मणिपुर पिछले वर्ष से ही हिंसा की चपेट में था, जहां कुछ समय के लिए शांति बहाल हो गई थी। लेकिन एक घटना ने एक बार फिर मणिपुर को हिंसा की आग में झोंक दिया है। इस घटना ने प्रदेश में पहले से जारी तनाव को और बढ़ा दिया है, जहां मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा। इस हिंसा के पीछे दूरगामी अंतरराष्ट्रीय कारण भी हो सकते हैं। केंद्र सरकार गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में पूरी स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है। इसके साथ ही, दो सदस्यीय जांच समिति का गठन भी किया गया है। पूरी खबर जानने के लिए पढ़ें विस्तार से।
इंटरनेट सेवाएँ बंद, कर्फ़्यू, गश्त जारी
हिंसा के बढ़ते मामलों को देखते हुए हिंसा-ग्रस्त इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। राज्य में कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए सुरक्षा बलों ने नई रणनीतियां अपनाई हैं और हिंसा को रोकने के प्रयास जारी हैं। बिष्णुपुर, इम्फाल और जिरीबाम जैसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बल लगातार गश्त कर रहे हैं। सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए समीक्षा बैठकें की हैं और केंद्रीय बलों को शांति और व्यवस्था बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए हैं।
ताजा हिंसा जिरीबाम में
हाल की हिंसा का कारण जिरीबाम में पिछले मंगलवार को हुई दर्दनाक घटना है, जब एक ही परिवार के छह सदस्यों का उग्रवादियों ने अपहरण कर लिया और तीन मासूम बच्चों की हत्या कर दी। इन बच्चों के शव असम-मणिपुर सीमा पर पाए गए, जिसके बाद मणिपुर में स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। इस हृदयविदारक घटना से आक्रोशित मैतेई समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और लगातार हिंसक प्रदर्शन करने लगे। 16 नवंबर को हालात और बिगड़ गए, जब मैतेई समुदाय के प्रदर्शनकारियों ने तीन मंत्रियों और छह विधायकों के घरों का घेराव किया और भारी तोड़फोड़ की।
मंत्रियों और मुख्यमंत्री निवास पर हमले के बाद कर्फ़्यू
मंत्रियों के घरों में तोड़फोड़ के बाद राज्य के मुख्यमंत्री के घर पर हमला करने की कोशिश की गई, जिससे राज्य की कानून-व्यवस्था बिगड़ गई और तत्काल प्रभाव से कर्फ्यू लगाना पड़ा।
केंद्रीय गृह मंत्री कर रहे हैं पूरे मामले की निगरानी
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए केंद्र सरकार ने तुरंत कदम उठाए। डीजी सीआरपीएफ अनीश दयाल को मणिपुर रवाना किया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी महाराष्ट्र में होने वाली अपनी सभी सभाएं और रैलियां रद्द कर दिल्ली लौटने का फैसला लिया। उन्होंने दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मणिपुर की स्थिति की गहन समीक्षा की और सुरक्षा बलों की तैनाती का जायजा लिया। गृह मंत्री ने केंद्रीय बलों को शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं।
मणिपुर में हालात पर केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियां कड़ी नजर बनाए हुए हैं, लेकिन हिंसा के इस दुष्चक्र को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता है।
दो सदस्यीय जांच समिति का गठन
इस घटना की जांच के लिए मणिपुर सरकार ने दो सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। इस समिति में आईजीपी (इंटेलिजेंस) के कबीब अध्यक्ष और डीआईजी (रेंज III) निंगसेन वोरंगम सदस्य के रूप में शामिल हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (कॉम्बैट) को हटाया गया
