मुरैना के 35 वर्षीय युवक ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन के दौरान अपने आप को गोली मार कर आत्महत्या कर ली। 6 साल से अपनी बड़ी बहन को अनुकंपा नौकरी न मिलने पर बहुत ज्यादा परेशान हो गया था। बहन को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिलने से तनाव बढ़ा, पीएमओ तक कर चुके थे शिकायत, कोई हल नहीं हुआ।
युवक का नाम लोकेंद्र सक्सेना बताया जा रहा है और लोकेंद्र रविवार दोपहर तक अपने घर पर ही था रविवार शाम को दिल्ली के लिए रवाना हुआ और सोमवार सुबह पुलिस ने घर पर फोन करके उसके सुसाइड की खबर दी।
चाचा के मुताबिक लोकेंद्र के पास कोई भी हथियार नहीं था जिस गन से आत्महत्या की वह बंदूक लोकेंद्र के पास कहां से आई इसकी जानकारी अभी तक नहीं सामने आई है। परिवार के सदस्य भी दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। चाचा ने बयान दिया कि लोकेंद्र गांव में कोल्ड ड्रिंक की दुकान चलाता था। लोकेंद्र की बड़ी बहन रश्मि सक्सैना के पति आदित्य सक्सेना मुरैना जिले के ब्लैक पहाड़गंज में सरकारी सरसेना स्कूल में शिक्षक थे। करीब 6 साल पहले सन 2019 में अपनी बहन के घर जाते हुए आदित्य सक्सेना को दिल का दौरा पड़ा जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी।
गृह मंत्रालय से 41 दिन में नौकरी मिलने का मिला था आश्वासन
पति आदित्य सक्सेना की मौत के बाद रश्मि सक्सैना ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए कई स्तरों पर आवेदन दिए। लोकेंद्र ने भी अपनी बहन की ओर से 2 महीने पहले गृह मंत्रालय अमित शाह और प्रधानमंत्री कार्यालय में आवेदन दिया था और यह भी बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय की ओर से 41 दिनों में निवारण का आश्वासन भी मिला था परंतु कुछ नहीं हुआ।
रश्मि सक्सेना ने बताया मैं और मेरा भाई दोनों ही पिछले 4 साल से अनुकंपा नियुक्त के लिए प्रयास कर रहे थे। हमने स्कूल, बीईओ कार्यालय पहाड़गंज, डीईओ कार्यालय मुरैना और कलेक्टर कार्यालय में आवेदन दिए परंतु हर जगह से जल्दी निवारण और कोर्ट जाने की सलाह ही मिली। रश्मि का कहना है कि बार-बार असफलता और प्रशासन की लापरवाही अर्थात देरी के हम टूट चुके थे जिसके चलते लोकेंद्र ने निराश होकर ऐसा कदम उठाया। परिवार ने सरकार से उचित न्याय और जल्द निवेदन की मांग की है।
जंतर मंतर पर नौकरी के लिए धरना
बहन रश्मि ने बताया कि जंतर मंतर पर भाई लोकेंद्र के साथ में भी धरने पर शामिल होना था। प्रशासन से एक दिन की धरने की अनुमति मिली थी परंतु तबीयत खराब होने के कारण में धरने पर नहीं जा पाई। भाई लोकेंद्र अकेला ही धरने पर चला गया। बहन ने बताया कि सोमवार सुबह 7:30 मेरी भाई लोकेंद्र से आखरी बार फोन पर बात हुई थी, उसने बताया कि वह धरना स्थल पर पहुंच गए हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक लोकेश ने अपनी बहन को नौकरी न मिलने को लेकर पहले भी जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था।
प्रत्यक्ष दर्शनियों ने पुलिस को बताया कि लोकेश ने पहले यहां चाय पी फिर इधर-उधर घूमने लगा फिर कुछ ही देर में उसने अपनी कनपटी पर गोली मार दी। गोली की आवाज सुनते ही स्थानीय लोग एकत्रित हो गए। बढ़ती भीड़ को देखकर ड्यूटी में तैनात पुलिस कर्मियों ने घेराबंदी की। लोकेश के पास से वह देसी बंदूक भी मिली जिसे उसने खुद को गोली मारी थी। जल्द ही उसे पास के अस्पताल में ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित किया।
