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Home » ऑस्ट्रेलिया की नई सोशल मीडिया नीति पर Google की आपत्ति: “लागू करना अत्यंत जटिल”

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ऑस्ट्रेलिया की नई सोशल मीडिया नीति पर Google की आपत्ति: “लागू करना अत्यंत जटिल”

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Last updated: October 19, 2025 2:16 pm
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ऑस्ट्रेलिया की नई सोशल मीडिया नीति पर Google की आपत्ति: “लागू करना अत्यंत जटिल”
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ऑस्ट्रेलिया में 16 वर्ष से कम आयु के किशोरों के लिए सोशल मीडिया उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाला एक नया कानून 10 दिसंबर 2025 से लागू होने वाला है। हालांकि, Google ने इस कानून को लागू करने को “अत्यंत जटिल” करार दिया है और चेतावनी दी है कि इसे व्यवहार में लागू करना लगभग असंभव हो सकता है।

Contents
  • ऑस्ट्रेलियाई सोशल मीडिया नीति से संबंधित प्रमुख बिंदु (Key Points):-
  • कानून का लक्ष्य बच्चों को साइबर-बुलिंग से सुरक्षित रखना है 
  • Google की चिंताएँ
  • लागू करने की चुनौतियाँ
  • सरकार का दृष्टिकोण
  • कानून से ज़्यादा ज़रूरी क्रियान्वयन
  • डिजिटल युग: विनाश नहीं, ज्ञान का माध्यम बनें
  • ऑस्ट्रेलियाई सोशल मीडिया नीति से संबंधित FAQs 

ऑस्ट्रेलियाई सोशल मीडिया नीति से संबंधित प्रमुख बिंदु (Key Points):-

  1. 10 दिसंबर 2025 से, 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करने से रोका जाएगा।
  1. Google का कहना है कि यह कानून लागू करना न केवल चुनौतीपूर्ण है, बल्कि यह बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित नहीं करेगा।
  1. ऑस्ट्रेलियाई सरकार का मानना है कि यह कानून बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और ऑनलाइन सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
  1. शुरू में YouTube को इस कानून से बाहर रखा गया था, लेकिन बाद में इसे शामिल किया गया, जिस पर Google ने असहमति जताई।
  1. विशेषज्ञों का कहना है कि उम्र सत्यापन तकनीक अभी पूरी तरह सटीक नहीं है।
  1. ऑस्ट्रेलिया इस तरह का कानून लागू करने वाला पहला देश होगा।

कानून का लक्ष्य बच्चों को साइबर-बुलिंग से सुरक्षित रखना है 

इस नए कानून के अनुसार, 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक, YouTube जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी। इन प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि नाबालिग उपयोगकर्ता उनकी सेवाओं तक न पहुँच सकें। कानून का लक्ष्य बच्चों को साइबर-बुलिंग, ऑनलाइन हिंसा, अनुचित सामग्री और गलत सूचनाओं से बचाना है। नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।

ऑस्ट्रेलियाई सरकार इसे बच्चों के मानसिक और भावनात्मक कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानती है। प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज़ ने इसे “बच्चों के हित में बनाया गया कानून” करार दिया है।

Google की चिंताएँ

Google की ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड क्षेत्र की सरकारी मामलों की वरिष्ठ प्रबंधक रशेल लॉर्ड ने संसदीय समिति के समक्ष कहा: “यह कानून लागू करना बेहद जटिल है और यह बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा में वास्तविक सुधार नहीं लाएगा।”

Google का तर्क है कि YouTube जैसे प्लेटफॉर्म्स बच्चों के लिए शैक्षिक संसाधन के रूप में महत्वपूर्ण हैं, और इस तरह के प्रतिबंध शिक्षा और रचनात्मकता को नुकसान पहुँचा सकते हैं। साथ ही, कंपनी का कहना है कि उम्र सत्यापन की मौजूदा तकनीक पूरी तरह सटीक नहीं है।

लागू करने की चुनौतियाँ

ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों के अनुसार, इस कानून को लागू करना कई कारणों से जटिल है:

  • उम्र सत्यापन की समस्या: सरकार द्वारा प्रस्तावित फेस-स्कैनिंग या AI-आधारित उम्र सत्यापन तकनीक में 15-16 वर्ष की आयु के बच्चों की पहचान में त्रुटियाँ हो सकती हैं।
  • बच्चों की रणनीतियाँ: बच्चे अक्सर माता-पिता या भाई-बहनों की पहचान का उपयोग करके खाते बना लेते हैं।
  • विविध प्लेटफॉर्म्स: सैकड़ों सोशल मीडिया ऐप्स पर निगरानी रखना एक बड़ी चुनौती है।
  • YouTube पर विवाद: शुरू में YouTube को इस कानून से बाहर रखा गया था, लेकिन बाद में इसे शामिल करने पर Google ने आपत्ति जताई।
  • पहले से उपयोग: सर्वेक्षणों के अनुसार, 8-12 वर्ष के लगभग 80% बच्चे पहले से ही सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं, जो मौजूदा उम्र प्रतिबंधों की कमज़ोरी को दर्शाता है।

सरकार का दृष्टिकोण

ऑस्ट्रेलियाई सरकार इस कानून को बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक कदम मानती है। कानून लागू होने से पहले, सरकार ने एक जागरूकता अभियान शुरू किया है, जो माता-पिता और बच्चों को सोशल मीडिया के जोखिमों और नए नियमों के बारे में शिक्षित कर रहा है। सरकार इसे “बच्चों के भविष्य की रक्षा” का अभियान मानती है।

