दिल्ली उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश यशवंत वर्मा (जस्टिस वर्मा) के 30 तुगलक क्रीसेंट स्थित आधिकारिक आवास पर 14 मार्च की रात आग लग गई थी और उनके भंडारण कक्ष से अधजले नोट बरामद हुए थे। यह घटना उस समय घटित हुई जब वह शहर से बाहर थे। इसके तुरंत बाद उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया। इस अजीबोगरीब घटना की जांच हेतु नियुक्त तीन जजों की समिति ने निष्कर्ष निकाला कि जज वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का भंडारण कक्ष पर ‘नियंत्रण’ था, जिससे उनका अनैतिक आचरण सिद्ध होता है। इसलिए समिति ने उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की है।
मुख्य बिंदु
- जस्टिस वर्मा के आवास से बरामद जले नोट, जांच में बड़ा खुलासा
- कैश कांड में बड़ा धमाका। जस्टिस वर्मा के स्टाफ ने निजी सचिव की देखरेख में हटाए अधजले नोट
- जस्टिस वर्मा की सफाई पर नया विवाद। बोले – स्टोर रूम मेरा हिस्सा नहीं, बाहरी लोगों की थी पहुंच
- जांच समिति ने जस्टिस वर्मा की दलीलें खारिज कीं, CCTV निगरानी का तर्क भी नहीं माना, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा।
निजी सचिव की निगरानी में हटाए गए जले नोट
जांच समिति को इस बात के पर्याप्त साक्ष्य प्राप्त हुए हैं कि जस्टिस वर्मा के निवास स्थान से नकदी बरामद की गई थी। साथ ही वहाँ से जले हुए नोटों को हटाया भी गया था। तीन सदस्यीय जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत को पद से हटाने की सिफारिश की है। अब बड़ा प्रश्न यह उठता है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से अधजले नोटों को किसके निर्देश पर हटाया गया तथा इसे किसने अंजाम दिया?
इस संबंध में जांच समिति ने महत्वपूर्ण खुलासा किया है। कैश प्रकरण की जांच के दौरान पैनल ने पाया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी क्वार्टर के स्टोर रूम में रखे अधजले 500 रुपये के नोटों का ढेर 15 मार्च की सुबह उनके निजी सचिव की देखरेख में ‘विश्वसनीय कार्यकर्ता’ द्वारा हटाया गया था।
यह घटना उस समय घटित हुई जब जस्टिस वर्मा स्वयं दिल्ली से बाहर थे और इस दौरान स्टाफ के लोगों ने उनसे फोन पर संपर्क साधा था। जस्टिस वर्मा तथा उनके निजी सचिव के बीच हुई वार्ता के उपरांत ही उन अधजले नोटों को हटाने की कार्रवाई की गई थी।
किसने हटाए अधजले नोट?
जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार, पर्याप्त ठोस साक्ष्यों के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के निवास पर कार्यरत सबसे विश्वसनीय कर्मचारी राहिल, हनुमान तथा उनके निजी सचिव आरएस कार्की ने 15 मार्च की सुबह स्टोर रूम में रखी अधजली नकदी को हटाने की घटना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह पूरी प्रक्रिया तब अंजाम दी गई जब फायर ब्रिगेड तथा पुलिस अधिकारी मौके से जा चुके थे।
इस पूरे मामले में जज वर्मा की सफाई
जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपनी ओर से यह स्पष्ट किया कि जिस कमरे का जिक्र हो रहा है, उसका उपयोग पुराने फर्नीचर, खाली बोतलों, कालीनों तथा लोक निर्माण विभाग से संबंधित अन्य सामान के भंडारण के लिए किया जाता था। उनके अनुसार, इस आवासीय परिसर में सामने और पीछे दोनों तरफ से प्रवेश द्वार मौजूद थे, जिससे बाहरी व्यक्तियों का वहाँ तक पहुंचना संभव था।
जस्टिस वर्मा ने यह भी कहा कि परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे, जिसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार नहीं हैं, और उन्होंने इस पर भी प्रश्न उठाया कि सीसीटीवी हार्डवेयर कैसे पुनः प्राप्त किया गया। हालांकि जांच समिति ने उनकी इन दलीलों को अस्वीकार कर दिया और इस सफाई में उन्हें कोई ठोस बचाव नहीं मिला।
जज वर्मा की दलील पर सहमत नहीं जांच समिति
जस्टिस वर्मा ने जांच समिति के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया कि जिस भंडारण कक्ष की बात की जा रही है, वह उनके निवास स्थान का हिस्सा नहीं था, बल्कि ऐसा परित्यक्त स्थान था जिसका उपयोग अक्सर कर्मचारी तथा अन्य लोग करते थे। समिति ने उनके इस स्पष्टीकरण का उल्लेख करते हुए कहा कि जस्टिस वर्मा ने भरोसा जताया कि इस भंडार कक्ष के प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी कैमरे सक्रिय थे और इसकी निगरानी सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा की जा रही थी। साथ ही उन्होंने कहा कि वहाँ नकदी जमा होने की संभावना नहीं थी। हालांकि समिति ने इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।