बांग्लादेश के चर्चित आंदोलनकारी शरीफ उस्मान हादी के सिंगापुर में निधन की खबर सामने आते ही ढाका में हालात बिगड़ गए। गुस्साए समर्थक सड़कों पर उतर आए और हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने देश के प्रमुख समाचार पत्रों के कार्यालयों को निशाना बनाया, जहां तोड़फोड़ के बाद आगजनी की घटनाएं भी सामने आईं।
- मुख्य बिंदु : बांग्लादेश हिंसा
- छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में भड़की हिंसा
- कौन था उस्मान हादी, जिसकी मौत के बाद बांग्लादेश में उबाल आया
- उग्र भीड़ ने मीडिया और सांस्कृतिक संस्थानों को बनाया निशाना
- भारत के खिलाफ नारेबाजी, भारतीय उच्चायोग कार्यालय के बाहर तनाव
- अंतरिम सरकार ने लोगों से कानून और शांति का पालन करने की सलाह दी
मुख्य बिंदु : बांग्लादेश हिंसा
- छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में भड़की हिंसा।
- कौन था उस्मान हादी, जिसकी मौत के बाद बांग्लादेश में उबाल आया।
- उग्र भीड़ ने मीडिया और सांस्कृतिक संस्थानों को बनाया निशाना।
- भारत के खिलाफ नारेबाजी, भारतीय उच्चायोग कार्यालय के बाहर तनाव।
- अंतरिम सरकार ने लोगों से कानून और शांति का पालन करने की सलाह दी।
छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में भड़की हिंसा
सिंगापुर में इलाज के दौरान छात्र नेता उस्मान हादी के निधन के बाद बांग्लादेश में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। बताया गया है कि पिछले सप्ताह ढाका में नकाबपोश हमलावरों ने उन पर गोलीबारी की थी, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था, जहां उनकी मौत हो गई। जैसे ही यह खबर फैली, बड़ी संख्या में उनके समर्थक राजधानी की सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया।
आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने देश के प्रमुख समाचार पत्रों द डेली स्टार और प्रोथोम आलो के कार्यालयों में तोड़फोड़ की, वहीं एक इमारत में आगजनी की घटना भी सामने आई।
इसके अलावा चट्टोग्राम में भारत के सहायक उच्चायुक्त के आवास पर हमले की खबर से राजनयिक संस्थानों की सुरक्षाओं को लेकर गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं।
कौन था उस्मान हादी, जिसकी मौत के बाद बांग्लादेश में उबाल आया
शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश के चर्चित राजनीतिक कार्यकर्ताओं और प्रभावशाली छात्र नेताओं में गिने जाते थे। वे इंकलाब मंच (Inquilab Mancha) के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे और संगठन के संयोजक की भूमिका भी निभा रहे थे।
वर्ष 2024 के जुलाई–अगस्त आंदोलन, जिसे जुलाई क्रांति के नाम से जाना गया, में उनकी अहम भागीदारी मानी जाती है। इसी आंदोलन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार सत्ता से बाहर हुई थी।
उस्मान हादी अपनी तीखी भारत-विरोधी बयानबाजी के कारण भी सुर्खियों में रहते थे। उनका आरोप था कि भारत बांग्लादेश पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश करता है। कुछ ही दिनों पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर तथाकथित ग्रेटर बांग्लादेश का एक नक्शा साझा किया था, जिसमें भारत के कुछ पूर्वोत्तर क्षेत्रों को शामिल दिखाया गया, जिससे व्यापक विवाद और राजनीतिक हलचल पैदा हो गई थी।
उग्र भीड़ ने मीडिया और सांस्कृतिक संस्थानों को बनाया निशाना
प्रदर्शन कर रही भीड़ ने बांग्लादेश के प्रमुख अखबार प्रोथोम आलो और द डेली स्टार के कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया। हिंसक घटनाओं के दौरान राजधानी में स्थित प्रसिद्ध सांस्कृतिक संस्था छायानट को भी नुकसान पहुँचाया गया और वहां आगजनी की गई।
छायानट बांग्लादेश की एक प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक सांस्कृतिक संस्था है, जिसकी स्थापना वर्ष 1961 में हुई थी और जो बंगाली संस्कृति, विरासत, संगीत, नृत्य तथा पारंपरिक वाद्ययंत्रों के संरक्षण और प्रचार के लिए जानी जाती है।
घटनास्थल पर मौजूद भीड़ धार्मिक नारे लगाते हुए आगे बढ़ती रही और उस प्रमुख संस्थान को क्षति पहुँचाई, जिसे देश में कला और संस्कृति के संवर्धन का प्रतीक माना जाता है।
भारत के खिलाफ नारेबाजी, भारतीय उच्चायोग कार्यालय के बाहर तनाव
इसके बाद गुरुवार देर रात प्रदर्शनकारियों का एक समूह चटगांव स्थित भारतीय उच्चायोग कार्यालय के बाहर एकत्र हो गया। इस दौरान कार्यालय की ओर पत्थर फेंके जाने की सूचना है, जिससे इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई।
भीड़ ने भारत विरोधी और अवामी लीग के खिलाफ नारे लगाए, जिनमें उग्र और आक्रामक भाषा का इस्तेमाल किया गया। घटनाक्रम के बाद राजनयिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को लेकर चिंता और सतर्कता बढ़ा दी गई है।
अंतरिम सरकार ने लोगों से कानून और शांति का पालन करने की सलाह दी
उस्मान हादी के निधन के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने देश को संबोधित करते हुए जनता से संयम बरतने की अपील की। उन्होंने लोगों से कानून-व्यवस्था अपने हाथ में न लेने और शांति बनाए रखने का आग्रह किया।
अपने संबोधन में यूनुस ने हादी को जुलाई विद्रोह का साहसी सेनानी और शहीद बताया। उन्होंने कहा कि हादी उन ताकतों के खिलाफ खड़े थे, जिन्हें उन्होंने पराजित फासीवादी और आतंकी तत्व बताया। यूनुस ने यह भी कहा कि जो लोग क्रांतिकारी आवाजों को दबाने और भय का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें एक बार फिर परास्त किया जाएगा।

