दिल्ली में चुनावी घमासान शुरू हो चुका है, और सभी राजनैतिक पार्टियाँ अपनी पूरी ताकत से मैदान में उतर चुकी हैं। निर्वाचन आयोग ने आधिकारिक तौर पर चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है, जिसमें 5 फरवरी को वोटिंग होगी और 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे। 70 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में मतदान होगा।
Delhi election 2025: 2015 और 2020 में AAP का रहा दबदबा
आम आदमी पार्टी (AAP) ने पिछले दो विधानसभा चुनावों में इतिहास रच दिया था। 2015 में, आप ने 67 सीटें जीतीं और 2020 में, इसने 70 में से 62 सीटें हासिल कीं। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में, पार्टी ने दिल्ली की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है। 2013 में पहली बार चुनाव लड़ने के बाद, उन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, जो केवल 49 दिनों तक ही चल पाई थी।
Delhi election 2025: बीजेपी और कांग्रेस की तैयारियां जोरों पर
इस बार बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपने चुनावी अभियान में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। दक्षिणी दिल्ली से बीजेपी सांसद कमलजीत सहरावत ने दावा किया है कि इस बार दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि जनता अब विकास के लिए बीजेपी को मौका देना चाहती है। दूसरी ओर, कांग्रेस भी अपनी रणनीति तैयार कर रही है, हालांकि पिछले दो चुनावों में पार्टी को भारी नुकसान झेलना पड़ा था।
Delhi election 2025: चुनावी प्रक्रिया और मतदान के दिन
निर्वाचन आयोग के मुताबिक, 70 विधानसभा सीटों पर मतदान 5 फरवरी को होगा। इसके नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। इस बार चुनावी मैदान में तीनों पार्टियों के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है। विकास के मुद्दे, बिजली-पानी, स्वास्थ्य, और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं अहम भूमिका निभाएंगी। देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस बार किस पार्टी को अपना समर्थन देती है।
Delhi election 2025: सेवा ही सबसे बड़ी राजनीति है!
चुनाव परिणाम चाहे जो भी हों, सच्चा नेता वही होता है जो सत्ता को सेवा का माध्यम समझे। जनता की भलाई और विश्वास की रक्षा ही सच्चे नेतृत्व की परिभाषा है। संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों के विचारों के अनुसार, नेतृत्व का असली अर्थ है बिना किसी स्वार्थ के जनकल्याण के लिए काम करना। सत्ता से बड़ा धर्म है सेवा, और यही प्रत्येक नेता का लक्ष्य होना चाहिए।
Delhi election 2025: निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का परिणाम जनता के फैसले पर निर्भर करता है। 5 फरवरी को दिल्ली की जनता अपने मताधिकार का प्रयोग करेगी, और 8 फरवरी को यह साफ हो जाएगा कि दिल्ली की राजनीति की कमान किसके हाथों में होगी। आम आदमी पार्टी के लिए सत्ता में वापसी की चुनौती है, जबकि बीजेपी और कांग्रेस अपनी खोई जमीन तलाशने की कोशिश कर रही हैं। अब देखना यह होगा कि विकास और वादों की इस दौड़ में किसे जनता का समर्थन मिलता है। चुनावी प्रक्रिया में सभी पार्टियों की नजरें जनता के फैसले पर टिकी हैं, और असली नेतृत्व सेवा में निहित है।
राजनीतिक विचारों के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान का होना भी अति अनिवार्य
मनुष्य आज राजनीति में इतना व्यस्त है कि वह आध्यात्मिक विचारों को भूल चुका है, इंसान आज यथार्थ भक्ति मार्ग से कोसों दूर होता जा रहा है। वह अपने उस वायदे को भूल रहा है जो उसने मां की गर्भ में किया था। गर्भकाल में जब पैर ऊपर और सिर नीचे होता हैं उस भयंकर कष्ट के दौरान यह जीव परमेश्वर को याद करता है। और कहता है कि हे भगवान मुझे सही सलामत बाहर निकाल दे तेरी रहमत को कभी नहीं भूलूंगा, और सदा तुझे याद करूंगा। लेकिन बाहर आने के बाद प्राणी उस परमेश्वर के वायदे को भूल जाता है और सांसारिक कार्यों में ही व्यस्त हो जाता है। जिससे भगवान नाराज होकर उसे अगले जन्म में 84 लाख योनियों में डाल देता है।
सांसारिक दुखों से छुटकारा पाने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए परमेश्वर कबीर जी की भक्ति मर्यादा में रहकर करनी होगी, उसी से आत्मा का कल्याण संभव है।
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