मेडिकल शिक्षा जैसी संवेदनशील और प्रतिष्ठित क्षेत्र में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड (NBEMS) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। वर्ष 2021 से 2025 के बीच आयोजित NEET PG परीक्षाओं में गड़बड़ी और अनुचित माध्यमों के उपयोग के आरोपों की गहन जांच के बाद बोर्ड ने कुल 22 उम्मीदवारों के परिणाम रद्द कर दिए हैं। यह फैसला केवल कड़ी कार्रवाई ही नहीं, बल्कि उन लाखों अभ्यर्थियों के विश्वास को पुनर्स्थापित करने का प्रयास है जो ईमानदारी से तैयारी करके परीक्षा देते हैं।
किन उम्मीदवारों पर गिरी गाज?
इन 22 उम्मीदवारों में सबसे अधिक यानी 13 अभ्यर्थी वर्ष 2025 के सत्र के थे। इसके अलावा:
- 3 उम्मीदवार 2024 सत्र के
- 4 उम्मीदवार 2023 के
- 1 उम्मीदवार 2022 से
- 1 उम्मीदवार 2021 के
इन सभी का स्कोरकार्ड अब पूरी तरह निष्प्रभावी कर दिया गया है। वे न तो मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए, न ही नौकरी या रजिस्ट्रेशन के लिए इन परिणामों का उपयोग कर सकेंगे।
स्कोर अब किसी काम का नहीं रहेगा
NBEMS ने स्पष्ट कहा है कि जिन उम्मीदवारों के नतीजे रद्द किए गए हैं, उनके रिजल्ट को अब किसी भी संदर्भ में मान्य नहीं माना जाएगा। पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में प्रवेश, सरकारी-निजी नौकरी या मेडिकल रजिस्ट्रेशन — कहीं भी इन स्कोरकार्ड की वैधता खत्म हो गई है। यह फैसला मेडिकल शिक्षा की ‘पवित्रता और साख’ को बचाने के मद्देनजर लिया गया है।
कार्रवाई का आधार क्या था?
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के बाद सृष्टि बोम्मनहल्ली राजन्ना नाम की एक उम्मीदवार को पहले ही अयोग्य घोषित किया जा चुका था। शेष 21 अभ्यर्थियों को NBEMS की आचार समिति ने अनुचित साधन अपनाने का दोषी पाया।
बोर्ड ने यह भी साफ किया है कि किसी भी डेटा लीक में NBEMS की कोई भूमिका नहीं रही। हालांकि, अभ्यर्थियों की शिकायतें पहले से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे X, रेडिट और टेलीग्राम पर चर्चा का विषय बनी थीं, जिनमें सवाल उठाए गए कि कैसे निजी संस्थानों के पास उम्मीदवारों की निजी जानकारी पहुंचती है।
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परीक्षा में शामिल उम्मीदवारों का आंकड़ा
NEET PG 2025 परीक्षा में 2.42 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। इनमें से 1,28,116 उम्मीदवारों ने एमडी, एमएस और पीजी डिप्लोमा कोर्स के लिए क्वालिफाई किया। परिणाम घोषित हो जाने के बाद भी काउंसलिंग की प्रक्रिया ठप है, क्योंकि कुछ कानूनी याचिकाएं अभी विचाराधीन हैं। इनमें पूरे प्रश्नपत्र और उत्तर कुंजी सार्वजनिक करने की मांग भी शामिल है।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल
कई अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) और NBEMS की केंद्रीकृत प्रक्रिया के बावजूद कुछ निजी संस्थानों को छात्रों का डेटा मिल रहा है। यह भी कहा गया कि कुछ एजेंट अभ्यर्थियों को सीट दिलाने का दावा कर रहे थे। ऐसे मामलों ने पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया था।
इसी विवाद के बीच NBEMS ने आधिकारिक रूप से धोखाधड़ी में शामिल पाए गए उम्मीदवारों की पहचान कर उनका परिणाम रद्द कर दिया।
मेडिकल शिक्षा में भरोसे की चुनौती
पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं से जुड़ी धांधलियों, पेपर लीक और सॉल्वर गैंग के मामलों ने छात्रों और अभिभावकों का विश्वास कमजोर किया है। ऐसे में यह फैसला उन सभी के लिए राहत और भरोसे का संदेश है जो मेहनत के दम पर परीक्षा पास करते हैं।
NBEMS का यह कदम न केवल एक प्रशासनिक कार्रवाई है, बल्कि यह संकेत भी है कि यदि भविष्य में इसी तरह की अनियमितताएं सामने आती हैं, तो कठोर कार्रवाई जारी रहेगी। यह बात साफ कर दी गई है कि ‘शॉर्टकट’ लेकर डॉक्टर बनने की कोशिश करने वालों के लिए इस सिस्टम में कोई जगह नहीं है।
कानूनी और प्रक्रिया संबंधी सवाल अभी बाकी
हालांकि परिणाम रद्द करने के बाद एक नया विवाद यह भी हो सकता है कि यह कार्रवाई केवल उन्हीं अभ्यर्थियों तक सीमित है या भविष्य में और नाम सामने आ सकते हैं। साथ ही, कुछ कानूनी प्रक्रियाएं अभी भी जारी हैं, जिनका असर काउंसलिंग और एडमिशन पर पड़ सकता है।
इसके अलावा, सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर ऐसे लोग पहले से कहीं नौकरी या रजिस्ट्रेशन पा चुके हों, तो उनकी स्थिति क्या होगी? इस पर बोर्ड ने स्थिति साफ करने की बात कही है।
निष्पक्षता की दिशा में बड़ा कदम
यह फैसला उन हजारों प्रतिभाशाली और ईमानदार छात्रों के लिए आश्वासन की तरह है, जिन्हें लगता था कि अनुचित साधन अपनाने वाले लोग सिस्टम को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब यह संदेश साफ है कि चाहे मामला किसी भी साल का हो, यदि धोखाधड़ी साबित होती है तो कार्रवाई से कोई नहीं बचेगा।
निष्कर्ष
पांच साल की जांच के बाद 22 उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराना सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि मेडिकल शिक्षा जगत के लिए एक चेतावनी है। यह निर्णय जहाँ एक तरफ पारदर्शिता और न्यायिकता को मजबूत करता है, वहीं यह उन उम्मीदवारों के मन में भी मजबूती भरता है जो ईमानदारी से मेहनत कर रहे हैं।
NBEMS की यह पहल भविष्य के लिए एक नई परंपरा की शुरुआत हो सकती है — जहाँ योग्यता का सम्मान और धोखाधड़ी का स्पष्ट बहिष्कार दोनों साथ-साथ दिखाई दें। मेडिकल शिक्षा की गरिमा तभी कायम रह सकती है जब व्यवस्था सख्त, संवेदनशील और जवाबदेह रहे।