SA NewsSA NewsSA News
  • Home
  • Business
  • Educational
  • Events
  • Fact Check
  • Health
  • History
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Notification Show More
Font ResizerAa
Font ResizerAa
SA NewsSA News
  • Home
  • Business
  • Politics
  • Educational
  • Tech
  • History
  • Events
  • Home
  • Business
  • Educational
  • Events
  • Fact Check
  • Health
  • History
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Follow US
© 2024 SA News. All Rights Reserved.

Home » बेहतर तकनीक या दुष्प्रचार का नया साधन, जानिए क्या है डीपफेक?

Tech

बेहतर तकनीक या दुष्प्रचार का नया साधन, जानिए क्या है डीपफेक?

SA News
Last updated: August 5, 2025 4:09 pm
SA News
Share
बेहतर तकनीक या दुष्प्रचार का नया साधन, जानिए क्या है डीपफेक?
SHARE

कभी न कभी आपने भी किसी राजनेता, अभिनेता या किसी जानी-मानी हस्ती की ऐसी वीडियो देखी होगी जिसमें भ्रामक जानकारी होती है। कई बार हम इन वीडियो पर भरोसा कर बैठते हैं, लेकिन जब बाद में सच सामने आता है तो पता चलता है कि ये वीडियो नकली होती हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से बनाई गई हैं।

Contents
क्या है डीपफेक तकनीक?  कैसे काम करता है Deepfake तकनीक?  डीपफेक तकनीक के दो पहलू  डीपफेक से क्या है खतरा?  कैसे पहचानें डीपफेक (Deepfake) कंटेंट?  भारत और दुनिया में कानूनी स्थिति  निष्कर्ष – तकनीकी वरदान या अभिशाप?  कैसे करें असली और नकली ज्ञान की पहचान?

आइए जानते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक तकनीक की मदद से ऐसी वीडियो कैसे बनती हैं, और हम किस तरह ऐसी भ्रामक जानकारी का पता लगा सकते हैं। आखिरकार, इस डिजिटल युग में हम अपने आपको सुरक्षित और जागरूक कैसे रख सकते हैं?

क्या है डीपफेक तकनीक?  

डीपफेक एक कंप्यूटर की तकनीक है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) की सहायता से किसी मनुष्य के चेहरे, उसके हाव-भाव, और आवाज़ को इस तरह निर्माण करती है कि नकली सामग्री भी असली जैसी लगने लगती है। डीपफेक  शब्द का जन्म दो शब्दों से मिलकर हुआ है:  

“Deep Learning” + “Fake” = Deepfake.

कैसे काम करता है Deepfake तकनीक?  

डीपफेक तकनीक का आधार है (GANs) Generative Adversarial Networks।  

इसमें दो हिस्से होते हैं:  

प्रथम: जनरेटर (Generator):  

इसका काम होता है फर्जी वीडियो या इमेज बनाना।

दूसरा: डिस्क्रिमिनेटर (Discriminator):  

यह जांचता है कि जनरेटर द्वारा बनाई गई चीज़ सत्य है या असत्य।

ये दोनों ही एक-दूसरे के खिलाफ एक तरह की “डिजिटल युद्ध” लड़ते हैं। जनरेटर बार-बार नए नकली वीडियो बनाता है और डिस्क्रिमिनेटर उसे पकड़ने की कोशिश करता है। हर बार की कोशिश के साथ असत्य वीडियो और भी ज्यादा उचित होता चला जाता है। परिणामस्वरूप ऐसा कंटेंट सामने आता है जिसे देखकर किसी के लिए भी “सच और झूठ” का फर्क करना मुश्किल हो जाता है।

डीपफेक तकनीक के दो पहलू  

हर चीज के दो पहलू होते हैं, एक अच्छा तो दूसरा उसके विपरीत बुरा। ठीक इसी प्रकार, डीपफेक के भी दो पहलू हैं। प्रथम पहलू है सकारात्मक उपयोग:  

  • फिल्मों में: मर चुके या बुज़ुर्ग अभिनेताओं को युवा रूप में दिखाना, या डबिंग आसान बनाना।  
  • शिक्षा क्षेत्र में: ऐतिहासिक शख्सियतों को “जिंदा” कर इंटरैक्टिव लर्निंग अनुभव बनाना।  
  • गेमिंग में: रियल-लाइफ जैसे अवतार तैयार करना।  

दूसरा पहलू है नकारात्मक उपयोग:  

  • राजनीतिक प्रोपेगेंडा: राजनेताओं के नकली भाषण और फोटोज़ बनाकर अफवाह फैलाना।  
  • व्यक्तिगत तौर पर बदनाम करने के लिए: आम लोगों या सेलिब्रिटीज़ के अश्लील और झूठे वीडियो बनाना।  
  • ऑडियो फ्रॉड: डीपफेक वॉइस कॉल्स से धोखाधड़ी या ब्लैकमेल करना भी।  

डीपफेक से क्या है खतरा?  

