भारत में बीते कुछ वर्षों से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों में तेजी से इज़ाफा हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे अपराधों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है। इसकी वजह यह है कि भारत जैसे देश में कई लोग कानूनी झंझट और पुलिस करवाई की भागदौड़ में नहीं पड़ना चाहते, जबकि कुछ मामलों में पुलिस भी अपना रिकॉर्ड बेहतर दिखाने के लिए ऐसे केस दर्ज ही नहीं करती।
- बीजेपी शासित राज्यों में बढ़ते अपहरण के मामलों से जुड़े मुख्य बिंदु :
- बीजेपी शासित राज्यों में नाबालिग लड़कियों के अपहरण के मामलों में बढ़ोतरी
- NCRB की रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी शासित राज्यों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ रहे अपहरण जैसे अपराध
- NCRB रिपोर्ट के मुताबिक अपरहण जैसे अपराधों के लिए IPC में सख्त सज़ा का प्रावधान, फिर भी बढ़ रहे अपराध
- विपक्षी दलों का मत “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ “अभियान के बिल्कुल उलट कार्य चल रहा
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का सच्चा अर्थ
- बीजेपी शासित राज्यों में बढ़ते अपहरण मामलों से जुड़े मुख्य FAQs
बीजेपी शासित राज्यों में बढ़ते अपहरण के मामलों से जुड़े मुख्य बिंदु :
1. NCRB रिपोर्ट के अनुसार, बीते कुछ वर्षों में भारत में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में तेजी से इज़ाफा हुआ है।
2. बीजेपी शासित राज्यों में नाबालिग लड़कियों के अपहरण के मामले चिंताजनक स्तर से बढ़ रहे हैं , यूपी, महाराष्ट्र और एमपी में 25,000 से अधिक मामले दर्ज हुए।
3. गैर-बीजेपी शासित राज्यों जैसे केरल, तमिलनाडु, पंजाब और झारखंड में कुल 2,200 मामले सामने आए।
4. महाराष्ट्र में 13,150, MP में 9,031, और बिहार में 5,485 अपहरण के मामले दर्ज किए गए , जिनमें ज़्यादातर पीड़ित लड़कियां थीं।
5. IPC की धाराएं 363, 365, 366 और 369 अपहरण जैसे अपराधों पर लागू होती हैं, लेकिन पुलिस कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं।
6. विपक्षी दलों ने कहा कि बढ़ते अपराध ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की विफलता दर्शाते हैं और सरकार की कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े करते हैं।
बीजेपी शासित राज्यों में नाबालिग लड़कियों के अपहरण के मामलों में बढ़ोतरी
NCRB द्वारा अलग-अलग राज्यों को लेकर पेश किया गया डेटा कई मायनों में हैरान करने वाला है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित राज्यों में नाबालिग लड़कियों के अपहरण की घटनाओं में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है। केंद्र और राज्य दोनों जगह बीजेपी की सरकार होने के बावजूद इस तरह की घटनाओं में वृद्धि व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी शासित राज्यों में रोज़ाना औसतन 60 से अधिक लड़कियों का अपहरण होता है, जिससे इन क्षेत्रों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता उत्पन्न हो गई ।
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी शासित राज्यों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ रहे अपहरण जैसे अपराध
साल 2023 में तीन बीजेपी शासित राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में नाबालिग लड़कियों के अपहरण के 25,000 से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। इसके उलट, केरल, तमिलनाडु, पंजाब और झारखंड जैसे गैर-बीजेपी शासित राज्यों में कुल अपहरण के मामलों की संख्या महज 2,200 रही।
महाराष्ट्र में बीजेपी की अगुवाई वाली ‘महालुति’ सरकार के दौरान बच्चों के अपहरण के 13,150 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 9,850 पीड़ित लड़कियां थीं। इसी तरह मध्य प्रदेश में लड़कियों के अपहरण के 9,031 मामले दर्ज किए गए, जबकि बिहार में 5,485 अपहरण के मामले सामने आए। इसके मुकाबले, तमिलनाडु में 161, केरल में 155 और पंजाब में 1,329 अपहरण के मामले दर्ज किए गए हैं।