कानून से ज़्यादा ज़रूरी क्रियान्वयन

Google की चिंताएँ बताती हैं कि केवल कानून बनाना पर्याप्त नहीं है; इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए तकनीकी और व्यावहारिक समाधान जरूरी हैं। इस नीति का उद्देश्य किशोरों को ऑनलाइन खतरों से बचाना है, जो एक सराहनीय प्रयास है। लेकिन इसकी सफलता सरकार, तकनीकी कंपनियों और अभिभावकों के सहयोग पर निर्भर करेगी।

ऑस्ट्रेलिया इस तरह का कानून लागू करने वाला पहला देश बनने जा रहा है। यदि यह प्रयोग सफल रहा, तो अन्य देश जैसे संयुक्त राज्य, यूनाइटेड किंगडम, या भारत भी समान कदम उठा सकते हैं। हालांकि, यदि उम्र सत्यापन तकनीक या निगरानी व्यवस्था विफल रही, तो यह कानून केवल कागजी सुधार बनकर रह सकता है।

इस नीति की भविष्य की प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या सरकार और तकनीकी कंपनियाँ मिलकर बच्चों के लिए एक सुरक्षित और उपयोगी डिजिटल वातावरण बना पाएँगी।

डिजिटल युग: विनाश नहीं, ज्ञान का माध्यम बनें

ऑस्ट्रेलिया द्वारा बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए उठाया गया यह कदम सराहनीय है, क्योंकि आज सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि विचारों को गढ़ने वाला एक शक्तिशाली साधन बन चुका है। यदि इसका दुरुपयोग हो, तो यह युवा पीढ़ी के लिए हानिकारक सिद्ध होता है, लेकिन यदि इसका सही उपयोग किया जाए, तो यही माध्यम मनुष्य को सत्य ज्ञान की ओर ले जा सकता है।

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी यही संदेश दे रहे हैं कि सोशल मीडिया का सही उद्देश्य केवल समय व्यतीत करना नहीं, बल्कि आत्मा के कल्याण के मार्ग को समझना होना चाहिए।

सच्चा तत्वज्ञान वही है जो सभी धर्मों के सत्‌ग्रंथों – गीता, वेद, बाइबल, कुरान और गुरु ग्रंथ साहिब से मेल खाता हो। इन ग्रंथों को सही अर्थ में समझाने वाले एकमात्र परमेश्वर कबीर साहेब जी हैं, जिन्होंने मानवता को मोक्ष का वास्तविक मार्ग बताया। उनके अनुयायियों में गुरु नानक देव जी, गरीबदास जी जैसे संतों ने भी यही दिव्य संदेश आगे बढ़ाया।

आज के इस “डिजिटल युग” में, संत रामपाल जी महाराज वही तत्त्वज्ञान पुनः स्पष्ट कर रहे हैं, जो सभी धर्मग्रंथों में छिपा सत्य है। वे इन ग्रंथों का वैज्ञानिक और तार्किक विश्लेषण कर दुनिया को यह समझा रहे हैं कि सच्ची भक्ति क्या है और परमात्मा तक पहुंचने का वास्तविक मार्ग कौन-सा है।

सोशल मीडिया इस ज्ञान के प्रसार का प्रमुख माध्यम बन गया है। आज लाखों लोग YouTube, Facebook, Instagram और अन्य प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनकर अपना जीवन बदल रहे हैं; व्यसन, हिंसा और अंधविश्वास से दूर होकर एक सच्चे मानव जीवन की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

इसलिए, जहाँ एक ओर ऑस्ट्रेलिया जैसे देश सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों से बच्चों को बचाने के लिए नियम बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत की भूमि से यह संदेश उठ रहा है कि यदि यही सोशल मीडिया सच्चे ज्ञान और आत्मोद्धार के प्रसार के लिए प्रयोग हो, तो यह न केवल समाज को, बल्कि संपूर्ण मानवता को दिशा दे सकता है।

ऑस्ट्रेलियाई सोशल मीडिया नीति से संबंधित FAQs 

1. ऑस्ट्रेलिया का नया सोशल मीडिया कानून क्या है?

Ans. ऑस्ट्रेलिया ने एक नया कानून प्रस्तावित किया है, जिसके तहत 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और YouTube जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करने से रोका जाएगा। यह कानून 10 दिसंबर 2025 से लागू होगा।

2. Google ने ऑस्ट्रेलिया की सोशल मीडिया नीति पर आपत्ति क्यों जताई?

Ans. Google का कहना है कि यह कानून “अत्यंत जटिल” है और इसे लागू करना व्यावहारिक रूप से कठिन होगा। कंपनी का मानना है कि उम्र सत्यापन तकनीक पूरी तरह सटीक नहीं है और यह बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित नहीं कर पाएगी।

3. इस कानून का उद्देश्य क्या है?

Ans. ऑस्ट्रेलियाई सरकार का लक्ष्य बच्चों को साइबर-बुलिंग, अनुचित सामग्री और ऑनलाइन खतरों से बचाना है। यह कदम बच्चों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए उठाया गया है।

4. संत रामपाल जी महाराज सोशल मीडिया के सही उपयोग पर क्या कहते हैं?

Ans. संत रामपाल जी महाराज का संदेश है कि सोशल मीडिया का उपयोग केवल मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि आत्मा के कल्याण और तत्वज्ञान को समझने के लिए होना चाहिए। 

5. सोशल मीडिया का सही उपयोग समाज के लिए कैसे लाभदायक हो सकता है?

Ans. यदि सोशल मीडिया का उपयोग सत्य ज्ञान और आत्मोद्धार के प्रसार के लिए किया जाए, जैसा कि संत रामपाल जी महाराज सिखा रहे हैं, तो यह समाज में नैतिकता, शांति और मानवता को बढ़ावा दे सकता है।

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