क्या आप भी हर जगह बिटकॉइन, क्रिप्टो करेंसी, डिजिटल वॉलेट जैसे शब्दों को सुन – सुन कर थक चुके हैं। आज तक समझ नहीं पाए कि आखिर ये हैं क्या?
चिंता न करें आज हम आपको विस्तार से समझाएंगे की बिटकॉइन / क्रिप्टो करेंसी क्या है ? आखिर ये पूरी क्रिप्टो की दुनिया आई कैसे?
कैसे किया जाता था वस्तुओं का आदान प्रदान?
सबसे पहले था बार्टर सिस्टम (व्यापार की वह प्रणाली जिसमें वस्तु के बदले वस्तु दी जाती थी) जैसे गेहूं के बदले जूते, आम के बदले सेव, नमक के बदले चाय। लेकिन इस सिस्टम में अधिकतर दिक्कत थी क्योंकि कोई आम के बदले सेव न ले तब क्या करें?
फिर मुद्राओं का उपयोग शुरू हुआ जिसमें सोना, चांदी, तांबा और भी कई तरीके के सिक्के उपयोग होने लगे। पर्यटन से पहले भारत में दमड़ी, टका, पाई, आना, दवन्नी, चवन्नी, अठन्नी और रुपए के सिक्के चलते थे । परन्तु सिक्कों के भारी वजन के कारण उनको इधर – उधर लेकर जाना बहुत मुश्किल काम था। इसलिए पेपर करेंसी (नोट) आना प्रारंभ हुआ ।
आप सभी नोटों के संबंध में तो पूर्ण जानकारी रखते होंगे। बड़े नोट (जो वॉलेट में भी न आएं) से लेकर छोटे से छोटे नोट तक। अब तो वर्तमान में लोग ज्यादातर बिना पेपर करेंसी के ही चलते हैं ।
इस बात से तो सभी रूबरू हैं कि आज से 5-6 वर्ष पूर्व किसी ने ख्याल भी नहीं किया होगा कि मात्र एक QR code (scanner) को स्कैन करके हम पैसों का लेन-देन कर सकते हैं। वर्तमान में पेटीएम, गूगलपे, फोनपे प्रत्येक दुकान – नुक्कड़ पर मिल ही जाते है।
इसी प्रकार आप से कहा जाए कि डिजिटल करेंसी की दुनिया अब दूर नहीं है तब हो सकता है आप भी विश्वास न करें । मगर 2009 से ही पूरी दुनिया में डिजिटल करेंसी का दौर शुरू हो चुका है। प्रारंभ में इसकी जानकारी कुछ ही लोगों को थी, लेकिन कुछ ही वर्षों में यह बहुत लोकप्रिय हो चुका है।
अभी भी आपके दिमाग में बार-बार एक ही ख्याल आ रहा होगा कि आखिर ये डिजिटल करेंसी/ क्रिप्टो करेंसी है क्या? तो आइए आज हम आपको इससे रूबरू करवाते हैं ।
क्या होती है डिजिटल करेंसी?
डिजिटल करेंसी एक वर्चुअल करेंसी होती है। इस करेंसी को आप नोटों (पेपर करेंसी) की तरह जेब में नहीं रख सकते हैं। ये सिर्फ हमारे ऑनलाइन वॉलेट में रखी जाती है। इसका मतलब यह हुआ कि बिना किसी परेशानी के कहीं से भी इसका उपयोग कर सकते है।
क्रिप्टो करेंसी का शाब्दिक अर्थ?
डिजिटल करेंसी को दूसरे नाम से भी कह सकते है कि यह ‘क्रिप्टो करेंसी’ है। करेंसी का अर्थ पैसे /रुपए होता है और क्रिप्टो का अर्थ है छुपा हुआ या तो सीक्रेट। जब हम क्रिप्टो करेंसी से कोई भी लेन-देन करते हैं तो वह सब छुपा हुआ और सुरक्षित होता है।
आखिर कब और किसके द्वारा शुरू हुई थी क्रिप्टो करेंसी?
क्रिप्टो करेंसी का चलन 2009 से प्रारंभ हुआ था। उस समय सर्व प्रथम सातोशी नाकामोतो नामक व्यक्ति ने एक पेपर पर बिटकॉइन की अवधारणा पेश की थी।
जी हां, बिटकॉइन यह आज की तरीक में इतनी बड़ी करेंसी बन चुकी है कि आप मानेंगे नहीं। जिसको इसका अर्थ / मूल्य पता है केवल वही विश्वास कर सकता है। अनेकों कंपनियां आज बिटकॉइन से पेमेंट लेती हैं।
यह बात जानकर आपको हैरानी होगी कि यदि किसी व्यक्ति ने 2009 में एक बिटकॉइन खरीदा है तो आज उसकी कीमत 16 लाख रुपए होगी । परंतु आज के समय में इथेरियम, डॉजकॉइन, तेथेर जैसी 19000 क्रिप्टो करेंसी बन चुकी हैं । इन करेंसी को हम खरीद सकते हैं, बेच सकते हैं और यदि चाहें तो इनमें इन्वेस्ट भी कर सकते हैं ।
यह तो हम समझ गए की क्रिप्टो करेंसी एक तरह ऐसे पैसे/रुपए हैं जिन्हें हम छू नहीं सकते हैं लेकिन हम इसे खरीदेंगे, बेचेंगे तो इसे कोई कंट्रोल कर रहा होगा क्या? जी नहीं !
