भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) हमेशा से विश्व क्रिकेट का सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली संगठन माना जाता है। यहाँ लिए गए निर्णय न केवल भारत बल्कि वैश्विक क्रिकेट पर भी गहरा असर डालते हैं। 28 सितंबर को मुंबई में सम्पन्न वार्षिक आम बैठक (एजीएम) के बाद, मिथुन मन्हास के नये अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए। यह नियुक्ति बिना किसी विरोध के हुई, और इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट को एक नया नेतृत्व मिला।
रोजर बिन्नी के कार्यकाल के बाद अब यह जिम्मेदारी 45 वर्षीय मिथुन मन्हास (mithun manhas bcci) पर है। क्रिकेट मैदान पर लंबे अनुभव और प्रशासनिक समझ के कारण मन्हास को इस पद पर चुना गया है। वह सौरव गांगुली और रोजर बिन्नी के बाद लगातार तीसरे पूर्व क्रिकेटर बने हैं जो BCCI अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुँचे हैं।
BCCI की अन्य नियुक्तियाँ
मिथुन मन्हास (mithun manhas bcci) के अध्यक्ष बनने के साथ ही भारतीय क्रिकेट प्रशासन में कई अन्य पदों पर भी महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ की गईं:
- राजीव शुक्ला को उपाध्यक्ष बनाया गया। उनके पास वर्षों का प्रशासनिक और रणनीतिक अनुभव है, जिससे बोर्ड को मजबूती मिलेगी।
- देवजीत सैकिया को माननीय सचिव चुना गया, जबकि प्रभतेज सिंह भाटिया को संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी मिली।
- वित्तीय प्रबंधन की बागडोर ए. रघुराम भट के हाथों में दी गई, ताकि संसाधनों का पारदर्शी और कुशल उपयोग हो सके।
- जयदेव निरंजन शाह को शीर्ष परिषद का सदस्य चुना गया।
- अरुण सिंह धूमल और एम. खैरुल जमाल मजूमदार को गवर्निंग काउंसलिंग में जगह दी गई, जो भारतीय क्रिकेट की दीर्घकालिक योजनाओं की देखरेख करेगी।
इन नियुक्तियों से साफ है कि BCCI ने प्रशासन में अनुभव और युवाओं का संतुलित मिश्रण रखने की कोशिश की है।
Mithun Manhas BCCI का प्रारम्भिक जीवन
मिथुन मन्हास का जन्म 12 अक्टूबर 1979 को जम्मू और कश्मीर में हुआ। उनका क्रिकेट सफर भले ही भारतीय राष्ट्रीय टीम तक नहीं पहुँचा, लेकिन घरेलू क्रिकेट में उनकी गिनती दिग्गज खिलाड़ियों में होती है। मन्हास दाएं हाथ के भरोसेमंद बल्लेबाज रहे, साथ ही वे कभी-कभी ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी करते थे। जरूरत पड़ने पर वे विकेटकीपर की भूमिका भी निभाते थे। इस बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें घरेलू स्तर पर बेहद उपयोगी खिलाड़ी बनाया।
प्रथम श्रेणी क्रिकेट में शानदार करियर
18 साल लंबे प्रथम श्रेणी करियर में मन्हास ने 157 मैच खेले और 46 के औसत से 9,714 रन बनाए। उनके नाम 27 शतक और 49 अर्द्धशतक दर्ज हैं। 2007-08 रणजी ट्रॉफी सीजन उनके करियर का स्वर्णिम अध्याय रहा, जब उन्होंने दिल्ली की कप्तानी करते हुए टीम को खिताब जिताया। उस सीजन में उन्होंने 57.56 के औसत से 921 रन बनाए।
रणजी ट्रॉफी की इस जीत ने मन्हास की कप्तानी और बल्लेबाजी दोनों को नई पहचान दी। यही अनुभव आगे चलकर उनके क्रिकेट प्रशासन के सफर में भी काम आया।
आईपीएल में मन्हास की यात्रा
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) ने कई खिलाड़ियों को नया मंच दिया, और मन्हास भी उनमें से एक थे। उन्होंने तीन अलग-अलग फ्रेंचाइजियों के लिए खेला:
- दिल्ली डेयरडेविल्स (2008-2010)
- पुणे वॉरियर्स (2011-2013)
- चेन्नई सुपर किंग्स (2014)
हालांकि वे कभी बड़े स्टार बल्लेबाज के रूप में नहीं उभरे, लेकिन टीम संयोजन और मध्यक्रम में स्थिरता प्रदान करने में उनका योगदान सराहनीय रहा।
प्रशासनिक अनुभव
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद मिथुन मन्हास ने कोचिंग और प्रशासनिक भूमिकाओं में भी योगदान दिया। वे जम्मू और कश्मीर क्रिकेट संघ में क्रिकेट निदेशक रहे। यहां उन्होंने स्थानीय खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने का काम किया और क्रिकेट संरचना को सुधारने में योगदान दिया।
उनकी यह भूमिका साबित करती है कि मन्हास केवल खिलाड़ी ही नहीं बल्कि एक रणनीतिक प्रशासक भी हैं। यही कारण है कि सर्वसम्मति से उन्हें मिथुन मन्हास अध्यक्ष के पद पर चुना गया।
भारतीय क्रिकेट प्रशासन के सामने चुनौतियाँ
BCCI अध्यक्ष बनने के साथ ही मन्हास के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ हैं:
- घरेलू क्रिकेट का सशक्तिकरण – रणजी और अन्य टूर्नामेंटों में खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएँ और पारदर्शिता देना।
- IPL और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का संतुलन – खिलाड़ियों की थकान को देखते हुए शेड्यूल प्रबंधन अहम होगा।
- महिला क्रिकेट का विकास – हाल ही में महिला प्रीमियर लीग (WPL) शुरू हुई है, जिसे और आगे ले जाना होगा।
- पारदर्शिता और वित्तीय प्रबंधन – BCCI की अपार आर्थिक शक्ति को खेल और खिलाड़ियों के हित में सही तरीके से इस्तेमाल करना।
Mithun Manhas BCCI की दृष्टि और संभावनाएँ
मन्हास का क्रिकेट और प्रशासन दोनों का अनुभव उन्हें एक संतुलित नेता बनाता है। उनके नेतृत्व से यह उम्मीद की जा रही है कि वे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के बीच तालमेल बैठाकर भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँगे।
उनकी नियुक्ति से जम्मू और कश्मीर के खिलाड़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी, क्योंकि वे इस क्षेत्र से आने वाले पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने BCCI अध्यक्ष का पद संभाला है।
निष्कर्ष
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में मिथुन मन्हास अध्यक्ष के रूप में एक नया अध्याय जोड़ते हैं। वे न केवल एक सफल प्रथम श्रेणी खिलाड़ी रहे हैं बल्कि क्रिकेट प्रशासन में भी अपनी पकड़ मजबूत कर चुके हैं। अब जब वे भारत के सबसे बड़े क्रिकेट संगठन के शीर्ष पर हैं, तो उनसे उम्मीदें भी उतनी ही ऊँची होंगी।
उनकी नियुक्ति से यह संदेश जाता है कि भारतीय क्रिकेट अब केवल बड़े सितारों पर निर्भर नहीं है, बल्कि मेहनती और जमीनी स्तर से जुड़े लोग भी नेतृत्व तक पहुँच सकते हैं। आने वाले वर्षों में उनका नेतृत्व भारतीय क्रिकेट को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना बेहद रोचक होगा।