हिमालय का खतरा: जलवायु परिवर्तन प्रकृति का नियम है, जो समयानुसार होता रहता है। वर्तमान में तापमान में वृद्धि हो रही है, जिसका प्रभाव मानव, पशु-पक्षी, वन्यजीव, कीट-पतंगों और संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहा है। कई ऐसी प्रजातियाँ हैं, जो एक ही दिन में जन्म लेती हैं, प्रजनन करती हैं और समाप्त हो जाती हैं। प्रकृति के कई रहस्य अभी तक वैज्ञानिकों की पहुँच से दूर हैं, जिन्हें केवल ईश्वर ही जानता है।
हिमालय के ग्लेशियर भी ऐसे ही रहस्यमयी हैं। विशाल बर्फीली पर्वत श्रृंखलाएँ तापमान में वृद्धि के कारण धीरे-धीरे पिघल रही हैं, जिससे झीलों, तालाबों और नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है। हालांकि, इसका लाभ भी है और नुकसान भी। वर्तमान में हिमालय की 76% झीलें खतरे में हैं, क्योंकि वे कमजोर चट्टानों पर स्थित हैं और कभी भी टूट सकती हैं। पिछले वर्ष सिक्किम की लोनाक झील हिमस्खलन और अधिक वर्षा के कारण टूट गई थी, जिससे पाँच करोड़ घन मीटर पानी का सैलाब निकला। इस आपदा में 15 पुल और एक पनबिजली बाँध नष्ट हो गया और 92 लोगों की मौत हो गई।
सैटेलाइट के जरिए खतरे वाली झीलों की पहचान
हिमालय का खतरा: सिंथेटिक अपर्चर रडार और ऑप्टिकल इमेजिंग तकनीक की मदद से नेपाल-चीन सीमा पर तेजी से पिघलते ग्लेशियरों और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है। भारतीय भूवैज्ञानिकों और सुहारो टेक्नोलॉजी ने चेतावनी दी है कि ये झीलें कभी भी फट सकती हैं, जिससे भीषण बाढ़ आ सकती है। सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र घाटियों में 33,000 झीलों की निगरानी करने वाली सुहारो की सैटेलाइट रिपोर्ट के अनुसार, ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के कारण झीलों की संख्या बढ़ रही है।
सुहारो के मुताबिक, हिंदू कुश, काराकोरम, और हिमालय क्षेत्र में 1990 से अब तक 10% झीलों का क्षेत्रफल बढ़ गया है, जबकि गंगा बेसिन में झीलों की संख्या 22% तक बढ़ी है। इसरो की रिपोर्ट के अनुसार, 1984 के बाद से हिमालय की 27% हिमनदी झीलें फैल चुकी हैं, जिनमें से 130 भारत में स्थित हैं। बढ़ते तापमान के कारण प्रतिवर्ष कई नई झीलों का निर्माण हो रहा है।
क्या ग्लेशियर पिघलने से प्रकृति को खतरा है?
हिमालय का खतरा: ग्लेशियर पिघलने से कई गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं:
1. समुद्री स्तर में वृद्धि
- तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
- द्वीपों और तटीय शहरों के डूबने का खतरा रहता है।
2. जलवायु परिवर्तन
- तापमान में वृद्धि होती है, जिससे मौसम में असंतुलन आता है।
- अनियमित और तीव्र मौसम घटनाएँ बढ़ जाती हैं।
3. पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव
- जैव विविधता में कमी आती है।
- जल संसाधनों की उपलब्धता प्रभावित होती है।
क्या ग्लेशियर पिघलने से पशु-पक्षियों पर प्रभाव पड़ेगा?
1. आवास विनाश
- हिम तेंदुआ, भारतीय भालू जैसे जीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो सकता है।
- हिमालयन मोनाल और इम्पियन मोनाल जैसे पक्षियों के लिए भी खतरा है।
2. भोजन की कमी
- वनस्पतियों के विलुप्त होने से शिकारियों और शाकाहारी जीवों की आबादी प्रभावित होगी।
3. जलवायु परिवर्तन
- बढ़ता तापमान हिमालयी जीवों के लिए जीवन कठिन बना सकता है।
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क्या ग्लेशियर पिघलने से भारत के प्रमुख शहर खतरे में हैं?
1. तटीय शहर
- मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जलमग्न होने के खतरे में हैं।
2. नदी किनारे बसे शहर
- वाराणसी, पटना, प्रयागराज जैसे शहरों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
3. द्वीप शहर
- मालदीव, श्रीलंका, और बांग्लादेश के द्वीप जलमग्न हो सकते हैं।
क्या ग्लेशियर पिघलने से मानव जीवन प्रभावित होगा?
1. जल संकट
- जल संसाधनों में कमी से पेयजल संकट गहरा सकता है।
- जल प्रदूषण से जलजनित बीमारियाँ बढ़ सकती हैं।
2. खाद्य संकट
- कृषि उत्पादन में गिरावट से खाद्य कीमतें बढ़ सकती हैं।
3. स्वास्थ्य समस्याएँ
- मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
- बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
4. आर्थिक प्रभाव
- जलवायु परिवर्तन की लागत बढ़ेगी।
- पर्यटन उद्योग को नुकसान होगा।
क्या प्रकृति में बड़े बदलाव किसी अनहोनी का संकेत हैं?
प्रकृति के रहस्यों को सुलझाना आसान नहीं है। भविष्य में क्या होगा, यह तो परमात्मा ही बता सकता है जिसने इस सृष्टि का निर्माण किया। जलवायु और प्राकृतिक परिवर्तनों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में बड़े बदलाव हो सकते हैं, जो पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकते हैं।
अंत में
यह प्रश्न विचारणीय है कि इस सृष्टि का मालिक कौन है? इस विषय पर कई साधु-संतों ने चिंतन किया है, लेकिन अब तक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया है। इस सृष्टि का वास्तविक रहस्य क्या है? आखिर कौन है वह मालिक जिसने इस सृष्टि का निर्माण किया? किसने देखा है उस परमात्मा को? संत रामपाल जी महाराज शास्त्रों के प्रमाणों के साथ इन प्रश्नों का उत्तर दे रहे हैं कि परमात्मा कौन है, वह किस रूप में आता है, और उसे पाने की विधि क्या है। अधिक जानकारी के लिए www.jagatgururampalji.org पर जाएँ।
FAQ (प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q: ग्लेशियर पिघलने से क्या नुकसान हैं?
Ans: प्राकृतिक आपदाएँ आ सकती हैं।
Q: ग्लेशियर पिघलने से मानव को क्या नुकसान है?
Ans: बड़े पैमाने पर जनहानि हो सकती है।
Q: ग्लेशियर पिघलने से पशु-पक्षियों को क्या नुकसान होगा?
Ans: हिमालय में निवास करने वाली कई प्रजातियाँ विलुप्त हो सकती हैं।
Q: ग्लेशियर पिघलने से शहरों को क्या नुकसान होगा?
Ans: नदियों के किनारे बसे कई शहर जलमग्न हो सकते हैं।