नेपाल इस समय गहरे संवैधानिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार बनाने की कवायद लगातार जारी है, लेकिन अब तक किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन सकी। शुरुआती दौर में पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने पर सहमति बनती दिख रही थी, लेकिन अचानक हालात बदल गए और अब नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के पूर्व सीईओ कुलमन घिसिंग सबसे मजबूत दावेदार बनकर सामने आए हैं।
क्यों सुशीला कार्की से पलटा फैसला?
नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रही सुशीला कार्की अपनी ईमानदारी और भ्रष्टाचार विरोधी फैसलों के लिए जानी जाती हैं। आधी रात को हुई गुप्त बैठक में उनके नाम पर सहमति बन गई थी, लेकिन बाद में निम्न बातों के कारण फैसला बदला गया।
- उनकी उम्र (72 वर्ष) और राजनीतिक अनुभव की कमी को लेकर सवाल उठे।
- Gen-Z प्रदर्शनकारियों के एक हिस्से ने उनके नाम का विरोध किया।
- आर्मी चीफ ने उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन अंततः उन्होंने खुद नाम वापस ले लिया।
यही वजह रही कि Gen-Z आंदोलन ने नया नाम आगे बढ़ाया – और वह नाम है कुलमन घिसिंग।
कुलमन घिसिंग कैसे बने फेवरेट?
कुलमन घिसिंग नेपाल में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। जब वह नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के सीईओ थे, तब उन्होंने देश से लंबे समय से चली आ रही लोडशेडिंग (बिजली कटौती) की समस्या खत्म कर दी थी। इसी वजह से लोग उन्हें ‘लोडशेडिंग हीरो’ कहते हैं। कुछ अन्य बातों की वजह से भी वह प्रधानमंत्री के चयन के लिए सबसे आगे हैं जो इस प्रकार हैं:-
- वह गैर-राजनीतिक छवि वाले और भ्रष्टाचार से दूर माने जाते हैं।
- ऊर्जा क्षेत्र में उनके सुधारों ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया।
- Gen-Z प्रदर्शनकारी मानते हैं कि वह नई सरकार आने तक स्थिरता और निष्पक्षता ला सकते हैं।
- आर्मी चीफ और कई वरिष्ठ नेताओं ने भी उनके नाम पर सहमति जताई है।
आधी रात की गुप्त बैठक से लेकर नया ट्विस्ट
राष्ट्रपति भवन (शीतल निवास) में देर रात एक अहम बैठक हुई जिसमें राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, आर्मी चीफ, संसद के स्पीकर, सुप्रीम कोर्ट के जज और कुछ वरिष्ठ राजनीतिक चेहरे मौजूद थे।
- पहले सुशीला कार्की का नाम लगभग तय था।
- लेकिन बैठक के दौरान उनके अनुभव और उम्र पर सवाल उठे।
- उसी समय कुछ समूहों ने *कुलमन घिसिंग* का नाम सामने रखा।
- बहस के बाद बहुमत उनके पक्ष में चला गया।
यही वजह रही कि आधी रात को सुशीला कार्की की जगह कुलमन घिसिंग का नाम आगे कर दिया गया।
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क्या कहती है संवैधानिक स्थिति?
नेपाल का संविधान स्पष्ट रूप से अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए प्रावधान नहीं बताता। इसी वजह से राष्ट्रपति को अध्यादेश लाने की तैयारी करनी पड़ रही है। माना जा रहा है कि:
- घिसिंग को पहले उच्च सदन में नामित किया जाएगा।
- इसके बाद उन्हें संसद में पेश करके अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाएगा।
- यह सरकार आगामी 6 महीने के भीतर होने वाले चुनावों तक सत्ता संभालेगी।
Gen-Z का रोल क्यों अहम है?
नेपाल में मौजूदा राजनीतिक भूचाल की सबसे बड़ी वजह Gen-Z आंदोलन है। युवा पीढ़ी ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए, जिसके चलते केपी शर्मा ओली की सरकार गिर गई। अब वही तय कर रहे हैं कि अंतरिम सरकार का चेहरा कौन होगा।
- शुरू में उन्होंने सुशीला कार्की का नाम आगे बढ़ाया।
- बाद में आंतरिक असहमति और चर्चाओं के बाद कुलमन घिसिंग को समर्थन दिया।
- उनका मानना है कि घिसिंग गैर-राजनीतिक और पारदर्शी प्रशासन दे सकते हैं।
आज हो सकता है बड़ा ऐलान
काठमांडू से आ रही खबरों के मुताबिक, आज यानी शुक्रवार को आधिकारिक रूप से यह ऐलान हो सकता है कि नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री कुलमन घिसिंग होंगे। हालांकि, अंतिम पल में कोई और ट्विस्ट भी संभव है, क्योंकि नेपाल की राजनीति हमेशा से ही अचानक फैसलों और नाटकीय बदलावों के लिए जानी जाती है।
निष्कर्ष
नेपाल की मौजूदा स्थिति न सिर्फ वहां की जनता बल्कि पूरी दक्षिण एशिया की राजनीति के लिए अहम है। अगर कुलमन घिसिंग वाकई अंतरिम प्रधानमंत्री बनते हैं तो यह नेपाल की राजनीति में गैर-राजनीतिक नेतृत्व का नया प्रयोग होगा। वहीं, सुशीला कार्की का नाम वापस लेने से यह भी साफ है कि नेपाल की सियासत में अभी भी अस्थिरता बनी हुई है।