Hindenburg Report: 10 अगस्त 2024 को सुबह 5:34 बजे हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने एक्स पर एक ट्वीट कर लिखा कि Something big soon India यानि भारत में कुछ बड़ा होने वाला है।
10 अगस्त 2024 की रात हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से एक रिपोर्ट जारी हुई। इस रिपोर्ट में SEBI की मौजूदा चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया है।
आइए, इस लेख में जानते है इस बार हिंडनबर्ग रिपोर्ट के सुर्ख़ियों में होने की वजह क्या है?
Hindenburg Report: हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट मुख्य बिंदु
- 10 अगस्त को हिंडनबर्ग रिसर्च कम्पनी ने ट्वीट के माध्यम “Something big soon India” लिखकर मचाया तहलका
- हिंडनबर्ग रिसर्च कम्पनी ने सेबी प्रमुख पर अदानी समूह के साथ मिलीभगत के लगाए आरोप
- जिसके जबाव में 27 जून 2024 को SEBI ने हिंडनबर्ग रिसर्च कम्पनी को ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजा, जिसके बाद हिंडनबर्ग ने 10 अगस्त को SEBI की चेयरपर्सन के खिलाफ एक रिपोर्ट जारी की
- इस रिपोर्ट के बाद अदानी समूह के शेयर फिर से नीचे गिरे
Hindenburg Report: हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी का क्या काम है?
- कॉर्पोरेट जगत की गतिविधियों का खुलासा करने वाली वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च का काम शेयर बाजार में हो रहे वित्तीय हादसे से लोगों को बचाना है।
- यह कंपनी शेयर बाजार में हो रही वित्तीय गड़बड़ियों तथा अनियमितता पर नजर रखती है तथा उसे रिपोर्ट के माध्यम से सामने लाती है।
- यह कंपनी 2017 से काम कर रही है।
- कंपनी का दावा है कि उसने अब-तक दर्जनों ऐसी रिपोर्ट जारी की हैं जिनमें देश-विदेश की कई कंपनियों के गैरकानूनी लेन-देन तथा वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया गया है।
अदानी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट का असर
- साल 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी ने अदानी समूह पर एक रिपोर्ट जारी कर अदानी समूह के खिलाफ शेयर बाजार में हेराफेरी तथा वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया था जिसके बाद भारतीय शेयर बाजार में भारी-भरकम गिरावट देखी गई थी।
- इस रिपोर्ट के बाद अदानी समूह को करीब 150 अरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा था नतीजन गौतम अदानी दुनिया के टाॅप 20 रईसों की लिस्ट से बाहर हो गए थे।
- इस रिपोर्ट ने भारत में ऐसा तहलका मचाया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया।
Hindenburg Report: सुप्रीम कोर्ट ने जताया SEBI पर भरोसा
- सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी 2024 को CBI जांच की मांग को खारिज करते हुए SEBI की जांच पर भरोसा जताया।
- जनवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट से अदानी समूह को क्लीन चिट मिली और कुछ दिनों के लिए मामला शांत हुआ।
- 27 जून 2024 को SEBI ने हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी को ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजा।
- SEBI द्वारा भेजे नोटिस का जवाब देने के बजाय हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी ने SEBI की चेयरपर्सन को लेकर 10 अगस्त को फिर से एक रिपोर्ट जारी कर दी जिससे मामले ने फिर तूल पकड़ लिया है।
- इस रिपोर्ट के बाद अदानी समूह के शेयर में फिर से गिरावट आई है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में SEBI की चेयरपर्सन पर क्या आरोप है?
