लेबनान और इस्राइल के बीच दशकों से जारी तनाव ने एक बार फिर गंभीर रूप ले लिया है। हाल ही में इस्राइली सेना द्वारा लेबनान की सीमा पर की गई गोलीबारी में 22 लोगों की मौत हो गई है। इसमें लगभग 124 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। इस घटना ने न केवल लेबनान के हालातों को और खराब कर दिया है, बल्कि पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मरने वालो की संख्या में छह महिलाएं और एक लेबनानी सैनिक भी शामिल है। उस क्षेत्र के लगभग 20 से अधिक गांवों में लोगों के घायल होने की खबर है।
क्या है पूरा मामला
लेबनान के दक्षिणी क्षेत्र में, जहां इस्राइली सेना की उपस्थिति है, स्थानीय नागरिकों ने उनकी वापसी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। निर्धारित समयसीमा के बाद भी इस्राइली सेना की मौजूदगी से नाराज प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर विरोध जताया। इस दौरान, प्रदर्शनकारियों और इस्राइली सैनिकों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें 22 लोगों की जान चली गई और अनेक घायल हो गए।
इस्राइल और हिजबुल्ला के युद्ध को रोकने के लिए नवंबर के अंतिम में संघर्ष विराम समझौता हुआ था। जिसके अनुसार निर्धारित 60 दिन की समय में इस्राइली सेना को दक्षिण लेबनान से हटना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ था। जिसके विरोध में प्रदर्शनकारियों ने बहुत से गांवों में घुसने का प्रयास किया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने हिजबुल्ला के झंडे लिए हुए थे।
लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन का बयान
लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन ने रविवार के दिन दक्षिणी लेबनान के लोगों को संबोधित किया। इसमें उन्होंने कहा कि लेबनान की अखंडता और संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा और मैं आपके अधिकारों और सम्मान के लिए बड़े स्तर पर इस घटना की कार्रवाई करूंगा।
इस्राइली सेना की प्रतिक्रिया
इस्राइली सेना ने बयान जारी कर कहा कि उन्होंने आत्मरक्षा में कार्रवाई की थी, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने उनकी चौकियों पर हमला करने की कोशिश की थी। सेना के अनुसार, उन्होंने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर वास्तविक गोलियों का सहारा लेना पड़ा।
लेबनान सरकार की प्रतिक्रिया
सूत्रों की मानें तो लेबनान सरकार ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस्राइल पर दबाव बनाने की अपील की है, ताकि वह अपनी सेना को तुरंत लेबनान की जमीन से हटा ले।
क्या रही अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि इस तरह की घटनाएं क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा हैं।
कहा जा रहा है कि लेबनान में हालिया हिंसा ने क्षेत्र में पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा दिया है। इस्राइली सेना की निर्धारित समयसीमा के बाद भी उपस्थिति और उसके परिणामस्वरूप हुई हिंसा ने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। दोनों देशों को चाहिए कि वे संयम बरतें और बातचीत के माध्यम से समाधान खोजें ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे।
शांति: सतभक्ति से ही संभव है
विश्व में बिगड़ते हालात, जिनमें न जाने कितने लोगों की जान चली जाती है, के पीछे ईर्ष्या और द्वेष की भावना प्रमुख कारण बन गए हैं। इंसान आज जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों के लिए आपस में लड़कर मरने को तैयार हो जाता है। लेकिन यह नहीं सोचता कि जिस जमीन के लिए हम लड़ाई कर रहे हैं, वह हमारे साथ नहीं जाएगी। एक दिन मृत्यु सबको अपने साथ ले जाती है, और हम खाली हाथ इस संसार से चले जाते हैं।
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