एक ओर डीपफेक तकनीक के फायदे हैं तो दूसरी ओर कई नुकसान भी। अगर इस तकनीक का गलत इस्तेमाल हो, तो उससे कई खतरे हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि किस प्रकार से डीपफेक लोगों की जिंदगी में हानि कर सकते हैं:  

  • भ्रम और असत्य सूचना: नकली वीडियो को भी सच मान लिया जाता है और इससे समाज में अस्थिरता पैदा हो सकती है।  
  • प्रतिष्ठा पर हमला: किसी भी व्यक्ति की छवि को कुछ समय में खराब किया जा सकता है।  
  • चुनावों पर असर: झूठी न्यूज़ और भाषणों के ज़रिए जनता को गुमराह किया जा सकता है।  
  • साइबर क्राइम: पहचान को चुराना, पैसों की ठगी, या वॉइस कॉल के जरिए धोखाधड़ी जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं।  

कैसे पहचानें डीपफेक (Deepfake) कंटेंट?  

अगर डीपफेक एक समस्या है, तो इसका समाधान भी है। ऐसे कई तरीके हैं जिससे आप डीपफेक को पहचान सकते हैं। नीचे दिए गए कुछ तरीके डीपफेक को पहचानने में आपकी मदद करेंगे:  

  • चित्रों में आंखों की पलकें सामान्य से कम झपकना।  
  • होंठों की हरकत और आवाज़ का मेल न खाना।  
  • चेहरे और बैकग्राउंड के बीच का असामान्य अंतर।  
  • इसके साथ ही Microsoft’s Video Authenticator, Deepware Scanner जैसे टूल्स का इस्तेमाल।  

भारत और दुनिया में कानूनी स्थिति  

भारत में अभी तक डीपफेक को लेकर कोई विशेष प्रकार के कानून नहीं हैं, लेकिन IT Act 2000, IPC की कुछ धाराएँ, और डिजिटल डेटा सुरक्षा कानून के अंतर्गत ही कार्रवाई की जा सकती है। ठीक इसके विपरीत, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन जैसे देशों ने इस पर कड़े कानून बना रखे हैं।

निष्कर्ष – तकनीकी वरदान या अभिशाप?  

डीपफेक तकनीक एक ओर देखें तो विज्ञान की चमत्कारिक शक्ति है, लेकिन यह गलत हाथों में चली जाए तो यह समाज, राजनीति और व्यक्तिगत जीवन के लिए गंभीर खतरा भी बन सकती है। इसलिए तकनीक का जिम्मेदारीपूर्ण इस्तेमाल, जागरूकता और सख्त साइबर क़ानून आवश्यक हैं।

कैसे करें असली और नकली ज्ञान की पहचान?

आज भारत सहित विश्व भर में विभिन्न धर्मों के धर्मगुरु शास्त्र-विरुद्ध ज्ञान प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में हमें चाहिए कि हम शास्त्रों के अनुसार सद्भक्ति करें, जिससे हमें सुख, समृद्धि तथा मोक्ष की प्राप्ति हो सके। आज विश्व में संत रामपाल जी महाराज एकमात्र तत्त्वदर्शी संत हैं, जो शास्त्रों के अनुसार सद्भक्ति प्रदान कर रहे हैं, जिससे करोड़ों लोग सुखी जीवन जी रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल पर विजिट करें।

Share This Article
Email Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy1
Sleepy1
Angry0
Dead0
Wink0
Previous Article दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन, दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ली आखिरी सांस दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन, दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ली आखिरी सांस
Next Article डिजिटल इंडिया केवल सुविधा या नया संघर्ष डिजिटल इंडिया: केवल सुविधा या नया संघर्ष?
Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

Sant-Rampal-Ji-App-ads

Popular Posts

शब्दों की शक्ति: खुशी और पीड़ा के बीच सेतु

"शब्द से खुशी, शब्द से ग़म, शब्द से पीड़ा, शब्द ही मरहम।"  यह कथन शब्दों…

By SA News

The History of the Phoenicians: The Seafaring People

The Phoenicians were a remarkable seafaring people who profoundly shaped the ancient Mediterranean world. Between…

By SA News

Net Banking V/s Traditional Banking: A Comparative Overview

Net Banking V/s Traditional Banking: In today's rapidly evolving financial world, the way we manage…

By SA News

You Might Also Like

TCS Layoffs 2025 Automation, AI, and the Human Cost of Transformation
Tech

TCS Layoffs 2025: Automation, AI, and the Human Cost of Transformation

By SA News
सरकार द्वारा दी गयी 52 उपग्रहों के प्रक्षेपण हेतु 26,986  करोड़ देने की अनुमति
Tech

सरकार द्वारा दी गयी 52 उपग्रहों के प्रक्षेपण हेतु 26,986  करोड़ देने की अनुमति

By SA News
Business Automation Tools Why Do We Crave To Do Less
Tech

Business Automation Tools: Why Do We Crave To Do Less?

By SA News
AI Smartphone
Tech

AI Smartphone User Experience को बदल रहा है: Apple, Realme और अन्य Mobiles

By SA News
SA NEWS LOGO SA NEWS LOGO
600kLike
300kFollow
11.2kPin
151kFollow
523kSubscribe
2.1kFollow

About US


Welcome to SA News, your trusted source for the latest news and updates from India and around the world. Our mission is to provide comprehensive, unbiased, and accurate reporting across various categories including Business, Education, Events, Health, History, Viral, Politics, Science, Sports, Fact Check, and Tech.

Top Categories
  • Politics
  • Health
  • Tech
  • Business
  • World
Useful Links
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Copyright Notice
  • Contact Us
  • Official Website (Jagatguru Sant Rampal Ji Maharaj)

© SA News 2024 | All rights reserved.