धरती पर जीवन का अस्तित्व उसकी जैव विविधता पर निर्भर है — यह वही अनमोल धरोहर है जो पौधों, जानवरों, पक्षियों, कीटों, सूक्ष्मजीवों और मनुष्यों के बीच एक अदृश्य लेकिन अटूट संबंध बनाती है। यही विविधता पृथ्वी को जीवनदायिनी बनाती है और हर प्राणी को उसके पर्यावरण के साथ जोड़ती है।
आज जब मानव अपने विकास की दौड़ में प्रकृति से दूरी बनाता जा रहा है, तब वनों की कटाई, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और संसाधनों के अत्यधिक दोहन ने इस जैव संतुलन को गंभीर खतरे में डाल दिया है। समुद्रों में प्लास्टिक, आसमान में जहरीली गैसें, और धरती पर घटते वन — ये सभी संकेत हैं कि हम अपने ही अस्तित्व की जड़ों को कमजोर कर रहे हैं।
यदि हमने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो वह दिन दूर नहीं जब नदियाँ निर्जीव होंगी, जंगल बंजर हो जाएंगे और आने वाली पीढ़ियाँ उस सुंदर सृष्टि की झलक भी नहीं देख पाएंगी जो कभी जीवन से परिपूर्ण थी। जैव विविधता का संरक्षण केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं, बल्कि मानवता के अस्तित्व की अनिवार्यता है।
- जैव विविधता का अर्थ है — जीवों, पौधों और पारिस्थितिक तंत्रों की विविधता।
- भारत विश्व की 8% जैव विविधता का घर है।
- हर वर्ष करीब 10,000 प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं।
- जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और प्रदूषण इसके प्रमुख कारण हैं।
- जैव विविधता भोजन, औषधि, और पर्यावरण संतुलन की नींव है।
- संरक्षण के लिए सरकार और समाज दोनों की भूमिका आवश्यक है।
- प्रकृति की रक्षा ही सृष्टि की रक्षा है।
जैव विविधता क्या है?
जैव विविधता (Biodiversity) पृथ्वी पर जीवन के विविध रूपों का संग्रह है — चाहे वे पौधे हों, जानवर, पक्षी, कीट-पतंगे या सूक्ष्मजीव। यह विविधता हमारे पारिस्थितिक संतुलन की नींव है।
वैज्ञानिकों के अनुसार अब तक लगभग 1.8 करोड़ प्रजातियाँ पहचानी जा चुकी हैं, जबकि वास्तविक संख्या 8 करोड़ से अधिक हो सकती है।
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भारत, जो पृथ्वी की भूमि का केवल 2.4% हिस्सा रखता है, विश्व की लगभग 8% जैव विविधता का घर है — यह हमारे देश की पारिस्थितिक समृद्धि का प्रमाण है।
जैव विविधता का महत्व
1. पर्यावरणीय संतुलन: सभी जीव आपस में जुड़कर एक प्राकृतिक चक्र बनाते हैं।
2. भोजन और औषधियाँ: हमारी अधिकांश दवाइयाँ और खाद्य पदार्थ प्रकृति पर निर्भर हैं।
3. आर्थिक विकास: वन, मत्स्य, और कृषि उद्योग जैव विविधता से फलते-फूलते हैं।
4. सांस्कृतिक महत्व: हर क्षेत्र की लोकसंस्कृति और परंपराएँ प्रकृति से जुड़ी हैं।
विलुप्त होती प्रजातियाँ — एक चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार हर वर्ष करीब 10,000 प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं।
भारत में बाघ, गिद्ध, लाल सैंडर, कछुआ, और डॉल्फिन जैसी प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं।
मुख्य कारण:
- वनों की कटाई
- प्रदूषण
- अवैध शिकार
- जलवायु परिवर्तन
यह स्थिति मानवता के भविष्य के लिए गंभीर खतरा है, क्योंकि हर प्रजाति पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है।
सरकारी और सामाजिक पहलें
भारत सरकार ने राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA), राज्य जैव विविधता बोर्डों, और स्थानीय समितियों की स्थापना की है।
साथ ही “मिशन LiFE”, “ग्रीन इंडिया मिशन” और “एक पेड़ एक जीवन” जैसी योजनाएँ शुरू की गई हैं।
