक्रोश और अति-राष्ट्रवाद विकसित हो सकता है, जो सामाजिक संतुलन के लिए हानिकारक है।
यूनिसेफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने बार-बार सुझाव दिया है कि बच्चों का विकास शिक्षा, खेल और संस्कार के माध्यम से होना चाहिए। हथियार और युद्धकला से उनका समग्र विकास बाधित हो सकता है।
रूसी सरकार का दृष्टिकोण
रूस की सरकार का मानना है कि इस तरह के प्रशिक्षण बच्चों में अनुशासन, देशभक्ति और ज़िम्मेदारी की भावना विकसित करेंगे। ‘युनार्मिया’ संगठन ने कई वर्षों से देशभर में इस पहल को बढ़ावा दिया है। इसमें सैकड़ों हज़ारों किशोर और बच्चे शामिल हो चुके हैं।
संत रामपाल जी महाराज का दृष्टिकोण
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज का कहना है कि बचपन शिक्षा, खेल और संस्कार के लिए होना चाहिए। हिंसा और युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं हैं। बच्चों का बचपन किताबों, खेल और आध्यात्मिक ज्ञान में बीते। उनके अनुसार, बच्चों को सदाचार और मानवीय मूल्यों की शिक्षा मिलनी चाहिए। यह दृष्टिकोण बच्चों के मानसिक और नैतिक विकास के लिए अनिवार्य है। उनकी पुस्तक “जीने की राह” बच्चों और अभिभावकों के लिए मार्गदर्शक का काम कर सकती है। पुस्तक को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए ( श“जीने की राह”) Way of Living को Sant Rampal ji Maharaj app से आज ही डाऊनलोड करें।
रूस में बच्चों का बचपन पढ़ाई और खेल के बजाय हथियारों में बीत रहा से जुड़े FAQs:
1. रूस में बच्चों को सैन्य प्रशिक्षण क्यों दिया जा रहा है?
उद्देश्य बच्चों में देशभक्ति, अनुशासन और राष्ट्र रक्षा की भावना जगाना बताया जा रहा है।
2. यह प्रशिक्षण किस उम्र से शुरू होता है?
लगभग 8–10 साल की उम्र से।
3. बच्चों को किस प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है?
हथियारों की पहचान, नकली ग्रेनेड फेंकना, मार्च करना और युद्धकला के बुनियादी अभ्यास।
4. विशेषज्ञ और मानवाधिकार संगठन क्या कहते हैं?
बच्चों को शिक्षा और संस्कार की ओर प्रेरित करना चाहिए, न कि युद्ध की ओर।
5. क्या इससे बच्चों में अनुशासन बढ़ सकता है?
समर्थक मानते हैं कि इससे साहस, टीमवर्क और अनुशासन जैसे गुण विकसित होतेहैं।