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Home » New Income Tax Bill 2025: लोकसभा से पास, 60 साल पुराने कानून में ऐतिहासिक बदलाव

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New Income Tax Bill 2025: लोकसभा से पास, 60 साल पुराने कानून में ऐतिहासिक बदलाव

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Last updated: August 17, 2025 2:13 pm
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New Income Tax Bill 2025
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संसद के दोनों सदनों से New Income Tax Bill 2025 पारित हो चुका है। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह बिल इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act), 1961 की जगह लेगा। सरकार का कहना है कि नया कानून भाषा और प्रक्रियाओं को सरल बनाकर अनुपालन (compliance) का बोझ घटाएगा, जबकि टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। लागू होने की संभावित तारीख 1 अप्रैल 2026 बताई जा रही है। 

Contents
संसद में बिल की प्रगति: लोकसभा से राज्यसभा तककब से लागू हो सकता है नया कानून?क्या टैक्स दरों में बदलाव होगा?क्यों ज़रूरत पड़ी New Income Tax Bill 2025 की?नई संरचना: 536 धाराएं और 16 अनुसूचियां‘Tax Year’ का कॉन्सेप्ट: Previous/Assessment Year खत्मअनुपालन आसान कैसे होगा?निवेशकों के लिए अहम प्रावधान: Section 80M की वापसीबिज़नेस प्रॉपर्टी पर राहत: खाली/अनुपयोगी परिसंपत्ति पर कर नहींआम करदाता के लिए इसका मतलब क्या?नीति-निर्माण का सिग्नलNew Income Tax Bill 2025 का नया युगआध्यात्मिक दृष्टिकोण : जीवन के हर क्षेत्र में सही ज्ञान की ज़रूरतFAQs on New Income Tax Bill 2025

संसद में बिल की प्रगति: लोकसभा से राज्यसभा तक

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिल को लोकसभा में पेश किया, जहां विपक्ष के विरोध के बीच इसे कम समय में पारित कराया गया। इसके अगले दिन, राज्यसभा ने भी ध्वनिमत से बिल को मंजूरी दे दी। अब बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी होते ही 1961 का कानून इतिहास हो जाएगा। 

कब से लागू हो सकता है नया कानून?

आधिकारिक संकेतों के मुताबिक, New Income Tax Bill 2025 को 1 अप्रैल 2026 से लागू करने की संभावना जताई गई है। यानी, कर प्रणाली में बड़े बदलाव वित्त वर्ष 2026–27 से प्रभावी हो सकते हैं। अंतिम लागू तारीख सरकार की अधिसूचना पर निर्भर करेगी। 

क्या टैक्स दरों में बदलाव होगा?

सरकार ने स्पष्ट किया है कि नए कानून में टैक्स दरों/स्लैबों में कोई बदलाव प्रस्तावित नहीं है। फोकस नियमों को आसान, स्पष्ट और आधुनिक बनाने पर है, ताकि करदाता बिना भ्रम के अनुपालन कर सकें। 

क्यों ज़रूरत पड़ी New Income Tax Bill 2025 की?

1961 का आयकर कानून दशकों में अनगिनत संशोधनों से जटिल हो गया था। डिजिटल अर्थव्यवस्था और नए तरह के लेनदेन के दौर में सरकार का मानना है कि एक समग्र नया ढांचा जरूरी था, जिसमें भाषा सरल हो और प्रावधान सुव्यवस्थित तरीके से समेटे गए हों। 

नई संरचना: 536 धाराएं और 16 अनुसूचियां

नए बिल को 536 Sections और 16 Schedules में व्यवस्थित किया गया है। उद्देश्य यह है कि प्रावधानों को खोजने-समझने में आसानी हो, और कानून की पढ़ने-समझने योग्य (readable) बनावट बने। पुराने बिखरे/दोहराए गए क्लॉज़ हटाए जाने का भी प्रावधान है। 

‘Tax Year’ का कॉन्सेप्ट: Previous/Assessment Year खत्म

नए ढांचे में ‘Tax Year’ की अवधारणा लाई जा रही है। इसके साथ Previous Year और Assessment Year जैसे पुराने कॉन्सेप्ट को हटाने की बात कही गई है। उद्देश्य वार्षिक अनुपालन को सरल और समकालीन बनाना है। 

अनुपालन आसान कैसे होगा?

  • Zero TDS Certificate की सुविधा: पात्र करदाता अग्रिम रूप से शून्य टीडीएस का प्रमाणपत्र ले सकेंगे, जिससे नकदी प्रवाह पर अनावश्यक दबाव कम होगा।
  • लेट ITR पर भी रिफंड में आसानी: समय सीमा के बाद दाखिल रिटर्न के मामलों में भी रिफंड प्रक्रियाओं को बाधारहित बनाने का प्रावधान है।
  • असंगत क्लॉज़ का निष्कासन: ऐसे प्रावधान जो अब व्यवहार में मददगार नहीं हैं, उन्हें हटाने का प्रस्ताव रखा गया है।

इन कदमों का उद्देश्य प्रक्रियागत अड़चनों को कम करना और करदाताओं का अनुभव बेहतर बनाना है। 

निवेशकों के लिए अहम प्रावधान: Section 80M की वापसी

डिविडेंड पर Section 80M के तहत कटौती (deduction) की फिर से शुरुआत का प्रस्ताव है। इससे कंपनी-स्तर पर डिविडेंड के वितरण में दोहरी कराधान की आशंका कम होगी और कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर्स में टैक्स योजना सरल हो सकेगी। 

बिज़नेस प्रॉपर्टी पर राहत: खाली/अनुपयोगी परिसंपत्ति पर कर नहीं

ऐसी व्यावसायिक संपत्तियां जिनका लंबे समय से उपयोग नहीं हुआ है या वे रिक्त पड़ी हैं, उन पर कर न लगाने का प्रावधान रखा गया है। इससे अस्थायी रूप से बंद या अनुपयोगी परिसंपत्तियों पर अनचाहे कर बोझ से राहत मिलेगी। 

आम करदाता के लिए इसका मतलब क्या?