यही खास बात है क्रिप्टो करेंसी की, इसे कोई बैंक / सरकार कंट्रोल नहीं करती है। पूरे ट्रेडिशनल बैंकिंग को तोड़ते हुए क्रिप्टो करेंसी सीधे एक वॉलेट से दूसरे वॉलेट में जाती है।
क्रिप्टो करेंसी को पहले इतनी मान्यता नहीं थी। भारत सहित कई देशों में इसके उपयोग पर रोक लगी थी मगर धीरे – धीरे कई देशों में यह कानूनी हो चुका है। मार्च 2020 में भारत ने भी क्रिप्टो करेंसी के उपयोग को हरी झंडी दे दी थी।
बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी के फायदे
अभी तक हमने जाना कि बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी क्या होती है। आईए अब जानते है क्या है इसके मुख्य फायदे।
- बैंकों और वित्तीय संस्थानों की मदद के बिना ही अब आसानी से पैसे ट्रांसफ़र कर सकते हैं।
- क्रिप्टोकरेंसी को खरीदा या बेचा जा सकता है, इसमें किसी भी तीसरे व्यक्ति विशेष की अनुमति की जरूरत नहीं होती है।
- रोचक बात तो ये है कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर सकते है साथ ही मुद्रास्फीति से सुरक्षा भी प्राप्त होती है।
- किसी भी प्रकार की केंद्रीकृत शक्ति द्वारा हेराफेरी नहीं होने का मुख्य कारण है – क्रिप्टोकरेंसी में विकेंद्रीकरण ।
- क्रिप्टो में अपरिवर्तनीयता के कारण किसी भी डेटा को वापस जाकर बदला नहीं जा सकता है।
- क्रिप्टोकरेंसी में आदान – प्रदान की पुष्टि के दौरान बहुत जटिल कोडों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे यह सुरक्षित रहती है।
- क्रिप्टो आदान – प्रदान ब्लॉकचेन पर रिकॉर्ड किया जाता है, यही वजह है कि ये स्थायी और सत्यापन योग्य रहता है।
क्रिप्टो करेंसी में भी है जोख़िम
बिटकॉइन / क्रिप्टो करेंसी से आदमी रातों-रात अमीर हो सकता है,यह सही बात है लेकिन यदि दूसरी ओर देखा जाए तो जोख़िम भी बहुत हैं। इस मुद्रा का उपयोग करने वालों को विशेष ध्यान रखना होता है क्योंकि नजर हटी – दुर्घटना घटी। यह कथन क्रिप्टोकरेंसी पर शत प्रतिशत सिद्ध होता है।
डिजिटल करेंसी में अवैध ट्रांजेक्शन, डेटा नाश का जोखिम एवं हैक होने का खतरा भी अत्यधिक होता है।
क्रिप्टोकरेंसी जितना सुरक्षित माना जाता है एक्सचेंज उतना ही जोखिम भरा हैं।
डिजिटल करेंसी में मुख्यतः एक्सचेंज उपयोगकर्ताओं के वॉलेट डेटा को उनकी उपयोगकर्ता आईडी को सही ढंग से समझने के लिए संग्रहित किया जाता है। बुरी बात तो यह है कि डेटा अक्सर हैकर्स चुरा लेते हैं और इसकी मदद से वे बहुत सारे खातों तक पहुंच जाते हैं। जिससे इस करेंसी को वह चोरों के भांति ट्रांसफर कर चुरा लेते हैं।
क्रिप्टो करेंसी (आदान -प्रदान) गुप्त और सुरिक्षत है। सरकार द्वारा किसी भी उपयोगकर्ता के डेटा पर नजर रखना मुश्किल होता है। देखा गया है कि बिटकॉइन का इस्तेमाल अनेकों अवैध सौदों के समय भुगतान हेतु हुआ है जैसे कि डार्क वेब पर ड्रग्स खरीदना ।
कोशिश हमेशा यही रहे कि इसका पासवर्ड मजबूत हो और खुद की सुरक्षा में हो। इसका पासवर्ड भूलने या खो जाने पर आपकी कमाई डूब सकती है।
सतलोक में नहीं है किसी मुद्रा की आवश्यकता
श्रीमद्भगवद्गीता जी में वर्णित सनातन परम धाम अर्थात सतलोक ऐसा स्थान है जहां जाने के बाद साधक को निष्काम मोक्ष प्राप्त होता है। सतलोक में सर्व सुविधाएं निःशुल्क है और वहां किसी भी मुद्रा की आवश्यकता नहीं होती। अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल पर विजिट करें।