भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी डिजिटल रुपया, जिसे ई-रुपया भी कहा जाता है, भारतीय रुपये का डिजिटल स्वरूप है। यह भौतिक नोटों की तरह ही सुरक्षित और विश्वसनीय है। ई-रुपया UPI की तरह बैंक खातों के बीच पैसे भेजने के बजाय सीधे डिजिटल कैश की तरह काम करता है और इसे डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। इसका उपयोग इंटरनेट के बिना भी किया जा सकता है। यह भौतिक मुद्रा का इलेक्ट्रॉनिक रूप है जिसका मूल्य बराबर होता है।
- Digital Rupee: मुख्य बिंदु
- Digital Rupee: डिजिटल रुपया कब लॉन्च हुआ और क्यों लॉन्च हुआ?
- Digital Rupee: डिजिटल रुपया के क्या फायदे हैं?
- Digital Rupee: डिजिटल रुपया और UPI में अंतर
- Digital Rupee: डिजिटल रुपया का इस्तेमाल कैसे करें?
- Digital Rupee: CBDC क्या है?
- Digital Rupee: आध्यात्मिक जीवन में डिजिटल रूपया
- Digital Rupee: भक्ति धन कैसे इकट्ठा करें?
Digital Rupee: मुख्य बिंदु
- आप (e₹) से NFC या QR कोड के माध्यम से बिना इंटरनेट के भुगतान कर सकते हैं।
- एक बार वॉलेट में पैसे आ जाने के बाद बैंक अकाउंट की जरूरत नहीं पड़ती।
- इसमें ट्रांज़ेक्शन तुरंत होते हैं।
- यह नकद कैश की तरह काम करता है।
- यह एक भौतिकी नोटों का इलेक्ट्रॉनिक रूप है, जिसका मुल्य समान है।
Digital Rupee: डिजिटल रुपया कब लॉन्च हुआ और क्यों लॉन्च हुआ?
केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) जिसे डिजिटल रुपया (e₹) भी कहा जाता है, भारत में होलसेल 1 नवंबर 2022 को और रिटेल पायलट के रूप में 1 दिसंबर 2022 को लॉन्च किया गया। यह कागज़ी नोटों का सुरक्षित डिजिटल विकल्प है। बैंकों के बीच तेज़ और सुरक्षित इंटरबैंक सेटलमेंट के लिए होलसेल CBDC का उपयोग होता है, जबकि आम जनता और व्यापारियों द्वारा रोज़मर्रा के लेन-देन में रिटेल CBDC का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उद्देश्य नकदी की मुद्रण व भुगतान प्रणाली को अधिक कुशल बनाना और वितरण लागत को कम करना है।
Digital Rupee: डिजिटल रुपया के क्या फायदे हैं?
डिजिटल रुपया के कई फायदे हैं, जो निम्नलिखित है :-
- बढ़ी हुई दक्षता
- लागत में कमी
- सुरक्षा में सुधार
- ऑफलाइन लेनदेन की सुविधा
- सरकारी योजनाओं का बेहतर वितरण
- वित्तीय समावेशन
- प्रोग्रामेबिलिटी
- अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन
Digital Rupee: डिजिटल रुपया और UPI में अंतर
डिजिटल रुपया –
डिजिटल रुपया भारतीय रुपये का एक डिजिटल रूप है।
यह बैंक खाते की आवश्यकता के बिना भी इस्तेमाल हो सकता है।
डिजिटल रुपया एक कानूनी मुद्रा है।
डिजिटल रुपया केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है।
UPI –
UPI एक भुगतान प्रणाली है।
यह बैंक खातों के बीच पैसे ट्रांसफर करती है।
UPI एक प्लेटफ़ॉर्म है जो विभिन्न बैंकों को जोड़ता है।
UPI को NPCI द्वारा विकसित किया गया है।
Digital Rupee: डिजिटल रुपया का इस्तेमाल कैसे करें?
डिजिटल रुपया का इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले अपने बैंक से डिजिटल रुपया (e₹) ऐप डाउनलोड करें। ऐप इंस्टॉल करने के बाद, पंजीकरण पूरा करें, सुरक्षा हेतु एक पिन सेट करें और वॉलेट में पैसे लोड करें। फिर आप किसी दुकानदार, व्यापारी या किसी अन्य व्यक्ति के मोबाइल नंबर या उनके (e₹) के QR कोड का उपयोग करके भुगतान कर सकते हैं और इसकी खास बात यह है कि आप बिना इंटरनेट के भी e₹ से NFC या QR कोड के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं। इसमें एक बार वाॅलेट में पैसे आ जाने के बाद बैंक अकाउंट की जरूरत नहीं पड़ती और ट्रांज़ेक्शन भी तुरंत होते हैं। साथ ही, यह नकद कैश की तरह काम करता है।
Digital Rupee: CBDC क्या है?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी डिजिटल रुपया भारत की केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) है, जो भौतिक नकदी का डिजिटल रूप है। इसका उद्देश्य भौतिक मुद्रा की छपाई लागत को कम करना और लेन-देन को आसान, तेज़ और अधिक पारदर्शी बनाना है। जबकि UPI एक भुगतान प्लेटफॉर्म है, जो बैंक खातों को जोड़ता है। डिजिटल रुपया स्वयं एक वैध मुद्रा है, जो इसे एक शक्तिशाली उपकरण बनाती है। हालांकि, सरकारी और निजी उपयोग दोनों के लिए इसकी गोपनीयता और साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियों पर ध्यान देना काफी महत्वपूर्ण है।
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Digital Rupee: आध्यात्मिक जीवन में डिजिटल रूपया
पाठकों क्या आपको पता है, इस धरती पर आप जीवन में जितने भी पैसे इकट्ठे कर लें, चाहे वह डिजिटल हो या फिजीकल, यह पैसे मृत्यु के बाद आपके साथ नहीं जाएंगे। इस धन का हम मनुष्य जीवन में भौतिक उपयोग के रूप में तो कर सकते हैं, परंतु मृत्यु के बाद इसका कोई फायदा नहीं। इसके बजाय हमें उस धन को इकट्ठा करना चाहिए, जो मृत्यु के बाद हमारे साथ जाए और वह है – भक्ति रूपी धन।
Digital Rupee: भक्ति धन कैसे इकट्ठा करें?
पाठकों इसका प्रमाण गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में भी मिलता है, जिसमें लिखा है – “जो पुरुष शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न परम गति को न सुख को ही।”
गीता अध्याय 16 श्लोक 24 में लिखा है – “इससे तेरे लिए इस कर्तव्य और अकर्तव्य की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण है। ऐसा जानकर तू शास्त्रविधि से नियत कर्म ही करने योग्य है।”
इससे यह सिद्ध होता है कि इस धन को हम शास्त्रानुकूल भक्ति करके ही इकट्ठा कर सकते हैं।
साथ ही गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में वह सांकेतिक मंत्र (ॐ-तत्-सत्) का भी जिक्र किया गया है, जिसका असली मंत्र संत रामपाल जी महाराज बताते हैं। इन मंत्रों से हमारा भक्ति-रूपी धन इकट्ठा होता है, जो मृत्यु के पश्चात मोक्ष में सहायक होता है।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़िए संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक Gyan Ganga – ज्ञान गंगा