कई सामाजिक संगठन और शिक्षण संस्थाएँ भी वृक्षारोपण और जन-जागरूकता अभियानों में योगदान दे रहे हैं।
परंतु असली बदलाव तब आएगा जब हर नागरिक प्रकृति को अपनी जिम्मेदारी समझेगा।
सतभक्ति – मानव जीवन का आधार
आज संसार मोह, क्रोध, लोभ और अहंकार में फंसा हुआ है, जिसके कारण दुःख, बीमारी और अशांति बढ़ती जा रही है। मनुष्य जन्म का उद्देश्य सांसारिक सुख या भौतिक उपलब्धियाँ नहीं, बल्कि उस परमात्मा को प्राप्त करना है, जिसने हमें यह जीवन प्रदान किया है। संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों में बताते हैं कि मनुष्य जन्म अत्यंत अनमोल है — यह चौरासी लाख योनियाँ भोगने के बाद प्राप्त होता है, तथा मनुष्य जीवन का उद्देश्य केवल सतभक्ति करना ही है।
आज के युग में हम भक्ति तो कर रहे हैं, परंतु शास्त्रविरुद्ध। श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा गया है —
“यः, शास्त्रविधिम्, उत्सृज्य, वर्तते, कामकारतः।
न, सः, सिद्धिम्, अवाप्नोति, न, सुखम्, न, पराम्, गतिम्॥”
अर्थात — जो व्यक्ति शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करता है, उसे न तो सुख प्राप्त होता है, न सिद्धि, और न ही गति।
इसलिए हमें पूर्ण गुरु से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करनी चाहिए। वर्तमान समय में केवल संत रामपाल जी महाराज जी ही ऐसे संत हैं जो शास्त्र–अनुकूल भक्ति प्रदान कर रहे हैं। अतः उनके शरण में जाकर नाम दीक्षा ग्रहण करें और अपने जीवन का कल्याण कराएं।
सच्चा भगवान हमारे जीवन के दुखों का विनाश कर राहत देता है
हाल ही में आई बाढ़ से प्रभावित इलाकों में जब चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था, तब संत रामपाल जी महाराज ने बाढ़-ग्रस्त गाँवों में राहत सामग्री पहुँचाई, जिसमें पाइप, मोटर, तार और जलनिकासी के उपकरण शामिल थे। इस सेवा कार्य ने उन असंख्य परिवारों को राहत दी जो प्राकृतिक आपदा के कारण कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे थे।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा संचालित “अन्नपूर्णा मुहिम” समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों के जीवन में नई रोशनी ला रही है। इस अभियान के अंतर्गत निःस्वार्थ भाव से लोगों को रोटी, कपड़ा, शिक्षा, चिकित्सा और मकान जैसी मूलभूत सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं। यह मुहिम केवल राहत नहीं, बल्कि पुनर्निर्माण का प्रयास है — जो यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी परिवार भूखा या बेघर न रहे। इस सेवा ने असंख्य परिवारों के चेहरों पर मुस्कान लौटाई है और मानवता के सच्चे स्वरूप को पुनः उजागर किया है।
FAQs
Q1. जैव विविधता क्या होती है?
जैव विविधता का अर्थ है — पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव-जंतु, पौधे, सूक्ष्मजीव और पारिस्थितिक तंत्रों की विविधता।
Q2. जैव विविधता क्यों महत्वपूर्ण है?
यह पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखती है, भोजन, दवाइयाँ और आर्थिक संसाधन प्रदान करती है।
Q3. भारत में जैव विविधता की स्थिति कैसी है?
भारत विश्व की 8% जैव विविधता का घर है, लेकिन कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं।
Q4. जैव विविधता को बचाने के लिए सरकार क्या कर रही है?
सरकार ने राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण और मिशन LiFE जैसी योजनाएँ शुरू की हैं।
Q5. आम नागरिक क्या कर सकते हैं?
पेड़ लगाएँ, जल-संरक्षण करें, प्लास्टिक का उपयोग घटाएँ और जीवों के प्रति दया रखें।