♦️भाषा में सरलता: कानूनी शब्दावली को आसान किया गया है, ताकि करदाता बिना विशेषज्ञ सहायता के भी प्रमुख नियम समझ सकें।

♦️फाइलिंग अनुभव बेहतर: Tax Year का कॉन्सेप्ट और रिफंड से जुड़े सरलीकरण मिलकर फाइलिंग के चरणों को स्पष्ट बनाते हैं।

♦️नकदी प्रवाह में सहूलियत: Zero TDS Certificate व्यवस्था से टैक्स कटौती के कारण पैदा होने वाली नकदी अड़चनों में कमी आ सकती है।

♦️निवेश निर्णयों में स्पष्टता: Section 80M की वापसी से डिविडेंड वितरण पर स्पष्ट रूल-बुक मिलेगी।

ये बदलाव उसी दिशा में हैं जिसमें सरकार कम्प्लायंस-फ्रेंडली टैक्स सिस्टम बनाना चाहती है। 

नीति-निर्माण का सिग्नल

बिल की तेजी से प्रगति (लोकसभा में सीमित चर्चा के साथ पारित और राज्यसभा में ध्वनिमत) सरकार की प्राथमिकता को दिखाती है पुराने, भारी-भरकम ढांचे को हटाकर आधुनिक और व्यवस्थित कर कानून लाना। आगे, राष्ट्रपति की मंजूरी और अधिसूचना के बाद, इसके क्रियान्वयन की विस्तृत नियमावली (रूल्स/नोटिफिकेशंस) आएगी, जिनसे हर प्रावधान का ग्राउंड-लेवल असर और स्पष्ट होगा। 

New Income Tax Bill 2025 का नया युग

New Income Tax Bill 2025 भारतीय कर ढांचे में छह दशक बाद सबसे बड़ा संरचनात्मक बदलाव है। 1961 के कानून की जगह लेते हुए इसका जोर सरल भाषा, स्पष्ट संरचना और कम अनुपालन बोझ पर है। टैक्स दरों को बिना छेड़े, Tax Year, Zero TDS Certificate, Section 80M और लेट ITR रिफंड जैसे कदम करदाताओं के अनुभव को बेहतर बनाने की तरफ इशारा करते हैं। राष्ट्रपति की मंजूरी और बाद की अधिसूचनाओं के साथ, इसके प्रभाव 1 अप्रैल 2026 से देखने को मिल सकते हैं। 

आध्यात्मिक दृष्टिकोण : जीवन के हर क्षेत्र में सही ज्ञान की ज़रूरत

जिस प्रकार सरकार ने नया कानून लाकर करदाताओं की मुश्किलें आसान करने का प्रयास किया है, उसी प्रकार जीवन की जटिलताओं से मुक्ति पाने के लिए सही आध्यात्मिक मार्गदर्शन आवश्यक है। संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि सच्ची भक्ति और पूर्ण ज्ञान से मानव जीवन सहज और सुखमय बनता है। उनका संदेश यह है कि केवल भौतिक उपलब्धियाँ ही पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि वास्तविक सुख और शांति परमात्मा को सही ज्ञान के साथ जानने और भक्ति करने से ही मिलती है। यही कारण है कि आज उनके विचार हर वर्ग के लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।

👉 अवश्य पढ़ें : पवित्र पुस्तक “ज्ञान गंगा”

अधिक जानकारी के लिए विज़िट करें: 🌐 www.jagatgururampalji.org

FAQs on New Income Tax Bill 2025

1) क्या New Income Tax Bill 2025, Income Tax Act 1961 को पूरी तरह बदल देगा?

हाँ। संसद के दोनों सदनों से बिल पारित हो चुका है और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह 1961 के अधिनियम की जगह लेगा। 

2) यह कब से लागू होगा?

लागू होने की संभावित तारीख 1 अप्रैल 2026 बताई गई है। अंतिम लागू तारीख सरकारी अधिसूचना से तय होगी। 

3) क्या टैक्स स्लैब/दरें बदली गई हैं?

नहीं। सरकार ने कहा है कि टैक्स रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है; फोकस नियम और प्रक्रियाएँ सरल करने पर है। 

4) नए कानून की प्रमुख खासियतें क्या हैं?

536 धाराएं, 16 अनुसूचियां, Tax Year का कॉन्सेप्ट, Zero TDS Certificate, Section 80M की वापसी, लेट ITR पर भी रिफंड में आसानी और असंगत क्लॉज़ का हटना—ये प्रमुख बिंदु हैं। 

5) क्या खाली/अनुपयोगी बिज़नेस प्रॉपर्टी पर टैक्स लगेगा?

प्रावधान के अनुसार, ऐसी खाली/अनुपयोगी व्यावसायिक संपत्तियों पर कर नहीं लिया जाएगा। 

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