बीती रात देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तबीयत बिगड़ने के बाद गुरुवार शाम को उन्हें एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया। रात करीब आठ बजे एम्स की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था।
92 वर्षीय सिंह को अस्पताल के आपातकालीन विभाग में लाया गया था। उनके अस्पताल में भर्ती होने का कारण तत्काल पता नहीं चल पाया था। बताया जा रहा है कि उन्हें हृदय संबंधी परेशानी थी। उनके निधन पर देश की राजनीति में शोक का माहौल है।
अर्थशास्त्री से प्रधानमंत्री तक का सफर
Dr. Manmohan Singh passes away: डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 1932 में पंजाब (पाकिस्तान) में हुआ था। वे भारत के दिग्गज अर्थशास्त्री के रूप में विख्यात हुए, उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के “भीष्म पितामह” के नाम से भी जाना गया। 1991 में चंद्रशेखर की सरकार गिरने के बाद ‘पी. वी. नरसिम्हा राव’ प्रधानमंत्री बने। उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह खराब हो चुकी थी। तभी आर्थिक संकट से निकलने के लिए अगला वित्त मंत्री कौन होना चाहिए, इसकी चर्चा होने लगी। शुरुआत में सभी लोगों ने RBI के पूर्व गवर्नर आईजी पटेल के नाम पर सहमति जताई, लेकिन पटेल ने यह पद संभालने से इनकार कर दिया। उसके बाद डॉ. मनमोहन सिंह का नाम आगे आया।
डॉ मनमोहन सिंह 20 जून 1991 को देर रात नीदरलैंड से लौटे, और सो रहे थे। तभी उन्हें पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में ‘वित्त मंत्री’ बनने का आफर दिया गया। उसके अगले ही दिन वे सभा में पहुंचे और उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में पदभार संभाला। इसके अलावा वे 1972 से 1976 तक वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार भी रहे। साथ ही 1982 से 1985 तक वे भारत के गवर्नर भी रहे। और अंततः उन्होंने 2004 से 2014 तक लगातार दो बार यूपीए सरकार में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की।
मनमोहन सिंह की प्रधानमंत्री कार्यकाल की उपलब्धियां और उनके मजबूत फैसले
बतौर प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐसे महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिनके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। डॉक्टर सिंह के अद्भुत फैसलों ने भारत को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
सूचना का अधिकार (RTI), शिक्षा का अधिकार (RTE) और मनरेगा जैसी तमाम योजनाए भारत के लिए रीड साबित हुई। उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था ने नए रिकॉर्ड कायम किए। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला। 2008 की आर्थिक मंदी में भी उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को डिगने नहीं दिया।
Dr. Manmohan Singh:देशभर में राष्ट्रीय शोक की लहर
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित देश के कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। भारत सरकार ने 27 दिसंबर के लिए निर्धारित सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए, और सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित कर दिया है।
डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ आज 28 दिसंबर को किया जाएगा। उनकी सादगी, विद्वता और देश के प्रति समर्पण के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
देश में 10 साल प्रधानमंत्री रहे
डा. मनमोहन सिंह ने दस वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियाँ निभाईं। इस दौरान उन्होंने देश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। बेहद शांत स्वभाव के नेता रहे डा. मनमोहन सिंह ने देश की आर्थिक प्रगति के लिए नई नीतियों को लागू किया था, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार आया।
महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ
- आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत: 1991 में भारत गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, जिसमें विदेशी मुद्रा की कमी, उच्च वित्तीय घाटा और बढ़ते कर्ज शामिल थे। इस संकट के दौरान, डा. मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने मुक्त व्यापार, निजीकरण और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने वाले नीतिगत परिवर्तनों को लागू किया, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली। इन सुधारों ने भारतीय बाजार को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया और दीर्घकालिक आर्थिक विकास के मार्ग प्रशस्त किए।
- नाभिकीय समझौता: उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच नाभिकीय समझौते को सफलतापूर्वक लागू किया, जिसने देश की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत किया।
- सामाजिक कार्यक्रम: राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) और सूचना का अधिकार अधिनियम जैसी पहलें शुरू की गईं, जिन्होंने समाज में पारदर्शिता और रोजगार के अवसर बढ़ाए।
व्यक्तिगत जीवन
डा. मनमोहन सिंह का विवाह गुरशरण कौर से हुआ था। उनके दो संतानें हैं। वे अपने सादगीपूर्ण जीवन के लिए जाने जाते थे और हमेशा देश की सेवा में तत्पर रहते थे।
डा. मनमोहन सिंह की शैक्षिक योग्यताएँ
