आमतौर पर कहें तो फूड पॉइजनिंग का अर्थ है भोजन या पेय पदार्थों में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस या टॉक्सिन्स के कारण शरीर का विषाक्त हो जाना। जब हम ऐसा दूषित भोजन करते हैं, तो यह शरीर में हानिकारक पदार्थ उत्पन्न करता है, जिससे हमें दस्त, उल्टी, बुखार जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
यह समस्या तब भी हो सकती है जब हम बासी या लंबे समय से रखा हुआ खाना खा लें, या बाजार से कोई ऐसी चीज खरीद लें जिसकी गुणवत्ता या निर्माण तिथि की जानकारी न हो। इस प्रकार का भोजन शरीर में ऐसे कीटाणु उत्पन्न करता है जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं।
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) जैसे कि श्वेत रक्त कण (WBCs) इन हानिकारक तत्वों से लड़ने की कोशिश करती है, परंतु यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो, तो व्यक्ति आसानी से इसकी चपेट में आ सकता है। इस पूरी प्रक्रिया को हम ‘फूड पॉइजनिंग’ कहते हैं।
फूड पॉइजनिंग के मुख्य लक्षण
1. बार-बार दस्त लगना
2. शरीर में कमजोरी
3. उल्टी आना
4. मतली (नॉज़िया)
5. सिरदर्द
6. बुखार
फूड पॉइजनिंग और स्टमक फ्लू में क्या है अंतर?
हालांकि फूड पॉइजनिंग और स्टमक फ्लू (गैस्ट्रोएन्टराइटिस) के लक्षण एक जैसे हो सकते हैं जैसे उल्टी, दस्त और पेट दर्द लेकिन इनके कारण और इलाज अलग-अलग होते हैं।
फूड पॉइजनिंग दूषित या बासी भोजन तथा अशुद्ध पानी से होता है जिसमें विषैले बैक्टीरिया या टॉक्सिन्स होते हैं। स्टमक फ्लू एक वायरल संक्रमण है, जो मुख्यतः नॉरावायरस या रोटावायरस के कारण होता है।
फूड पॉइजनिंग का उपचार उसके स्रोत को पहचानकर किया जाता है, जबकि स्टमक फ्लू में अधिक सावधानी और देखभाल की आवश्यकता होती है।
कैसे पहचानें कि यह फूड पॉइजनिंग है या कुछ और?
फूड पॉइजनिंग की पहचान करना हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन कुछ लक्षण संकेत दे सकते हैं — जैसे बार-बार दस्त लगना, उल्टी होना, अचानक बुखार आना।
यदि आपने किसी बासी या संदिग्ध भोजन को कई लोगों के साथ साझा किया हो और सभी को एक जैसे लक्षण हो रहे हों, तो यह स्पष्ट संकेत है कि समस्या भोजन से जुड़ी है। हालांकि, अगर लक्षण भिन्न हों, तो यह किसी अन्य बीमारी का लक्षण भी हो सकता है।
फूड पॉइजनिंग कितनी गंभीर हो सकती है?
फूड पॉइजनिंग मामूली से लेकर गंभीर तक हो सकती है। यह हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है और कई बार मृत्यु का कारण भी बनती है। अमेरिका के CDC के अनुसार, हर साल लगभग 48 मिलियन लोग फूड पॉइजनिंग के शिकार होते हैं। यह समस्या अधिकतर दूषित पानी, अस्वच्छता, और अनुचित खाद्य प्रबंधन के कारण होती है। सरकारें इसे रोकने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन आम जनता को भी जागरूक और सतर्क रहना जरूरी है।
किन्हें है सबसे अधिक खतरा?
फूड पॉइजनिंग किसी को भी हो सकती है, लेकिन कुछ वर्गों को इससे अधिक खतरा होता है:
1. बच्चे और बुज़ुर्ग: 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और 65 वर्ष से अधिक आयु के बुज़ुर्गों की इम्यून प्रणाली कमजोर होती है।
2. गर्भवती महिलाएं: गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई जैविक परिवर्तन होते हैं, जिससे मां और गर्भस्थ शिशु दोनों संवेदनशील हो जाते हैं।
3. क्रॉनिक बीमारियों से पीड़ित लोग: जैसे कैंसर, एड्स, ऑटोइम्यून रोग आदि।
4. कुछ दवाइयों का सेवन करने वाले लोग: इम्यूनोसप्रेसेंट्स और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकते हैं।