पुलिस का बयान: दिल्ली जंतर मंतर आत्महत्या घटना
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया की लोकेश अपने बहनोई की मृत्यु के बाद अपनी बहन को नौकरी दिलवाना चाहता था। उसके बहनोई मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में चपरासी के पद पर कार्यरत थे। लोकेश 2019 से निरंतर बहन की नौकरी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहा था। अधिकारी ने कहा कि जिन परिस्थितियों में लोकेश ने खुद को गोली मारी उसकी पुष्टि की जा रही है, थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है, फॉरेंसिक टीम द्वारा जांच चल रही है।
आत्महत्या है अपराध
परमात्मा का विधान हो या पृथ्वी का कानून हो, दोनों ही दृष्टिकोण से आत्महत्या को बहुत बड़ा अपराध बताया गया है। शास्त्रों (गरुड़ पुराण) के मुताबिक आत्महत्या करने वाले की आत्मा को कहीं पर भी कोई ठोर-ठिकाना नहीं मिलता अर्थात परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती है। आत्मा को भूत, प्रेत, पिशाच आदि-आदि योनियों में भटकना पड़ता है तथा घोर कष्ट उठाना पड़ता है जो की असहनीय है। पृथ्वी के कानून अनुसार भी आत्महत्या को अपराध बताया है। सरकार द्वारा भी बार-बार आत्महत्या न करने की सलाह दी जाती है।
ना तो यह लो रहने लायक है और ना ही यह पृथ्वी दुखों से खाली है। प्रत्येक मनुष्य यहाँ दुख, दर्द झेल रहा है। जिस युवक ने आत्महत्या की उसके भीतर भी दुख और असहाय से परेशान होकर की। अधिकांशतः उच्च पद पर बैठा व्यक्ति अपने से निम्न व्यक्तियों का शोषण करता है और यही करण है कि शोषित असहाय व्यक्ति त्रस्त हो जाता है।
मनुष्य आत्महत्या केवल तभी करता है जब उसे आत्मज्ञान और परमात्मा ज्ञान ना हो अर्थात अज्ञानतावश वह ऐसा कर्म करता है। सत्य ज्ञान केवल सतगुरु से ही प्राप्त हो सकता है। सतगुरु ना मिलने पर मनुष्य अज्ञानतावश इस मृत्यु लोक से प्राप्त होने वाली वस्तुओं को ही सर्वश्रेष्ठ मान लेता है जो कि नाशवान हैं। अविनाशी परमात्मा का ज्ञान होने से मनुष्य नाशवान वस्तुओं को त्याग कर केवल परमात्मा प्राप्ति की ही कामना करता है।
पूर्ण परमात्मा अपने साधक के सभी कष्टों का निवारण करते हैं और उन्हें यह सद्बुद्धि प्रदान करते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा बताए हुए भक्ति विधि से पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की भक्ति करने वाला व्यक्ति कभी भी ऐसे कदम नहीं उठा सकता। क्योंकि उसे ज्ञान होता है और दो वक्त का अच्छा भोजन उसे परमात्मा की दया से अवश्य मिलता है।
आज वर्तमान में स्वयं परमात्मा गुरु जी की भूमिका निभाते हुए संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में पृथ्वी पर विराजमान है जो मानव को मानव धर्म सीख रहे हैं तत्व ज्ञान देकर आत्मक कल्याण करवा रहे है, आज्ञान का नाश कर ज्ञान देकर मनुष्य जन्म सफल बना रहे हैं। देखें रोजाना संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन साधना टीवी पर शाम 7:30 बजे।।

