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Home » मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी : गीता जयंती 

Spirituality

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी : गीता जयंती 

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Last updated: December 2, 2025 10:58 am
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मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी : गीता जयंती 
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सनातन परंपरा में मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती पर्व के रूप में मनाया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार महाभारत के युद्ध में कालब्रह्म ने श्री कृष्ण के शरीर में प्रविष्ट होकर गीता ज्ञान महाभारत के युद्ध में अर्जुन को सुनाया था। अर्थात् इसी दिन हिंदू धर्म में अत्यंत ही पवित्र पूजनीय और अनुकरणीय माने जाने वाले श्रीमद्भागवत गीता का जन्म हुआ था। 

Contents
  • देश के विभिन्न राज्यों में मनाई गई गीता जयंती 
    • इंदौर को मिला आधुनिक “गीता भवन”
  • गीता का वास्तविक अर्थ 

देश के विभिन्न राज्यों में मनाई गई गीता जयंती 

राजधानी दिल्ली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने गीता जयंती के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं दी। वरिष्ठ नेताओं ने अपनी अपनी शुभकामनाएं X के माध्यम से दी।

विभिन्न मंदिरों में गीता जयंती को लेकर निकाली गई शोभायात्रा जिसमें श्रद्धालुओं ने बड़ी ही उमंग के साथ हिस्सा लिया। आपको बता दें कि तीन दिवसीय जिला स्तरीय गीता जयंती महोत्सव को सोमवार को समापन हुआ। समापन में पूर्व कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर मुख्य अतिथि रहे। समापन पर शाम को श्रीमद् भागवत गीता की आरती कराई गई और आरती से पहले झंडा चौक से शोभा यात्रा निकाली गई। 

इंदौर को मिला आधुनिक “गीता भवन”

इंदौर/भोपाल के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव और गीता जयंती के शुभ अवसर पर मध्य प्रदेश को पहले शासकीय “अत्याधुनिक गीता भवन” का उद्घाटन किया। उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह के गीता भवन आगे सभी नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत में भी बनाए जाएंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि श्री कृष्ण जी ने उज्जैन में शिक्षा प्राप्त की और मालवा क्षेत्र उनकी लीलाओं से जुड़ा हुआ है उन्होंने रानी अहिल्याबाई होलकर को याद करते हुए कहा कि उन्होंने देश भर में कई तीर्थ का पुनर्निर्माण कराया। 

इंदौर में गीता जयंती के उत्सव पर गीता प्रतियोगिता रखी गई थी इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतियोगिताओं के विजेताओं की घोषणा करते हुए कहा कि विजेताओं को नगद राशि, ई-रिक्शा, ई-बाइक, लैपटॉप आदि पुरस्कार दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण जी का जीवन संगठन, साहस, धर्म रक्षा और अन्य के प्रति संघर्ष का संदेश देता है। 

गीता भवन के उद्घाटन के दौरान डॉ. यादव ने वीर भारत न्यास की दो पुस्तकों का भी औपचारिक रूप से लोकार्पण (उद्घाटन) किया, जिसमें पहली पुस्तक रामेश्वर लखन लाल पाटीदार द्वारा लिखित “श्रीकृष्ण चरित्र मानस” और दूसरी पुस्तक राघव दास पंडित द्वारा लिखित “अमृतस्य अवंतिका” शामिल है। इसमें उन्होंने कृष्ण चरित्र मानस के लेखक को ₹5 लाख देने की घोषणा भी की, बाद में उन्होंने संजीव सालविया द्वारा निर्देशित कृष्ण लीलाओं पर आधारित नाटिका भी देखी।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत गोपाल मंदिर में आकर्षित आकर्षक और तकनीकी सुविधाओं से युक्त एक 550 सीट का शानदार सभागृह बनवाया, 50 सेट वाले शांत रीडिंग हॉल और आधुनिक डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की गई। लाइब्रेरी में अध्यात्म दर्शन योग, भारतीय संस्कृति और जीवन प्रबंधन से जुड़ी लगभग 1200 पुस्तकों का संग्रह मौजूद है।पंचकूला में भी गीता जयंती महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। शहर में भव्य शोभा यात्रा निकाली गई जिसमें सैकड़ो विद्यार्थी शामिल हुए। महोत्सव में 3300 विद्यार्थियों ने ऑनलाइन गीता पाठ किया और संस्कृत कार्यक्रमों में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में इन दोनों आध्यात्मिक का संगम देखने को मिल रहा है यह 15 नवंबर 2025 को ही अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का शुभारंभ हो गया था और इसका समापन 5 दिसंबर को होगा। आपको बता दें कि कुरुक्षेत्र में ही महाभारत का युद्ध हुआ था और इसी भूमि पर मानव कल्याण के लिए गीता ज्ञान का पुनः उत्थान हुआ था अर्थात इस ज्ञान को पुनः पृथ्वी पर मानव कल्याण के लिए सुनाया गया था। 

गीता का वास्तविक अर्थ 

श्रीमद्भागवत गीता वर्षों से अज्ञानी धर्मगुरुओं द्वारा ग़लत अर्थ में प्रचारित की जाती रही है। वास्तव में गीता वेदों का सार है और इसमें आध्यात्मिक ज्ञान का रहस्य छिपा है। वर्तमान में केवल और एकमात्र संत रामपाल जी महाराज ने इसका सही अर्थ प्रमाण सहित बताया है। गीता के अनेकों श्लोकों में ग़लत व्याख्या की गई थी किंतु संत रामपाल जी महाराज जी ने इसका ना केवल सही अर्थ बताया है बल्कि ग़लत व्याख्याओं का पुरजोर खंडन किया है। यही कारण है कि वे अज्ञानी और नक़ली धर्म का दिखावा करने वाले धर्मगुरुओं से बचने के लिए कहते हैं। क्योंकि भोली जनता ना केवल उन पर विश्वास कर लेती है बल्कि उनकी इस बेवक़ूफ़ी का भाजन अनेकों पीढ़ियाँ बनती हैं। 

गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण के शरीर में प्रविष्ट होकर भगवान काल ने दिया था। काल भगवान ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश के पिता हैं और माता आदि शक्ति के पति हैं। संत रामपाल जी महाराज ने इसके पूरे प्रमाण अपने सत्संग में बताए हैं। स्वयं गीता ज्ञानदाता ने अपने स्तर के ज्ञान को अनुत्तम कहा है ( गीता श्लोक ) तथा व्रत एवं तीन देवताओं की भक्ति करने के लिए माना किया है। अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक गीता तेरा ज्ञान अमृत तथा देखें संत रामपाल जी महाराज के शुद्ध और अमृत वचन प्रतिदिन साधना टीवी पर शाम 7:30 पर।

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