घटना के समय, विशेष कमांडो टीम का नेतृत्व कर्नल (सेवानिवृत्त) नेक्टर संजेनबम कर रहे थे, जिन्हें मणिपुर सरकार ने पिछले वर्ष वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (कॉम्बैट) के रूप में नियुक्त किया था। इस घटना के बाद सरकार ने उन्हें उनके पद से हटा दिया है।
आपको बता दें, कर्नल नेक्टर संजेनबम भारतीय सेना के 21 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) के एक सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, जिन्हें 2015 में म्यांमार में आतंकवादियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है। उन्हें कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है।
मणिपुर में एक वर्ष से अधिक जारी जातीय हिंसा: 221 की मौत, 60,000 से अधिक विस्थापित
मणिपुर में 3 मई 2023 से शुरू हुई मेतेई और कुकी-ज़ो आदिवासी समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा ने राज्य को गंभीर संकट में डाल दिया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस एक वर्ष से अधिक समय तक जारी हिंसा में अब तक 221 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 60,000 से अधिक लोग अपने घरों को छोड़कर विस्थापित हो चुके हैं। इसके अलावा, कई लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं।
भारी नुकसान: घर और धार्मिक स्थल निशाने पर
इस हिंसा के कारण 4,786 से अधिक घर जला दिए गए हैं और 386 से अधिक धार्मिक ढाँचों को नुकसान पहुँचा है। इनमें मंदिर और चर्च दोनों शामिल हैं।
बढ़ते संकट की अनौपचारिक रिपोर्टें
हालांकि, अनौपचारिक आँकड़े सरकारी आँकड़ों से कहीं अधिक भयावह हैं। राज्य में अशांति और संघर्ष की स्थिति अब भी बनी हुई है, जिससे पुनर्वास और शांति प्रयासों को गंभीर चुनौती मिल रही है।
दो समुदायों के बीच विवाद की पृष्ठभूमि
मेइतेई समुदाय मुख्य रूप से इंफाल घाटी में बसता है, जबकि कुकी-ज़ो आदिवासी समुदाय राज्य की पहाड़ियों में रहता है। इन दोनों समुदायों के बीच भूमि और राजनीतिक अधिकारों को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है, जो इस हिंसा का मुख्य कारण माना जा रहा है।
हालांकि, सरकार और स्थानीय प्रशासन शांति बहाल करने के प्रयास लगातार कर रहे हैं, लेकिन राज्य में तनावपूर्ण माहौल अभी भी बना हुआ है।
मैतेई समुदाय ने दी चेतावनी
मैतेई समुदाय ने सरकार को चौबीस घंटों के भीतर सशस्त्र उग्रवादियों पर कानूनी कार्रवाई की माँग की है। मैतेई नागरिक अधिकार समूह ‘मणिपुर इंटीग्रिटी’ ने राज्य के सभी प्रतिनिधियों और सरकार के नुमाइंदों से जल्द से जल्द निर्णायक कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो सरकार को इसके परिणाम भुगतने होंगे।
क्या आध्यात्मिक मार्ग से हिंसा को रोका जा सकता है?
आज पूरी दुनिया में हिंसा, तोड़फोड़, आगजनी, हत्या, बलात्कार, नशा और ऐसे अनगिनत अपराध रोज घटित हो रहे हैं। लेकिन कोई भी इन अपराधों पर नियंत्रण लगाने का प्रयास नहीं कर पा रहा है। जहाँ आध्यात्मिकता की बात होती है, वहाँ बड़े से बड़ा अपराधी भी ईश्वर की शक्ति से डरने लगता है और सभी बुराइयों को त्याग देता है। आज पूरे विश्व में एक अद्भुत कार्य जगद्गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज कर रहे हैं। उनकी शिक्षा और उनके द्वारा बताए गए मार्ग से करोड़ों लोगों ने अपने जीवन को सुखमय बनाया है।
सतभक्ति ही है एकमात्र विकल्प
सतभक्ति से बड़े से बड़े अपराधियों ने अपराध, कुरीतियों और व्यसनों को त्याग दिया है। यह सब आध्यात्मिक भक्ति मार्ग से ही संभव है। संत रामपाल जी महाराज सभी धर्मों के शास्त्रों का गूढ़ रहस्य समझाकर संसार पर उपकार कर रहे हैं। वे सत्भक्ति से मोक्ष का मार्ग दिखा रहे हैं, और इसी मार्ग से पूरी दुनिया में शांति स्थापित की जा सकेगी। अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट पर विजिट करें।