NCRB रिपोर्ट के मुताबिक अपरहण जैसे अपराधों के लिए IPC में सख्त सज़ा का प्रावधान, फिर भी बढ़ रहे अपराध
एनसीआरबी के मुताबिक, इस तरह के अपराधों के लिए भारतीय कानून में सख्त सज़ा का प्रावधान है। ऐसे अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया जाता है ,जैसे धारा 363 (अपहरण), 365 (गलत तरीके से बंदी बनाना), 366 (शादी के लिए अपहरण) और 369 (10 साल से कम उम्र के बच्चों का चोरी के इरादे से अपहरण)। बीते कुछ सालों में इस तरह की घटनाओं में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है और पुलिस की कार्रवाई भी संदेह के घेरे में रही है।
विपक्षी दलों का मत “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ “अभियान के बिल्कुल उलट कार्य चल रहा
साल 2022 और 2023 के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित प्रमुख राज्यों में अपहरण की घटनाओं में काफी इज़ाफा दर्ज किया गया था। इस दौरान उत्तर प्रदेश में 401, बिहार में 2,489, महाराष्ट्र में 846, मध्य प्रदेश में 1,359 और राजस्थान में 1,058 मामले सामने आए। खास तौर पर उत्तर प्रदेश में पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई है।
विपक्षी दलों का कहना है कि ये आंकड़े भारतीय जनता पार्टी द्वारा शुरू किए गए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के बिल्कुल उलट हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अभियान का ऐलान करते हुए कहा था कि इसका उद्देश्य लड़कियों को सुरक्षित और सशक्त बनाना है। हालांकि, इस वृद्धि के पीछे अलग-अलग वजहें बताई जा रही हैं।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का सच्चा अर्थ
“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” केवल एक नारा नहीं, बल्कि यह समाज के नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक होना चाहिए। लेकिन जब बेटियाँ ही असुरक्षित हैं, तब यह नारा अधूरा रह जाता है। संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि सच्चा परिवर्तन न तो कानून से आता है, न अभियानों से, बल्कि मनुष्य के अंदरूनी संस्कारों के जागरण से आता है।
जब हम परमात्मा की भक्ति करते हैं, तो हमारे भीतर करुणा, संयम और न्याय की भावना उत्पन्न होती है। ऐसी भावना से भरा समाज कभी किसी बेटी पर अत्याचार नहीं करेगा।
हर आत्मा परमात्मा की संतान है, किसी के प्रति हिंसा या अत्याचार करना, उसी परमात्मा को पीड़ा पहुँचाना है। इसलिए सच्ची भक्ति अपनाएँ, ताकि समाज में फिर से वह पवित्रता और सुरक्षा लौट सके जिसकी हर बेटी हक़दार है।
संदेश: मानव जीवन का उद्देश्य केवल सच्चे परमात्मा की खोज और भक्ति है। जब मनुष्य सच्चे मार्ग पर चलेगा, तभी “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” वास्तव में सार्थक होगा।
बीजेपी शासित राज्यों में बढ़ते अपहरण मामलों से जुड़े मुख्य FAQs
1. प्रश्न 1: NCRB का फुल फॉर्म क्या है और इसका क्या कार्य है?
उत्तर: NCRB का फुल फॉर्म “नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो” है, यह भारत की एक सरकारी एजेंसी है, जो पूरे देश में अपराधों से संबंधित आंकड़े इकट्ठा, विश्लेषण और प्रकाशित करती है।
प्रश्न 2: किस राज्यों में सबसे ज़्यादा अपहरण के मामले दर्ज किए गए हैं?
उत्तर: 2023 में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए ,कुल मिलाकर 25,000 से अधिक।
प्रश्न 3: किन गैर-बीजेपी शासित राज्यों में अपहरण के मामले अपेक्षाकृत कम रहे?
उत्तर: केरल, तमिलनाडु, पंजाब और झारखंड जैसे राज्यों में कुल लगभग 2,200 मामले दर्ज हुए।
प्रश्न 4: महाराष्ट्र में बच्चों के अपहरण से जुड़े आंकड़े क्या हैं?
उत्तर: महाराष्ट्र में 13,150 बच्चों के अपहरण के मामले दर्ज हुए, जिनमें से 9,850 पीड़ित लड़कियां थीं।
प्रश्न 5: अपहरण अपराध के लिए भारतीय कानून में कौन-कौन सी धाराएं लागू होती हैं?
उत्तर: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं 363, 365, 366 और 369 लागू होती हैं, जिनमें अपहरण और बच्चों से संबंधित अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है।

