हाल ही में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर “वोट चोरी” का आरोप लगाया है। तब से ही चुनाव आयोग सवालों के घेरे में है। वोट चोरी होना कितना सही और कितना गलत है, इस पर अभी तक कोई आधिकारिक फैसला नहीं आया है। लेकिन वोटर लिस्ट में गड़बड़ी चुनाव आयोग के लिए एक बहुत बड़ी लापरवाही साबित हो रही है।
आज के लेख में हम जानेंगे कि चुनाव प्रक्रिया कब शुरू हुई, भारत में इसकी शुरुआत कब हुई और वर्तमान स्थिति क्या है।
चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत
- कुछ स्रोतों के मुताबिक आदिम जनजातीय समाज अपने मुखिया या नेता चुनने के लिए चुनाव सभा की सहमति से करता था। यह लोकतंत्र होने का एक उदाहरण है।
- प्राचीन रोम और ग्रीस में चुनाव प्रक्रिया देखने को मिलती है। रोम में सम्राट के चुनाव के लिए मतदान होता था। वहीं ग्रीस में “नेगेटिव वोटिंग” होती थी, जिसमें चुनाव के माध्यम से लोग सत्ता में बैठे राजनेता को हटा कर अपना नया राजा चुनते थे।
- मध्यकाल में 750 से 770 ई. के दौरान पाला साम्राज्य के संस्थापक गोपाल सम्राट को चुनाव के माध्यम से चुना गया था।
लोकतंत्र की नींव
- सन् 1600 ईसवी में अंग्रेज भारत में व्यापार के दृष्टिकोण से आए। लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने भारत को गुलाम और अपने अधीन बनाना शुरू कर दिया।
- अंग्रेजों की हरकतों से परेशान भारतीयों ने सन् 1857 में विद्रोह छेड़ दिया। भारत में लोकतंत्र का यह पहला संकेत था।
- सन् 1857 से लेकर सन् 1947 के बीच कई बार भारतीयों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन किए और लड़ाई लड़ी और 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद हुआ।
भारत में लोकतंत्र का पहला नतीजा
- भारत के आज़ाद होने के बाद 25 जनवरी 1950 को चुनाव आयोग का गठन हुआ।
- भारत में पहला लोकसभा चुनाव नवंबर 1951 से मार्च 1952 तक चला।
- पहले लोकसभा चुनाव के दौरान जम्मू-कश्मीर को छोड़कर कुल 17,32,13,635 वोट डाले गए, जबकि कुल जनसंख्या 35,66,91,760 थी। इस चुनाव में कुल 497 लोकसभा सदस्य और 216 राज्यसभा सदस्य चुने गए।
- पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत हासिल हुआ और देश के पहले प्रधानमंत्री बने पंडित जवाहरलाल नेहरू।
- लोकसभा चुनाव के बाद पहला राष्ट्रपति चुनाव मई 1952 में हुआ और डॉ. राजेंद्र प्रसाद पहले राष्ट्रपति बने।
चुनाव आयोग और चुनाव प्रक्रिया
- सन् 1951-52 और 1957 का चुनाव ‘मतदान प्रणाली’ के तहत हुआ। इस प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक पोलिंग स्टेशन पर अलग-अलग मतदान पेटियाँ रखी होती थीं। जिस उम्मीदवार को वोट देना होता था, मतदाता उसके नाम वाली पेटी में मतदान-पत्र डाल देता था।
- 1962 में इस प्रक्रिया को बदल दिया गया। इस नए तरीके में ‘मार्किंग सिस्टम’ लागू किया गया, जिसमें एक ही पेपर पर उम्मीदवारों के नाम और चुनाव-चिह्न छपे होते थे। वोटर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के चुनाव-चिह्न के सामने निशान लगाकर मतदान-पत्र को मतदान पेटी में डाल देता था।
- 1982 में केरल में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का प्रयोग हुआ। 2004 में EVM को लोकसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से अपना लिया गया। इस प्रक्रिया में प्रत्येक EVM पर उम्मीदवार के चुनाव-चिह्न के साथ एक बटन होता है। वोटर अपने उम्मीदवार के सामने वाला बटन दबा देता है और उसका वोट दर्ज हो जाता है।
चुनाव आयोग कैसे काम करता है?
