4 जून 2024 को आए चुनावी नतीजों ने देश की राजनीति में काफी बदलाव किए हैं। पिछले 10 साल से पूर्ण बहुमत की सरकार चला रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बार गठबंधन की राजनीति करनी पड़ रही है। भाजपा सरकार की जगह एनडीए सरकार का जिक्र हो रहा है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में इस बार एनडीए गठबंधन के साथियों को ज्यादा जगह मिली है। मार्च 2024 में भारत सरकार में एक भी नॉन बीजेपी कैबिनेट मिनिस्टर नहीं था, जबकि 9 जून को मोदी कैबिनेट में पांच नॉन बीजेपी मेंबर्स ने शपथ ली।
इस बदलाव का एक और महत्वपूर्ण परिणाम हुआ है: लोकसभा में 10 साल बाद Leader of Opposition का पद भर दिया गया है। राहुल गांधी अब लोकसभा के Leader of Opposition हैं। 26 जून को स्पीकर ओम बिडला ने राहुल के नाम पर सहमति जता दी और इस बाबत लोकसभा सचिवालय से एक अधिसूचना भी प्रकाशित कर दी गई।
आज के इस लेख में हम Leader of Opposition के पद के बारे में विस्तार से जानेंगे। आखिर लोकसभा का Leader of Opposition कौन बन सकता है? पिछले 10 साल से लोकसभा में Leader of Opposition का पद खाली क्यों था? क्या ऐसा पहली बार हुआ है या इसके पहले भी यह पद खाली रहा है? और क्या राहुल गांधी का इस पद पर होना भाजपा के लिए कोई चुनौती पेश कर सकता है?
Leader of Opposition
कई बार आपने सुना होगा कि Leader of Opposition एक संवैधानिक पद है, लेकिन यह कोई संवैधानिक पद नहीं है। संवैधानिक पद वे होते हैं जिनका जिक्र संविधान में है, जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, स्पीकर वगैरह। Leader of Opposition का पद संवैधानिक नहीं बल्कि एक कानूनी पद है।
इस पद का निर्माण कैसे हुआ?
भारत ने ब्रिटेन से इस पद का आईडिया अडॉप्ट किया और 1977 में ‘सैलरी एंड अलाउंस ऑफ Leader of Opposition इन पार्लियामेंट एक्ट 1977’ को संसद में पारित किया गया। इसके बाद से यह एक स्टेट्यूटरी पोस्ट या कानूनी पद बना।
कौन बन सकता है Leader of Opposition?
लोकसभा का Leader of Opposition बनने के लिए दो शर्तें पूरी करना जरूरी है:
- व्यक्ति को लोकसभा का सदस्य होना चाहिए।
- वह मुख्य विपक्षी पार्टी का नेता होना चाहिए।
राज्यसभा के Leader of Opposition के लिए भी यही शर्तें लागू होती हैं। इन शर्तों को पूरा करने वाले व्यक्ति को स्पीकर या चेयरमैन Leader of Opposition के रूप में रिकॉग्नाइज कर सकते हैं।
10 साल से पद खाली क्यों था?
10 पर रूल के मुताबिक अगर मुख्य विपक्षी पार्टी के पास लोकसभा की 10 प्रतिशत सीटें नहीं हैं, तो उस पार्टी के नेता को Leader of Opposition नहीं बनाया जा सकता। वर्तमान में लोकसभा में 543 सीटें हैं, जिनका 10 प्रतिशत यानी 55 सीटें होती हैं।
10 % रूल की उत्पत्ति
देश के पहले स्पीकर जीवी मावलंकर ने यह 10% रूल बनाया था। मई 2019 में इंडिया टुडे ने एक रिपोर्ट में बताया कि मावलंकर के 10% रूल को ‘डायरेक्शन 1211’ के तहत पार्लियामेंट फैसिलिटी एक्ट 1998 में जोड़ा गया।
Leader of Opposition का पद कब-कब खाली रहा और भरा गया
1969 तक लोकसभा में Leader of Opposition का पद खाली रहा। 1969 में राम सुभग सिंह पहले Leader of Opposition बने। 1970 और 1980 के दशक में कांग्रेस की बढ़त के कारण यह पद खाली रहा।
Leader of Opposition के जिम्मेदारियां
Leader of Opposition की मुख्य जिम्मेदारियां संसदीय और अपॉइंटमेंट से जुड़ी होती हैं। संसदीय जिम्मेदारियों में विपक्ष की आवाज को मजबूत बनाना और संसद में पक्ष-विपक्ष के बीच समन्वय करना शामिल है। अपॉइंटमेंट से जुड़ी जिम्मेदारियों में सीबीआई डायरेक्टर, मुख्य चुनाव आयुक्त जैसे बड़े पदों की नियुक्ति के लिए कमिटीज में सदस्यता शामिल है।
निष्कर्ष
2024 में कांग्रेस को 99 सीटें मिलीं और राहुल गांधी को Leader of Opposition के रूप में रिकॉग्नाइज किया गया। यह पद अब मोदी सरकार की नियुक्तियों में विपक्ष की राय को महत्वपूर्ण बना देगा। इसका असर सरकार की एकतरफा निर्णय प्रक्रिया पर पड़ेगा और देश की राजनीति को संतुलित करेगा।