पाकिस्तान एक बार फिर गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था डूबने के कगार पर है। विदेशी मुद्रा भंडार कम हो गया है और महंगाई आसमान छू रही है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक अहम बैठक शुक्रवार को आयोजित की गई, जिसमें पाकिस्तान को दो अरब डॉलर की आर्थिक सहायता देने का प्रस्ताव रखा गया।
भारत IMF बैठक में रखेगा विरोध
भारत IMF के बोर्ड में एक अहम सदस्य है और उसने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध जताने का फैसला लिया है। भारत की ओर से IMF में कार्यकारी निदेशक परमेश्वरन अय्यर इस बैठक में देश का पक्ष रखेंगे। भारत की ओर से यह साफ संदेश दिया गया है कि पाकिस्तान को वित्तीय सहायता देना, आतंकवाद को अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहित करना है।
आतंकी गतिविधियों का समर्थन
भारत ने IMF और अन्य सदस्य देशों को यह भी बताया कि पाकिस्तान की सरकार ने बार-बार सीमा पार से आतंकवाद को अपनी नीति का हिस्सा बनाया है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई जवाबी कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान अब भी आतंकी संगठनों को पनाह दे रहा है।
IMF के सामने भारत की दलील
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी इस मुद्दे पर स्पष्ट संकेत दिए। उन्होंने कहा कि IMF में मौजूद सभी देश यह जान लें कि पाकिस्तान जैसे देश को आर्थिक मदद देना विश्व शांति के खिलाफ है। “जो लोग पाकिस्तान के लिए अपनी जेब से पैसे दे रहे हैं, उन्हें यह भी समझना चाहिए कि वे किस तरह की विचारधारा को समर्थन दे रहे हैं,” मिसरी ने कहा।
अमेरिका और चीन की भूमिका
IMF में अमेरिका और चीन दो बड़े हिस्सेदार हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और चीन के विरोध न करने के कारण पाकिस्तान को यह कर्ज मिल सकता है। लेकिन भारत की कोशिश यही है कि बाकी सदस्य देशों को पाकिस्तान की वास्तविकता से अवगत कराया जाए।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमराई
पाकिस्तान पर पहले ही करीब 130 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। हर साल उसे इसका भारी ब्याज चुकाना पड़ रहा है। मौजूदा हालात में वह ना तो कर्ज चुका पा रहा है और ना ही अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर कर पा रहा है। पाकिस्तान सरकार ने IMF की पिछली शर्तों को मानते हुए टैक्स बढ़ाए और सब्सिडी कम की, जिससे जनता का जीना मुश्किल हो गया।
युद्ध जैसे हालात से और बिगड़ी स्थिति
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में बढ़े तनाव ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। भारत ने पहलगाम हमले के जवाब में पाकिस्तान के अंदर 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के 12 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
लंबे संघर्ष से पाकिस्तान का और नुकसान
आर्थिक जानकारों का मानना है कि अगर दोनों देशों के बीच यह संघर्ष लंबा खिंचता है, तो पाकिस्तान की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था पूरी तरह तबाह हो सकती है। वहां विदेशी निवेश रुक जाएगा, व्यापारिक गतिविधियां बंद हो जाएंगी और बेरोजगारी चरम पर पहुंच जाएगी।
IMF को लेना होगा जिम्मेदार फैसला
भारत ने स्पष्ट किया है कि IMF को वित्तीय सहायता देते समय केवल आर्थिक आंकड़ों को नहीं, बल्कि राजनीतिक और सुरक्षा हालात को भी ध्यान में रखना चाहिए। अगर आतंकवाद को शह देने वाले देश को बार-बार राहत दी जाती रही, तो वैश्विक शांति और स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।
भारत का रुख सख्त
भारत का रुख इस बार पूरी तरह सख्त है। वह हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की सच्चाई उजागर कर रहा है। IMF की यह बैठक सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है। भारत की कोशिश है कि दुनिया पाकिस्तान को सिर्फ एक आर्थिक रूप से कमजोर देश ना समझे, बल्कि एक ‘आतंकी पालक’ सरकार के रूप में पहचाने।
अब IMF पर निर्भर करता है कि वह पाकिस्तान की असलियत को समझते हुए कोई फैसला ले। भारत का विरोध इस दिशा में एक बड़ा कदम है। वैश्विक मंच पर भारत की आवाज अब और मुखर हो रही है, और यह साफ है कि आतंकवाद को समर्थन देने वालों को अब राहत नहीं, जवाबदेही दी जाएगी।