फ्रेडरिक मर्ज़, एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने कभी सरकार को संभालना या सरकारी गतिविधियों में कभी कोई योगदान नहीं दिया आज जर्मनी दशकों में अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट और कूटनीतिक संकट से जूझ रहा है और ट्रांसफर टैलेंटिक तनाव के इस दौर में नए नेताओं की जरूरत महसूस कर रहा है। ऐसे समय में जर्मनी की भाग दौड़ फ्रेंड्रिक मर्ज़ संभालने की तैयारी कर रहे हैं।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी के चुनाव के बाद फैब्रिक मर्ज दूसरे चांसलर बनने की और अग्रसर है उन्होंने यूरोपीय एकता और महाद्वीप की सुरक्षा को सबसे पहले रखने का वादा किया है कारण यह बताया जा रहा है कि वह नए ट्रंप प्रशासन और यूक्रेन पर रूस के युद्ध से जूझ रहे हैं।
क्या कहता है एग्जिट पोल
आपको बता दें कि जर्मनी में हुए राष्ट्रीय चुनाव में विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी ने जीत हासिल की है, इसके नेतृत्व के लिए फ्रेंड्रिक मर्ज का नाम अगले चांसलर बनने में आ रहा है। एग्जिट पोल के अनुसार कंजरवेटिव पार्टी को 28.5% वोट मिले जबकि अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AFD) को 20% वोट मिले।
विभाजित हुए यूरोप को एक बार फिर एक करना इतना आसान कार्य नहीं होगा, क्योंकि ज्यादातर नेताओं ने घरेलू मुद्दों में ही अपने आप को इतना व्यस्त कर दिया है कि महाद्वीप की सबसे गंभीर समस्याओं के समाधान का समय ही नहीं निकल पा रहे परंतु मर्ज द्वारा नेतृत्व से इसकी कमी को पूरा करने का दावा किया जा रहा है और साथ में अमेरिका की नीतियों में बहुत बदलाव के चलते एकजुट होने तथा ट्रांसअटलांटिक गठबंधन की उम्मीदें बहुत ज्यादा होगी ।
रविवार रात को चुनाव में जीत के बाद उन्होंने समर्थकों से कहा कि मैं जानता हूं हमारे सामने बहुत कम है जो की चुनौतियों से भरा हुआ है और साथ में यह भी बताया कि बाहर की दुनिया हमारा इंतजार नहीं कर रही और ना ही लंबी गठबंधन वार्ता और समझौते का इंतजार कर रही है।
मैर्केल के साथ प्रतिस्पर्धा
मैर्केल ने मर्ज की तारीफ करते हुए कहा कि मर्ज एक शानदार वक्त है और नेतृत्व की इच्छा की सहना भी की। मैर्केल ने बताया कि हम एक ही उम्र के हैं लेकिन हमारी परवरिश अलग-अलग तरीके से हुई है, जो हमारे लिए एक अवसर था ना कि बाधा।
मार्केट ने कहा कि हम में एक ही समस्या थी कि हम दोनों ही बॉस बनना चाहते थे।
2002 में राष्ट्रीय चुनाव में हर के बाद एंजेला मैर्केल ने केंद्र दक्षिण पथ पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए उन्होंने नेताओं का समूह बनाकर नेता के रूप में फ्रेडरिक मर्ज को हटा दिया और क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी का नेतृत्व संभाला इसके बाद उन्होंने 2005 से 2021 तक जर्मनी का नेतृत्व किया।।
राजनीति से दूरियां
2009 में सांसद छोड़ने के बाद मर्ज ने कई सालों तक राजनीति से मुंह मोड़ लिया उन्होंने कानून का अभ्यास किया और ब्लैक रॉक नामक कंपनी की जर्मन शाखा के निरीक्षण बोर्ड का नेतृत्व किया उसे समय के दौरान वह अक्सर अमेरिका और चीन की व्यावसायिक यात्रा करते थे, लेकिन वह कभी भी जर्मनी से बाहर नहीं रहे।