डा. मनमोहन सिंह भारत के एक प्रमुख अर्थशास्त्री और सम्मानित राजनीतिज्ञ थे। उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि ने उन्हें न केवल एक उत्कृष्ट अकादमिक बल्कि एक प्रभावशाली नेता बनने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी प्रमुख शैक्षिक योग्यताएँ निम्नलिखित हैं:
- प्रारंभिक शिक्षा: मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब के गाह गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों में प्राप्त की, जहाँ से उन्होंने अपनी मजबूत अकादमिक नींव रखी।
- स्नातक शिक्षा: 1953 में, डा. सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनकी अकादमिक उत्कृष्टता ने उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया।
- स्नातकोत्तर शिक्षा: 1955 में, मनमोहन सिंह ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज से अर्थशास्त्र में मास्टर ऑफ आर्ट्स (एमए) की डिग्री प्राप्त की। कैंब्रिज विश्वविद्यालय में उनके अध्ययन ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र के गहरे ज्ञान से लैस किया।
- पीएचडी: 1962 में, उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड से अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री पूरी की। उनका शोध कार्य आर्थिक सिद्धांतों पर केंद्रित था, जिसने उन्हें वैश्विक अकादमिक समुदाय में मान्यता दिलाई।
- शैक्षणिक करियर: अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, डा. मनमोहन सिंह ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में लेक्चरर के रूप में कार्य किया। उनके शिक्षण के दौरान, उन्होंने अनेक छात्रों को प्रेरित किया और आर्थिक नीतियों पर महत्वपूर्ण शोध कार्य किए।
- अंतरराष्ट्रीय अनुभव: डा. सिंह ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक में भी कार्य किया, जहाँ उन्होंने वैश्विक आर्थिक नीतियों के विकास में योगदान दिया।
डा. मनमोहन सिंह की शैक्षिक उपलब्धियाँ और उनके गहन अध्ययन ने उन्हें न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री के रूप में स्थापित किया। उनकी शिक्षा ने उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों के आर्किटेक्ट के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाया, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा प्रदान की।
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शोक समारोह
देश के विभिन्न राजनेताओं, अंतरराष्ट्रीय नेताओं और आम जनता ने डा. मनमोहन सिंह के निधन पर अपनी संवेदनाएँ व्यक्त की हैं। उन्होंने सिंह जी की नेतृत्व क्षमता, ईमानदारी और समर्पण की प्रशंसा की है।
डा. मनमोहन सिंह के सम्मान में संभवतः 28 दिसंबर (शनिवार) एक राष्ट्रस्तरीय शोक समारोह आयोजित किया जाएगा। उनका जीवन देश की सेवा में समर्पित था और उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत आधार छोड़ दिया है।
आध्यात्मिकता के प्रकाश में डा. मनमोहन सिंह की विरासत
डा. मनमोहन सिंह का जीवन उनके कर्तव्यनिष्ठा, सादगी और देश के प्रति समर्पण का अद्भुत उदाहरण है। उनकी नीतियों ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया और समाज में सकारात्मक बदलाव लाए। उनका योगदान राजनीति और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में सदैव स्मरणीय रहेगा।
हालाँकि, जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य केवल भौतिक प्रगति नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी है। संत रामपाल जी महाराज जी ने शास्त्रों के अनुसार बताया है, सच्ची सफलता तभी मिलती है जब हम ईश्वर के बनाए गए आध्यात्मिक नियमों के अनुसार जीवन जीते हैं। उनकी शिक्षाओं में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केवल भौतिक उपलब्धियाँ हमें आंतरिक शांति और मोक्ष प्रदान नहीं कर सकतीं।
कबीर परमात्मा जी कहते हैं–
कबीर, आए हैं सो जाएंगे, राजा, रंक, फकीर।
एक सिंहासन चढ़ चले, एक बंधे जात जंजीर।।
अर्थ: इस दोहे में कबीर परमात्मा जी ने यह महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि राजा, रंक, फकीर सभी सांसारिक शरीर धारण कर आते हैं और मृत्यु के समय सभी को एक ही अधीनता का सामना करना पड़ता है। चाहे कोई राजा हो, रंक, या फकीर, मृत्यु सबके लिए समान है। भौतिक संपत्ति, ऐश्वर्य, या पद इनका कोई भी इस संसार में कुछ भी नहीं कर सकता।
परंतु, मृत्यु के समय का परिणाम मनुष्य के कर्मों पर निर्भर करता है। जो लोग सच्ची भक्ति नहीं करते, उनके प्राण यमदूतों के साथ धर्मराज के न्यायालय में बंधे हुए जंजीरों में पेश किए जाते हैं। दूसरी ओर, जो लोग परमात्मा की सच्ची भक्ति में लगे होते हैं, उन्हें सुखद स्थिति में ले जाया जाता है, अर्थात उन्हें सिंहासन पर प्रतिष्ठित किया जाता है।
इसलिए, मनुष्य को पूर्ण गुरु की शरण में आकर सच्ची भक्ति करनी चाहिए, यही सभी शास्त्रों का सार है।
अगर हम संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा बताई गई सतभक्ति और ईश्वर के वास्तविक ज्ञान को अपने जीवन में अपनाएँ, तो न केवल हमारा व्यक्तिगत जीवन शांतिमय होगा, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक बदलाव आएगा। डा. मनमोहन सिंह जैसे महान व्यक्तित्वों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का सबसे उचित तरीका यही होगा कि हम भी उनके सादगी, सेवा और समर्पण के मूल्यों को अपनाएँ और इसे आध्यात्मिक चेतना से जोड़ें। यही सच्चे अर्थों में उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।