भारत के सुरक्षा और विनिमय बोर्ड (सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज़ बोर्ड ऑफ़ इंडिया) की चेयरपर्सन माधवी बुच पर कांग्रेस ने बड़ा आरोप लगाया है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि माधवी बुच ने 6 सेबी रेगुलेटेड कंपनियों से कमाएं 2.95 करोड़ रुपए। बता दें कि ये सब अगोरा इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड नामक एक कंसल्टिंग फर्म के द्वारा किया गया है। जिसमें बुच के 99% शेयर के भागीदार थे। इस कंपनी के मई 2013 में रजिस्टर किया गया था। माधवीपुरी बुच के खिलाफ कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट के आरोप लगाए गए हैं। ये ऐसे समय हो रहा है जब भारत का शेयर मार्केट तेज़ी पर है।
अमेरिकी रिसर्च ने 10 अगस्त को जारी की रिपोर्ट में अगोरा इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड को आरोपित किया। इस रिपोर्ट में अडानी समूह द्वारा बुच और उनके पति पर कथित मनी लांड्रिंग और स्टॉक मूल्य हेरफेर से जुड़े संस्थाओं में हिस्सेदारी रखने का आरोप लगाया था। हाल ही में माधवीबुच पर लगे सारे आरोपों को हिंडनबर्ग रिपोर्ट में खारिज कर दिया गया लेकिन विपक्ष सरकार अब भी लगातार माधवीको आड़े हाथों ले रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने संवाददाताओं को बताया कि महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड, आईसीआईसीआई बैंक, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड, पिडिलाइट लिमिटेड, सेम्बकॉर्प और विसु लीजिंग एंड फाइनेंस द्वारा वर्ष 2016 से 2024 के बीच अगोरा एडवाइजरी को 2.95 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। आईसीआईसीआई बैंक भारत का सबसे बड़ा निजी कर्जदाता बैंक है इस बैंक को छोड़ने के बाद माधवीबुच ने एंप्लॉई स्टॉक ओनरशिप प्लांस के तहत धन लाभ हासिल किया। माधवी की कंपनी आगोरा ने कुछ लिस्टेड कंपनियों जिनमें डॉक्टर रेड्डीज, सेंबकॉर्प शामिल हैं, से करोड़ों धनराशि कमाई है। कांग्रेस का आरोप है कि इनसे प्राप्त धन का स्रोत और प्रयोग दोनों ही संदिग्ध होने की संभावना है अतः इसकी निष्पक्ष जांच करवाई जानी आवश्यक है।
2017 में पूर्णकालिक निदेशक के रूप में बुच ने सेबी ज्वॉइन किया और 2022 में उन्होंने इसकी अध्यक्षता हासिल की। वे इसकी पहली महिला चेयरपर्सन बनीं। उनका कार्यकाल 2025 में समाप्त हो रहा है और संभावना है कि उन्हें एकस्टेंशन न दिया जाए। इस पूरे मामले के दौरान सरकार शांत रही और कोई ठोस कदम नहीं उठाया। न्यायपालिका इसकी निष्पक्ष जांच करवा सकती है किंतु यह भी न्यायपालिका पर ही निर्भर है।
बुच ने संवाद्दाओं को हिन्डेनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों पर सफाई देते हुए कहां कि “सेबी ज्वॉइन करने के बाद अगोरा इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड तुरंत ही निष्क्रीय हो गई है।” यह सरासर झूठ है। उनका यह कथन सरासर झूठ था, दरअसल इसका उद्देश्य सिर्फ सच्चाई को जानकर छिपाना था। बुच और उनके पति अभी भी इन तथाकथित कंपनियों के जरिए धड़ल्ले से पैसा कमा रहे हैं। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए सेबी को चुना है। किंतु सेबी की चेयरपर्सन माधवी होने के कारण संदिग्ध फैसला आने की पूरी संभावना है। इस पूरे मामले में सरकार से जवाब, निष्पक्ष जांच और कार्यवाही आपेक्षित है।