- 18 साल से ज्यादा उम्र वाले हर नागरिक को संविधान वोट देने का अधिकार देता है। सबसे पहले उसे मतदान सूची में अपना नाम दर्ज करवाना होता है।
- चुनाव से पहले चुनाव आयोग सभी मतदाताओं की सूची तैयार करता है। मतदान सूची में नागरिक का नाम दर्ज नहीं है तो वह मतदान करने का अधिकारी नहीं है।
- प्रत्येक गाँव में मतदान केंद्र बनाए जाते हैं। इस मतदान केंद्र में चुनाव आयोग और चुनाव पार्टियों के कुछ सदस्य मौजूद रहते हैं, जो मतदान करवाते हैं।
- चुनाव प्रक्रिया सुबह 7:00 बजे से शाम 5:00 या 6:00 बजे तक चलती है। उसके बाद चुनाव आयोग के सदस्य EVM को अपने साथ लेकर मतगणना केन्द्रों पर ले जाते हैं।
- निर्धारित मतगणना तिथि को चुनाव आयोग उम्मीदवारों के एजेंट्स की मौजूदगी में मतगणना करता है।
क्या है वोट चोरी का मामला?
राहुल गांधी ने बेंगलुरु के महादेवपुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में हुए 2024 के चुनाव के कुछ आँकड़ों के आधार पर शोध किया और चुनाव आयोग पर वोट चोरी का आरोप लगाया है। सबसे पहले जानते हैं राहुल गांधी का क्या आरोप है:
- महादेवपुरा में 11,965 डुप्लीकेट वोटर हैं, यानी एक ही वोटर का नाम कई बार अलग-अलग बूथ पर दर्ज है।
- 40,009 ऐसे वोटर हैं जिनका पता गलत है। यानी हाउस नंबर ‘0’ है या पिता का नाम ‘XYZ’ लिखा हुआ है।
- 10,452 वोटर ऐसे हैं जिनका पता एक ही पते पर दर्ज है। यानी एक ही पते पर 80 वोटर के नाम दर्ज हैं।
- 4,132 वोटर ऐसे हैं जिनका फोटो मतदान सूची में गायब है। यानी उनका कोई भी तस्वीर उपलब्ध नहीं है।
- 3,696 वोटर ऐसे हैं जिन्होंने फ़ॉर्म-6 का ग़लत इस्तेमाल किया है।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोप को गलत बताया है। आयोग ने राहुल गांधी से वोट चोरी के आरोप पर शपथ लेने को कहा है और यदि ऐसा नहीं करते तो देश से माफी माँगने की बात कही है।
हालांकि जिस तरह से चुनाव आयोग की मतदान सूची में गड़बड़ियाँ राहुल गांधी ने सामने रखी हैं, उस पर बड़ा सवाल उठता है। चुनाव आयोग को इस पर निष्पक्ष रूप से जवाब देना चाहिए और निष्पक्ष रूप से चुनाव करवाना चाहिए।
चुनाव से संबंधित FAQS
Q1. भारत का पहला लोकसभा चुनाव कब हुआ था?
उत्तर:- भारत का पहला लोकसभा चुनाव नवंबर 1951 से मार्च 1952 के बीच हुआ था।
Q2. भारत के पहले राष्ट्रपति कौन बने?
उत्तर:- राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति चुने गए।
Q3. भारत में EVM मशीन कब लागू हुई?
उत्तर:- EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का प्रयोग पहली बार 1982 में केरल में किया गया और 2004 से पूरे लोकसभा चुनाव में लागू किया गया।
Q4. चुनाव आयोग का गठन कब हुआ था?
उत्तर:- भारत में चुनाव आयोग का गठन 25 जनवरी 1950 को किया गया।
Q5. कौन-सी आयु में भारतीय नागरिक को मतदान का अधिकार मिलता है?
उत्तर:- 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का हर भारतीय नागरिक मतदान का अधिकार रखता है।