Kerala: तिरूवनंतपुरम शहर दक्षिणी पश्चिमी भारत के केंद्र राज्य की राजधानी है। तिरुवनंतपुरम में बहुत ही अजीब घटना देखने को मिली है। पिछले एक सप्ताह से आशा वर्कर्स दिन-रात भूख हड़ताल पर बैठे हुए थे जो की सरकार के सामने अपनी मांग रखे हुए थे। यह मांग मानदेय और सेवा निवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ पर आधारित थी। 50 दिनों से जारी इस विरोध प्रदर्शन ने भव्य रूप ले लिया और
मांग को सरकार द्वारा नजर अंदाज करने पर विरोध प्रकट किया आशा कार्यकर्ताओं ने 50वें दिन इतिहास बनाया। उन्होंने अपना विरोध प्रकट करते हुए अपने ही बाल कटवा लिए।
ASHA workers protest: केरल में आशा कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन हुआ तेज
Kerala strike: आशा कार्यकर्ताओं (asha workers) बिना और पद्माजम ने सुबह 11 बजे अपने सिर मुंडवा लिए जो कि केरल आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता संगठन के राज्य प्रतिनिधियों के मुख्य विरोध स्थल पर सचिवालय के सामने अपने बाल काटे। तिरुवनंतपुरम के अन्य राज्यों में भी एकजटता के ऐसे ही कार्यक्रम आयोजित किए गए। बाल कटवाने से पहले आशा वर्कर्स ने अपने बाल खुले कर लिए और बाल काटने के बाद उन्होंने अपने कटे हुए बालों को पड़कर नारे लगाए।
अन्य लोग भी आए आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के समर्थन में
hair cutting protest: धार्मिक संस्था चर्च के पादरी राजू पी जॉर्ज, जोकि पाटन पुरम के सेंट थॉमस मार्थोमा चर्च के पादरी हैं, उन्हेंने भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होकर अपने बाल कटवा लिए। उन्होंने अपने बयान में कहा कि यह कदम उन आम महिलाओं के लिए साथ खड़े होने के लिए था जिससे न्यायालय में बदलाव हो और उनकी मांगों को पूरा किया जाए जिन मांगों को न्यायालय नजर अंदाज कर रहा है।
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एवी राग यू और संदीप शंकर जो की अंक माली नगर पालिका के पार्षद हैं, ने भी एकजुटता दिखाते हुए अपने सिर मुंडवा लिए। उन्होंने ₹10000 प्रदर्शनकारी आशा कार्यकर्ताओं को दान करने का संकल्प भी लिया।
ASHA workers protest: केरल आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता संघ (KAHWA) की महासचिव एम ए बिंदु ने बाल काटने के विरोध को प्रतिरोध का सबसे शक्तिशाली रूप बताया और इस विरोध को सरकार के समक्ष एक ऐतिहासिक संघर्ष भी बताया।
Hair Cutting Protest: आशा कार्यकर्ताओं का अनशन जारी, मिला समर्थन
ASHA workers protest: आशा कार्यकर्ताओं (asha workers) की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल को इस सोमवार को 12वे दिन में प्रवेश कर, जारी रखा और कार्यकर्ताओं ने पूछा की क्या सी एम विजयन की बेटी एक दिन भी भूखी रहेगी ? वर्तमान में एसएस अनिता कुमारी (पलोडे एस एच सी), बिना पीटर (पुथानथोप सी एच सी) और एस बी राजी (वट्टीयोरकावु एफ एच सी) भी इस अनशन में शामिल हुए जिसमें अनिता कुमारी और बिना 5 दिन से अनशन पर हैं जबकि एस बी राजी 2 दिन से अनशन पर हैं।
Strike: इस अनशन में एम ए बिंदू, आर शीजा, केपी थंकामणी, शोभा एम और एक शैलजा उपवास शुरू करने वाले पहले लोगों में से थे। आशा कार्यकर्ता मानदेय में वृद्धि, सेवानिवृत्ति में लाभ और बेहतर कार्य स्थिति की मांग को लेकर 10 फरवरी से विरोध प्रदर्शन सचिवालय के सामने कर रही है।
विभिन्न राजनीतिक और संस्कृत संगठनों का इस विरोध प्रदर्शन में समर्थन मिला। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ और भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए दोनों का समर्थन प्राप्त हुआ। जिसके चलते सरकार द्वारा भी आशा वर्कर्स से बातचीत कई बार की गयी, परंतु, कोई भी समाधान नहीं निकला। सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा सेवा शर्तों में बदलाव किए जाने के बाद ही कोई समाधान निकाल सकता है।
ASHA workers protest: आशा कार्यकर्ताओं की माँग
hair cutting protest: आशा कार्यकर्ता (asha workers) अपने मानदेय को ₹7000 से बढ़ाकर ₹21000 प्रति माह करने की मांग कर रही हैं और इसके अलावा 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत होने पर उन्हें 5 लाख का लाभ (retirement benefits) भी दिया जाने की भी मांग कर रही हैं। एक अन्य आशा कार्यकर्ता मिनी ने कहा कि हमें प्रतिदिन सिर्फ 232 रुपए मिलते हैं और इससे गुजारा नहीं होता और हम अपनी सबसे जायज मांग के लिए लड़ रहे हैं।
केरल में 26000 आशा कार्यकर्ता है हालांकि सीएम विजय के नेतृत्व वाली वामपंथी सरकार कह रही हैं कि केवल कुछ ही आशा कार्यकर्ता राज्य सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन महिलाओं को व्यापक जन समर्थन मिल रहा है।
ASHA workers protest in Kerala: राजनेताओं के बयान
Asha workers strike Kerala: श्रम मंत्री वी. शिवम कुट्टी ने बयान दिया की कटे हुए बाल केंद्रीय मंत्रियों के माध्यम से दिल्ली भेजे जाने चाहिए क्योंकि उन्होंने अपने बयान को दोहराते हुए बताया कि इसका समाधान केंद्र सरकार द्वारा सेवा शर्तों में बदलाव किए जाने पर निर्भर करता है और हमारे समक्ष बाल काटने के विरोध को भी खारिज किया और कहा कि हम अभी भी केंद्रीय श्रम मंत्री को भेजे गए पत्र के जवाब का इंतजार कर रहे हैं।
जॉर्ज कोरिया और सुरेश गोपी तथा आशा कार्यकर्ताओं को अपनी मांगों को पूरा करने के लिए केंद्रीय सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। उन्होंने कहा जब तक केंद्र सरकार आशा कार्यकर्ताओं सहित स्क्रीम वर्कर्स को नियमित कर्मचारी नहीं बना देती तब तक सुरेश गोपी द्वारा छाते और रेनकोट भेंट करना निरर्थक है।
ASHA workers protest: KAHWA की चेतावनी
Asha workers protest: मंत्रियों द्वारा की गई इस टिप्पणी का KAHWA ने विरोध किया और आलोचना की तथा बिंदु ने जवाब देते हुए यह अनुरोध किया की आशा कार्यकर्ताओं के विरोध को कमतर आंकने का प्रयास न करें। उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं के प्रोत्साहन में राज्य और केंद्र के योगदान के अनुपात का हवाला देते हुए कहा कि हम कटे हुए बालों को 60% राज्य को और 40% केंद्र को भेज सकते हैं।