13 सितंबर को आबकारी मामले में केजरीवाल को कोर्ट से जमानत मिलने के साथ ही 15 सितंबर को उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान किया था। अरविंद केजरीवाल अपने राजनीतिक सफर के महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। कोर्ट के माध्यम से उन्हें जमानत मिली है लेकिन कुछ शर्तों के साथ। अदालत की जमानत की शर्तों के अनुसार केजरीवाल अब मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं जा सकेंगे, न ही वे सचिवालय जा पाएंगे और न ही आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर कर सकेंगे। कोर्ट की इन शर्तों के कारण अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और इस पद के लिए योग्य उम्मीदवार का चयन करने के लिए बाध्य होना पड़ा।
केजरीवाल का चुना हुआ उम्मीदवार जो मुख्यमंत्री पद पर बैठेगा वो वही होगा जो उनके लिए विश्वसनीय हो। इससे उन्हें प्रशासनिक नियंत्रण रखने में आसानी होगी। केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद छोड़ते हुए दिल्ली में समय पूर्व चुनाव करवाने की मांग की है लेकिन विधानसभा भंग नहीं की है। इसके पीछा का कारण यह भी हो सकता है कि दिल्ली के चुनाव कब होंगे यह तय करना चुनाव आयोग के हाथो में है, न कि दिल्ली सरकार के अधीन। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2023 में होने वाला है।
आज मंगलवार शाम साढ़े चार बजे अरविंद केजरीवाल दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना से मिलेंगे। इसी समय वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे और इस पद के लिए नए उम्मीदवार का नाम सुझाएंगे। संभावनाओं के अनुसार आतिशी, गोपाल राय, सुनीता केजरीवाल या कैलाश गहलोत में से कोई एक मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार चुना जा सकता है। मुख्यमंत्री पद खाली करने के साथ ही कुछ हफ्तों में वे सिविल लाइंस स्थित बंगला भी खाली कर देंगे।
इधर उन्हीं की पार्टी के सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल सीएम रहें या ना रहें कुर्सी उन्हीं की रहेगी। ऐसा कहते हुए उन्होंने राम की खड़ाऊ रखकर शासन करने वाला उद्धरण दिया। सोमवार को उन्होंने राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक की थी। और आज मंगलवार लगभग साढ़े ग्यारह बजे विधायक दल की बैठक होगी जिसके बाद 12 बजे के आसपास मुख्यमंत्री के लिए नाम की घोषणा कर दी जाएगी।