बोलकर रेसिंग, जिन्होंने “फ्रेडरिक मर्ज़ हिज़ पाथ टू पावर” नामक पुस्तक लिखी है। इसमें उन्होंने मर्ज की जीवनी बयान की है। रेसिंग ने कहा कि अगर यह चांसलर बनते हैं, तो मर्ज जर्मनी के लिए एक प्रमुख राजनेता और अंतरराष्ट्रीय चांसलर बनेंगे।
राजनीति में वापसी
फ्रेडरिक मर्ज़ ने राजनीति में वापसी का फैसला तब लिया जब 2018 में एंजेला मर्केल ने घोषणा की कि वे कुलपति (चांसलर) पद के लिए पांचवी बार उम्मीदवार नहीं बनेंगी और साथ ही CDU पार्टी के नेता पद से इस्तीफा देंगी। इसके बाद मर्ज़ ने पार्टी नेतृत्व के लिए अपनी दावेदारी पेश की और सक्रिय राजनीति में फिर से प्रवेश किया।
हालांकि 2018 और 2021 की शुरुआत में एंजेला मर्केल के नेतृत्व वाली पार्टी में मध्य मार्गी उम्मीदवारों ने पार्टी नेतृत्व के वोटो में मैर्केल को बहुत कम अंतर से हरा दिया था। वर्ष 2021 के चुनाव में मौजूदा कुलपति ओलाफ स्कॉल्ज़ कि केंद्र दक्षिणपंथी पार्टी की हार के बाद मर्ज ने अपनी कोशिश जारी रखी और तीसरे प्रयास में पार्टी नेता चुने गए।
चुनाव अभियान के दौरान मर्ज ने जर्मनी की बीमार अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत बनाने और अनियमित/अवैध प्रवासन पर रोक लगाने का वादा किया था।
अमेरिका से स्वतंत्रता
ट्रंप के व्हाइट हाउस में वापसी के बाद ऐसा लग रहा है कि 1945 में यूरोप को दी गई सुरक्षा गारंटी को रद्द कर सकता है, जिससे यूरोपीय शक्तियों बुरी तरह से डर गई है। फिलहाल जर्मनी को सबसे ज्यादा चिंता उन 35000 अमेरिकी सैनिकों की है जो उनके देश में तैनात हैं, उन्हें सुरक्षित महसूस करते हैं। साथ ही में यह भी डर सताता है कि यदि राष्ट्रपति ट्रंप जर्मनी से अपनी सैन्य बल हटा दे तो ? इसी डर के चलते मर्ज ने संपूर्ण यूरोप में अमेरिकी सैन्य को महत्वपूर्ण रूप से काम करने का संकल्प लिया है।
जर्मनी में घरेलू सुरक्षा की चिंता ने फ्रेडरिक मर्ज को यह सुझाव देने के लिए प्रेरित किया है कि वह अमरी की परमाणु सुरक्षा की जगह यूरोपीय परमाणु सुरक्षा को बढ़ाने के लिए फ्रांस और ब्रिटेन के साथ मिलकर काम करेंगे। यह भी हो सकता है कि वह अमेरिका के खिलाफ इतना तीखा स्वर अपनाना नहीं चाहें।
यह चुनाव जर्मनी से मजबूत नेतृत्व की शुरुआत हो सकता है परंतु क्या यूरोप इसके लिए तैयार है ?
परमात्मा का विधान
शास्त्रों से प्रमाण मिलता है कि मनुष्य ने किसी एक जन्म में तप अर्थात तपस्या की हो तो उसे अगले जन्म में राज की प्राप्ति हो जाती है। क्योंकि मनुष्य जन्म बहुत ही दुर्लभ है जो एक बार यह जन्म खो दिया तो न जाने फिर कभी मनुष्य जन्म प्राप्त हो या ना हो । जिस प्रकार पत्ता सुख कर पौधे से गिर जाता है फिर वापस टहनी पर नहीं लगता इसी प्रकार मनुष्य जन्म हाथ से गवा दिया तो दोबारा यह जन्म नहीं मिलेगा। अधिक जानकारी के लिए आप विजिट करें जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज ऐप पर।