भारत के मौसम पर फिर से समुद्र का असर दिखने लगा है। बंगाल की खाड़ी में बने लो-प्रेशर सिस्टम ने मौसम विभाग और प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यह सिस्टम अगले 24–48 घंटों में डिप्रेशन में बदल सकता है और आने वाले दिनों में चक्रवात का रूप भी ले सकता है। मीडिया रिपोर्टों में इसे “सेंयार” नाम से जोड़ा जा रहा है, लेकिन IMD ने अभी तक आधिकारिक नामकरण नहीं किया है। नाम तभी दिया जाएगा जब सिस्टम “Cyclonic Storm” स्तर तक पहुँचे।
लो-प्रेशर से डिप्रेशन तक का सफर
22 नवंबर को स्ट्रेट ऑफ मलक्का और दक्षिण अंडमान सागर के ऊपर लो-प्रेशर क्षेत्र बना। IMD के अनुसार, यह सिस्टम पश्चिम-उत्तरपश्चिम दिशा की ओर बढ़ रहा है और 24 नवंबर तक डिप्रेशन में बदल सकता है। समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से अधिक है, जिससे सिस्टम को अतिरिक्त ऊर्जा मिल रही है। यही कारण है कि मौसम वैज्ञानिक इसे संभावित चक्रवात बनने की दिशा में देख रहे हैं।
चक्रवात बनने के लिए तीन प्रमुख तत्व चाहिए होते हैं:
- समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होना।
- वायुमंडल में पर्याप्त नमी।
- ऊपरी हवा में अनुकूल दिशा।
वर्तमान सिस्टम में ये तीनों परिस्थितियाँ मौजूद हैं। यही वजह है कि चक्रवात बनने की संभावना बढ़ी हुई है।
प्रभावित क्षेत्र
IMD ने चेतावनी दी है कि इस सिस्टम का असर दक्षिण और मध्य बंगाल की खाड़ी से लगे तटीय राज्यों पर स्पष्ट दिखाई देगा।
- तमिलनाडु: चेन्नई, नागपट्टिनम और कुड्डालोर में भारी बारिश और निचले क्षेत्रों में जलभराव का खतरा है।
- केरल और लक्षद्वीप: 22–26 नवंबर तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है।
- कर्नाटक (तटीय): तेज़ हवाओं और भारी बारिश का पूर्वानुमान है।
- अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह: समुद्र में ऊँची लहरें और तेज़ हवाओं की संभावना है।
- आंध्र प्रदेश और ओडिशा: बाद के दिनों में असर दिख सकता है, विशेषकर विशाखापट्टनम, श्रीकाकुलम और गंजाम जिलों में।
हवाओं और समुद्र की स्थिति
IMD ने कहा है कि अगले दो दिनों में हवा की गति 45–55 किमी/घंटा तक पहुँच सकती है। समुद्र में ऊँची लहरें उठने की संभावना है। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
कृषि पर संभावित प्रभाव
तटीय क्षेत्रों में इस समय धान की कटाई जारी है। भारी बारिश और हवा के कारण:
- खड़ी फसल गिर सकती है।
- खेतों में जलभराव हो सकता है।
- किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
राज्य कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे कटाई जल्दी पूरी करें और जल निकासी व्यवस्था मजबूत करें।
बचाव उपाय
प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
- सुरक्षित स्थान पर जाएँ, कच्चे घरों और समुद्र किनारे से दूर रहें।
- आपातकालीन नंबर (112, 100, 101, 102) सेव रखें।
- घर के बाहर ढीली वस्तुएँ सुरक्षित करें।
- महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और सामान ऊँचे स्थान पर रखें।
- IMD और प्रशासन के अपडेट पर भरोसा करें, फेक न्यूज़ से बचें।
नामकरण पर स्थिति
मीडिया रिपोर्टों में इस संभावित चक्रवात को “सेंयार” कहा जा रहा है। लेकिन यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि IMD नामकरण तभी करता है जब सिस्टम “Cyclonic Storm” स्तर तक पहुँचता है। फिलहाल यह लो-प्रेशर और डिप्रेशन की अवस्था में है। इसलिए “सेंयार” को आधिकारिक नाम मानना जल्दबाज़ी होगी।
निष्कर्ष
बंगाल की खाड़ी में बना सिस्टम शुरुआती चरण में है, लेकिन इसमें तेज़ी से विकसित होने की क्षमता है। अगले 48–72 घंटों में यह स्पष्ट होगा कि यह चक्रवात बनेगा या नहीं। प्रभावित राज्यों में प्रशासन तैयार है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

