Bandhavgarh Tiger Reserve पर मुख्य बिंदु:
1. 13 हाथियों के झुंड में से तीन दिनों के अंतराल में 10 हाथियों की मौत
2. मध्यप्रदेश के सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने मामले पर आपातकालीन बैठक में 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी
3. वन्य जीव संरक्षण को लेकर देशभर में चिंता, हाथियों की सुरक्षा पर उठे सवाल
तीन दिन के अंतराल में हुई 10 हाथियों की मौत
उमरिया जिले के Bandhavgarh Tiger Reserve में हाल ही में अचानक हुई 10 हाथियों की मौत ने देशभर में वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर खलबली मचा दी है। जानकारी के मुताबिक यह घटना बीते मंगलवार (29 अक्टूबर) की है।
भोपाल से आए APCCF वन्य जीव एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि हाथियों के इलाज के लिए बाहर से आए वेटनरी टीम ने पोस्टमार्टम के बाद हाथियों के पेट में काफी मात्रा में विषाक्त कोदो कुटकी पाया।
सीएम डॉक्टर मोहन यादव की सख्त कार्रवाई
सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने इस घटना पर संज्ञान लेते हुए तुरंत आपातकालीन बैठक बुलाई। उन्होंने अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर घटना की रिपोर्ट प्रस्तुत करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। यह घटना देशभर में वन्य जीव सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
कोदो कुटकी की फसल में बन गए थे माइक्रोटॉक्सिक
जानकारी के मुताबिक, जंगल के अंदर खेतों में लगे कोदो-कुटकी में माइकोटॉक्सिन बन गए थे। डॉक्टरों ने हाथियों के पोस्टमार्टम के दौरान पेट के अंदर इंफेक्टेड कोदो पाया। ग्रामीणों का मानना है कि जिस खेत के कोदो की फसल में यदि नाग-नागिन का जोड़ा मेटिंग पीरियड में खेत में चला जाए या घूम जाए तो उतने एरिया की फसल ज़हरीली हो जाती है। वहीं टाइगर रिज़र्व प्रबंधन और वन्य जीव चिकित्सक भी ग्रामीणों की बात से इत्तेफ़ाक रखते नज़र आए। यह कारण है कि जिन हाथियों ने खेत की फसल खाई उनकी मौत हो गई और वो नहीं खाए बच गए।
कोदो की फसल को किया नष्ट
पार्क प्रबंधन और एसटीएफ ने 10 हाथियों की मौत के बाद किसानों की 7 एकड़ एरिया में बोई हुई कोदो की फसल को ट्रैक्टर चलवा कर नष्ट कर दिया। साथ ही दूसरे कोई भी वन्य जीव या अन्य जानवर उक्त फसल को खाने से बचें इसके लिए उसे आग के हवाले कर दिया गया।
FAQs about Bandhavgarh Tiger Reserve
1.माइकोटॉक्सिन क्या है?
माइकोटॉक्सिन एक प्राकृतिक विष है, जो फफूंदों द्वारा उत्पन्न होता है और भोजन में पाया जा सकता है।
हाथियों की मौत का कारण क्या था?
हाथियों द्वारा माइकोटॉक्सिन युक्त कोदो कुटकी खाने के कारण उनमें जहरीले तत्व प्रवेश कर गए, जो उनकी मौत का संभावित कारण बना।
2. बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान कहां स्थित है?
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, जो 437 वर्ग किलोमीटर में फैला है, मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित एक प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य है। यह राष्ट्रीय उद्यान बाघों की अधिकतम सघनता के लिए प्रसिद्ध है।
3. बांधवगढ़ में हाथियों की मौत पर राज्य सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
राज्य सरकार ने इस गंभीर घटना पर तत्काल कार्रवाई करते हुए मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के नेतृत्व में आपातकालीन बैठक आयोजित की। अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही गई है।
4. कोदो कुटकी क्या है?
कोदो कुटकी (Kodo Millet) एक प्रकार का अनाज है, जिसे वैज्ञानिक नाम Paspalum scrobiculatum के तहत वर्गीकृत किया जाता है। यह एक प्रमुख मोटे अनाज की फसल है जो मुख्य रूप से भारत के कुछ हिस्सों, खासकर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में उगाई जाती है। कोदो कुटकी का उपयोग विभिन्न खाद्य पदार्थों के निर्माण में किया जाता है।
5. हाथियों की मौत को कैसे रोका जा सकता था?
हाथियों की मौत का मुख्य कारण विषाक्त कोदो कुटकी का सेवन था, जिसमें माइकोटॉक्सिन नामक हानिकारक तत्व पाए गए थे। इसे रोकने के लिए किसानों और वन प्रबंधन को सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे कि फसल की नियमित निगरानी करना, फफूंद के संक्रमण से बचाव के लिए उचित कृषि प्रथाओं का पालन करना और वन्य जीवों के लिए सुरक्षित खाद्य स्रोत सुनिश्चित करना।
इसके अतिरिक्त, स्थानीय समुदाय को जागरूक करना भी महत्वपूर्ण है ताकि वे जानवरों की सुरक्षा के लिए सतर्क रहें और ऐसी परिस्थितियों से बच सकें।