Hindenburg Report: हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी ने 10 अगस्त को SEBI की चेयरपर्सन पर आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की ऑफशोर बरमूडा और माॅरीशस फंड में हिस्सेदारी थी, जिसका इस्तेमाल गौतम अदानी के छोटे भाई विनोद अदानी ने किया था।
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रिपोर्ट में आगे यह भी बताया गया है कि इन भांडाफोड़ दस्तावेजों (Whistleblower Documents) के आधार पर ऐसा लगता है कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ 5 जून 2015 में अपना खाता खुलवाया था। हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में दस्तावेजों के साथ कई खुलासे किए हैं और माधबी पुरी बुच और उनके पति पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
Hindenburg Report को SEBI चेयरपर्सन ने बताया निराधार
Hindenburg Report: इस रिपोर्ट पर विरोध जताते हुए SEBI चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने 11 अगस्त को संयुक्त बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में उनके और उनके पति के प्रति जो आरोप लगाए गए हैं वे बिल्कुल निराधार है। उन्होंने कंपनी के खिलाफ यह भी आरोप लगाया कि उनके ‘कारण बताओ’ नोटिस के जवाब में उनके प्रति गलत आरोप लगाया गया है।
अदानी समूह ने भी दिया बयान
Hindenburg Report: इस रिपोर्ट की प्रतिक्रिया में अदानी समूह ने भी 11 अगस्त को अपना बयान दिया है। उन्होंने हिंडनबर्ग द्वारा लगाए आरोप को खारिज करते हुए कहा कि यह आरोप गलत है। पिछले साल लगाए गए आरोपों को सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह खारिज कर दिया है।
क्या वास्तव में भारत में कुछ बड़ा होने वाला है?
Hindenburg Report: हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी के द्वारा अदानी समूह और SEBI की चेयरपर्सन के खिलाफ रिपोर्ट से पूरी दुनिया की नज़र भारत पर टिकी हुई है। एक तरफ इस रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार में तहलका मचा हुआ है और भारतीय शेयर बाजार में भारी-भरकम गिरावट आई है। वहीं दूसरी तरफ भविष्यवक्ताओं द्वारा भारत और उसके धार्मिक नेता के प्रति की गई भविष्यवाणियों की वजह से भी पूरी दुनिया की नज़र भारत पर टिकी हुई है।
भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस के अनुसार भारत का एक धार्मिक नेता पूरे देश और दुनिया में आध्यात्मिक क्रांति ला देगा। वह धार्मिक महापुरुष ऐसा रहस्यमय ज्ञान बताएगा जो उनसे पहले किसी ने नहीं बताया होगा। सभी विद्वान कहलाने वाले ज्ञानी उस महान क्रांतिकारी महापुरुष के ज्ञान के सामने नतमस्तक हो जाएंगे।
कौन है वो महान क्रांतिकारी महापुरुष
हमारी रिसर्च टीम ने भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियों को कई बार खंगाला है लेकिन जो रिपोर्ट सामने निकल आई है वह चौंका देने वाली है। इतने सारे धर्मगुरु होने के बावजूद केवल एक संत रामपाल जी महाराज ही वह महान संत हैं। पवित्र हिंदू धर्म में जन्मे संत रामपाल जी महाराज जी ही ऐसा अद्भुत ज्ञान बता रहे हैं जो पहले किसी धर्म गुरु ने नहीं बताया है।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताए गए अद्भुत ज्ञान को जानने के लिए आप Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर जाइए और उनके द्वारा दिए गए सत्संग सुनिए।
FAQ About Hindenburg Report
Q.1 हिन्डनबर्ग की रिपोर्ट में क्या है?
Ans. साल 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी ने अदानी समूह पर एक रिपोर्ट जारी कर अदानी समूह के खिलाफ शेयर बाजार में हेराफेरी तथा वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया था, साल 2024 में हिंडनबर्ग ने अपनी नई रिपोर्ट में अदानी समूह के साथ सेबी प्रमुख की मिलीभगत के आरोप भी लगाए हैं।
Q.2 हिंडनबर्ग कम्पनी का संस्थापक कौन है?
Ans. नाथन एण्डरसन।
Q.3 वर्तमान में सेबी की प्रमुख (SEBI Chairperson) कौन है?
Ans. माधवी पुरी बुच।
Q.4 हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच पर क्या आरोप लगाया है?
Ans. कि इन्होंने ऑफशोर फंड्स में निवेश अदाणी समूह के शेयरों में तेजी लाने के लिए किया। बुच दंपति और गौतम अदानी के भाई, विनोद अदानी ने “ऑफशोर फंड्स” के निवेश में जटिल स्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया। REITs संबंधित नियम से Blackstone Private equity को फायदा पहुंचाया गया।
Q.5 अदानी ग्रुप से मिलीभगत वाले हिंडनबर्ग के आरोप के जवाब में SEBI प्रमुख ने क्या कहा?
Ans. माधवी पुरि बुच का कहना है कि ये आरोप बदले की भावना से लगाया जा रहे हैं। 2015 में किए गए निवेश उनके सेबी में नियुक्ति से पहले किए गए हैं।