नई दिल्ली: 13 महीने से जारी इज़राइल और लेबनान के बीच हिंसा को समाप्त करने के लिए बुधवार को युद्धविराम समझौता लागू हो गया। यह समझौता अमेरिका की मध्यस्थता में हुआ, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने “स्थायी शांति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम” बताया। यह युद्धविराम बुधवार सुबह 4 बजे (स्थानीय समयानुसार) और भारतीय समयानुसार सुबह 7:30 बजे प्रभाव में आया।
समझौते की प्रमुख शर्तें
इस युद्धविराम के तहत हिज़्बुल्लाह को इज़राइल-लेबनान सीमा से 40 किलोमीटर पीछे हटना होगा। इसी तरह, इज़राइली सेना को भी लेबनानी क्षेत्र से पूरी तरह हटने की शर्त रखी गई है। समझौते की अवधि 60 दिनों की है, जिसमें दोनों पक्षों को सभी प्रकार की सैन्य गतिविधियां रोकनी होंगी। इसके बाद, लेबनानी सेना दक्षिणी क्षेत्र में 5,000 जवानों की तैनाती करेगी और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की निगरानी में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हिज़्बुल्लाह इस क्षेत्र में पुनः हथियार न बनाए या जमा करे।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1701 का आधार
यह समझौता 2006 के युद्ध के बाद बने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव 1701 पर आधारित है। इस प्रस्ताव के अनुसार, लिटानी नदी के दक्षिण का क्षेत्र सिर्फ लेबनानी सेना और संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों द्वारा हथियारों से संरक्षित होगा। हालांकि, दोनों पक्षों ने इस प्रस्ताव के उल्लंघन का आरोप लगाया है। इज़राइल का कहना है कि हिज़्बुल्लाह ने इस क्षेत्र में अपनी सैन्य संरचना बनाई, जबकि लेबनान का आरोप है कि इज़राइली विमानों ने उनकी वायु सीमा का उल्लंघन किया।
इज़राइल और हिज़्बुल्लाह की प्रतिक्रियाएं
इज़राइल ने अमेरिका की मध्यस्थता में हुए इस समझौते को अपने सुरक्षा मंत्रिमंडल में 10-1 वोट से मंजूरी दी। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “यह समझौता क्षेत्र में शांति बहाल करेगा, लेकिन यदि हिज़्बुल्लाह इसका उल्लंघन करता है, तो इज़राइल पूरी ताकत से जवाब देगा।”
दूसरी ओर, हिज़्बुल्लाह ने भी इस समझौते को स्वीकार किया। इसके राजनीतिक परिषद के उपाध्यक्ष महमूद कमाती ने कहा, “हम शांति चाहते हैं, लेकिन अपनी संप्रभुता के समझौते पर नहीं।” अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया इस समझौते का स्वागत करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, “यह दिखाता है कि शांति संभव है। अगले 60 दिनों में इज़राइल अपनी सेना वापस बुलाएगा और दोनों देशों के नागरिक अपने घर लौटकर फिर से जीवन शुरू कर पाएंगे।”
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इसे “लेबनान में हिंसा रोकने और इज़राइल की सुरक्षा सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण कदम” बताया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इसे “देर से लिया गया, लेकिन आवश्यक निर्णय” कहते हुए युद्ध से प्रभावित नागरिकों के लिए राहत की उम्मीद जताई।
स्थानीय और क्षेत्रीय प्रभाव
इस युद्धविराम से दक्षिण लेबनान के लोग अपने घरों को लौटने लगे हैं। युद्ध के दौरान अपने घरों को छोड़ने वाले कई परिवार अब जश्न मनाते हुए अपने गांवों में लौट रहे हैं। यह समझौता दोनों देशों के नागरिकों को न केवल सुरक्षा प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें पुनर्निर्माण और सामान्य जीवन शुरू करने का अवसर भी देगा।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इस समझौते का स्वागत किया और कहा कि वह हमेशा शांति और बातचीत का पक्षधर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे “क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम” बताया।
संत रामपाल जी महाराज और इस युद्ध विराम का संबंध
संत रामपाल जी के अनुसार, संसार का कल्याण युद्ध और हिंसा से नहीं, बल्कि शांति, भाईचारे और भक्ति के माध्यम से संभव है। उनके अनुसार, जब समाज में पाप और भ्रष्टाचार का बोलबाला होता है, तब संतों का आगमन होता है, जो मानवता को सही मार्ग दिखाते हैं और युद्धों से परे एक शांतिपूर्ण जीवन का आदर्श प्रस्तुत करते हैं और संसार को मोक्ष मार्ग प्रदान करते हैं।
संत रामपाल जी महाराज ही विश्व में शांति लाने वाले संत हैं इसके समर्थन में निम्न भविष्यवाणियां हैं :
1. इंग्लैंड के ज्योतिषी कीरो ने 1925 में लिखी एक पुस्तक में भविष्यवाणी की थी – 20वीं सदी के उत्तरार्ध यानी 2000 ई. में (वर्ष 1950 के बाद) जन्मा कोई संत ही दुनिया में ‘नई सभ्यता’ लाएगा, जो पूरे विश्व में फैल जाएगी। भारत का वह एक व्यक्ति पूरे विश्व में ज्ञान की क्रांति लाएगा।
2. भविष्यवक्ता “श्री वेजीलेटिन” के अनुसार, 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में परस्पर प्रेम का अभाव, मानवता का पतन, धन-संपत्ति, लूट-खसोट की होड़, अन्यायी राजनीतिज्ञ आदि अनेक विपत्तियाँ देखने को मिलेंगी। लेकिन भारत से उत्पन्न शांति और भाईचारे पर आधारित एक नई सभ्यता देश, राज्य और जाति की सीमाओं को तोड़कर पूरे विश्व में शांति और संतोष को जन्म देगी।
3. अमेरिका की महिला ज्योतिषी “जीन डिक्सन” के अनुसार 20वीं सदी के अंत से पहले दुनिया में मानव जाति का बहुत बड़ा नरसंहार और विनाश होगा। वैचारिक युद्ध के बाद, संभवतः एक ग्रामीण परिवार के भारतीय व्यक्ति के नेतृत्व में अध्यात्मवाद पर आधारित एक नई सभ्यता का उदय होगा और दुनिया से युद्धों को हमेशा के लिए समाप्त कर देगा।
4. अमेरिका के “मिस्टर एंडरसन” के अनुसार 20वीं सदी के अंत से पहले या 21वीं सदी के पहले दशक में दुनिया में असभ्यता का नंगा नाच होगा। इस बीच एक धार्मिक ग्रामीण भारतीय एक मानव जाति, एक भाषा और एक ध्वज के सिद्धांतों पर संविधान तैयार करके नैतिकता, उदारता, मानव सेवा और प्रेम का पाठ पढ़ाएगा। 1999 तक यह मसीहा आने वाले हजारों वर्षों के लिए पूरे विश्व को धर्म, सुख और शांति से भर देगा।
अधिक जानकारी के लिए पढिए: https://www.jagatgururampalji.org/en/sant-rampal-ji-maharaj/more-prophecies-about-sant-rampal-ji-maharaj